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देशप्रेम

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महाराष्ट्र में सतारा के निकट वाई नाम का एक गाँव है। पेशवा के राज्यकाल में वहाँ कृष्णराव ताँबे को एक ऊँचा पद प्राप्त था। कृष्णराव ताँबे का पुत्र बलवंतराव पराक्रमी था। उसको पेशवा की सेना में उच्च पद मिल

भोजनोपरांत तात्या दीक्षित से बाजीराव और मोरोपंत मिले। तात्या दीक्षित झाँसी से बिठूर आए हुए थे। वह ज्योतिष और तंत्र के शास्त्री थे। काशी, नागपुर, पूना इत्यादि घूमे हुए थे। महाराष्ट्र समाज से काफी परिचि

थोड़ी देर में घंटा बजाता हुआ हाथी लौट आया। मनू दौड़कर बाहर आई। एक क्षण ठहरी और आह खींचकर भीतर चली गई। नाना और राव, दोनों बालक, अपनी जगह चले गए। बाजीराव ने नाना को पुचकारकर पूछा, ‘दर्द बढ़ा तो नहीं ?’

मनूबाई सवेरे नाना को देखने पहुँच गई। वह जाग उठा था, पर लेटा हुआ था। मनू ने उसके सिर पर हाथ फेरा। स्निग्ध स्वर में पूछा, ‘नींद कैसी आई ?’ ‘सोया तो हूँ, पर नींद आई-गई बनी रही। कुछ दर्द है।’ नाना ने उ

  :- रामावतार चन्द्राकर ÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷दीपक को क्या पता अंधेरा कहाँ है, उजाले में भी जलाओ जलता रहता है !गैरो को क्या पता नब्ज नाजुक है कहाँ, वो तो अपने है जो इशारे किय

:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::"अधिकार" समान मिले सबको ,भारत का गौरव और हो ऊँचा ।जब मानव को मानव पहचाने ,तब पुष्ट हो मानव धर्म समूचा ।समता का भाव सुदृढ़ बने ,और मतभेदो

🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮स्वतन्त्रता अच्छी नही ,           होती जो संस्कार हीन।कभी कभी बेगैरत भी,           कर जाती घर को मलि

🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮 स्वतन्त्रता का दीपक है वो जला गया,महाकाल बनके दुश्मन को है दला गया।तमारी बनके उसने तम को खूब हरा है,करके फ़िजा को रोशन है वो चला गया ।।🇨🇮🇨🇮🇨🇮

विषय - स्वतन्त्रतादिनांक - 17 अगस्त 2021रचनाकार  - श्री रामावतार चंद्राकर🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮चीर तमय के गहन हिय को, दिव्य दिवाकर चमका है ।कुंठित मन की अभिलाषाएं, 

::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::कल्पना साकार होता दिख रहा है,आसमाँ फिर साफ होता दिख रहा है।।छाई थी कुछ काल से जो कालिमा,आज फिर से धुंध छटता दिख रहा है ।कल्पना साकार....::::

जीवन में मुझे कोई अफसोस नहीं है,अफसोस है तो उन राह देखती आंखों की,जो चौराहों पर पेट के लिए भानु का तेज झेल रही है।झेलती है डांट-फटकार और मार लात-घूंसो की,लेकिन जीवन बचाने सब कुछ झेल रही है।म

सखि, आजकल बुलडोजर के भाव आसमान में चढे हुए हैं । सीधे मुंह बात ही नहीं करती है वह । पता नहीं किस पर इतना घमंड करती है नासपीटी? शक्ल सूरत भी तो माशाल्लाह है और डीलडौल तो "टुनटुन" को भी मात करता है

हंसती-रोती इस दुनिया में मैं जीवन जी रहा हूं।कभी लहु के घूंट कभी अमी बूंद पी रहा हूं।भयभीत हैं यहां दुनिया, सच्चाई की राह को उदास देख रहा हूं।सच्चाई की कब होगी जीत,मैं इंतजार कर रहा हूं।रिश्तों की कड़

मैं इंतजार कर रहा हूं उस दिन का  जिस दिन लोग इतने परिपक्व हों  कि वे जाति, धर्म से ऊपर उठकर  मुफ्त के माल के प्रलोभन से बचकर "रंगे सियारों" को सही से पहचान कर  क्षेत्रीयवाद, भाषा क

खेत खलिहान भारत की शान हैं!! यह हमारी आत्मा हमारा अभिमान हैं!! खेत खलिहान में बसती किसानों की जान है!! भारत के खेत सोना उगलते हैं!! तभी तो भारत सोने की चिड़िया कहलाता था!! किसानों का पसीना जब खेतों मे

"मीना, पापा के लिए चाय बना देना" । मीना की सास रसोई में आते हुए बोली ।"जी, पापा आ गए क्या" ? मीना "बड़ी" की सब्जी बनाते हुए बोली । उसे "बड़ी" की सब्जी बहुत पसंद थी । "हां, अभी अभी आए हैं । देख, तेरे

सुन गर्जन बंगाल सिंह की !! अंग्रेजी शासन थर्राया !! उसने जब हुंकार भरी !! सिंहासन उनका डोल उठा!! नेताजी ने संकल्प लिया !! अब नहीं गुलामी करनी है !! एक तरफ़ थी शक्ति अपार !! दूजी ओर मन में विश्वास !! स

जिधर देखो उधर ही गड़बड़ घोटाला है  कहीं लालू कहीं ओमप्रकाश चौटाला है कहीं बोफोर्स की दलाली का बड़ा शोर है  महाराष्ट्र में मंत्रियों का वसूली पर जोर है कश्मीर को तीन खानदान पूरा निगल गए 

जब शासन समुदायों में पक्षपात करता है  किसी को प्यार किसी पे आघात करता है मजहब के आधार पर जब फैसले होते हैं  तब जोधपुर भी दंगों की आग में जलता है  धर्मनिरपेक्षता के नाम पर तुष्टीकरण करते

आंखे मेरीखुली है आंखे मेरीआईना तलाश न करमेरे भी शिवा कोई आशना तलाश न करसितारे तोड़ने हो तो बुलंदियां तय करजमी पर जाने वफ़ा आशमा तलाश न करकही पड़ न जाए तेरा खुद वजूद खतरे मेंमुझे जलने को तू बिजलियाँ 

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