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देशप्रेम

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न पूछो क्या पहचान हमारी है,आजाद भारत देश की कहानी है।शान तिरंगा ये जान हमारी है,तिरंगे की यह शान पुरानी है।।आजाद वतन के हम बाशिंदे,भाषाएं भले ही हमारी अनेक।अनेकता में एकता हमारी जान,तिरंगा ही हमारी शा

1-हर व्यक्ति जन्म लेता है गो-पुत्र के रूप में-इसलिये उसका एक गोत्र होता है।2-हर व्यक्ति अपना विवाह मुहूर्त चाहता है -गो धूलि बेला में।3-हर व्यक्ति मृत्यु के बाद जाना चाहता है गोलोक धाम,हर आत्मा चाहती

समुद्र-मंथन से जो चौदह रत्न निकले उनमें एक कामधेनु थी। सभी गौएं कामधेनु ही की संतानें हैं। सभी कामनाओं व सुखों को देने वाली होने के कारण गाय कामधेनु कहलाती है । गाय का रोम-रोम सात्विकता और पवित्रता से

सबको बस अपने अधिकारों की पड़ी है  जिम्मेदारी गुमसुम सी एक कोने में खड़ी है  अधिकारों के लिए आसमां सिर पे उठा रखा है  जिम्मेदारी से सबने अपना पल्ला झाड़ रखा है  "निरंकुश अधिकार" "जि

बाहर से शर्मिला है तब तो फिर जहरीला है चल धरती का रंग बता अंबर नीला नीला है उतने तो हम भूले बैठे जो तेरा टंडीला है तेरा पर्वत है तुझे मुबारक अपना खुद का टीला है राजनीत की गर्म हवा है प्रेम

पत्र लिखा एक फौजी ने, अपने घर को भेज दिया, ख़त मिलने से पहले, तिरंगे में लिपटा वह खुद पहुंचा,   तिरंगे में लिपटे बेटे को, मां देख रही स्तब्ध खड़ी,   तभी डाकिया आ पहुंचा, ख़त लेकर उसके बेटे क

फौजी के जीवन की गाथा, गाना इतना आसान नहीं, फौजी की वर्दी धारण करना, हर किसी के बस की बात नहीं, देश प्रेम का जज़्बा जिसके मन में, तूफ़ान मचाता है, जिसके आंखें में मातृभूमि, अपनी माता सी दिखती है, जिसके

-----वतन परस्ती------( अंतिम क़िश्त )उधर आइएस आई की देखरेख में 5 हज़ार पाकिस्तानी सैनिकों को अफ़गानिस्तान स्थित लश्करे माज़ी के मुख्यालय में भेजने की तैयारी भी मुकम्मल हो गई । शाम 5 बजे मुस्तफ़ा, इक़बा

-----वतन परस्ती--- ( चौथी किश्त)इस बीच पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियां बढने लगीं । रोज़ समाचार आने लगे कि यहां पचास आदमी मरे तो वहां 100 आदमी मरे । एजेन्सियों को पता चला कि ये सारी घटनाएं अफ़गानिस्तान

-----वतन परस्ती----( तीसरी क़िश्त )इस तरह कुछ दिनों के लिए  मुस्तफ़ा , विक्रम के ही घर में रहने लगा । विक्रम अविवाहित था और मुस्तफ़ा से चार वर्ष छोटा था । कद, काठी,रंग , रुप में दोनों के बीच बहुत सम

                              रचनाकार - रामावतार चन्द्राकर🎄🎄🎄🎄🎄🎄🎄🎄🎄🎄ऐ जन्म भूमि तेरे चरणों पर, नित सादर श

-----वतन परस्ती----(कहानी दूसरी क़िश्त)देखते ही देखते 20 साल गुज़र गए। अब पाकिस्तान और भारत के संबहधों में कड़वाहट आ गई। अब दोनों तरफ़ से जासुसी गतिविधियां भी तेज़ हो गईं । इसी तारतम्य मेरी  पाकि

    कविता का नाम - पथिकरचनाकार -रामावतार चन्द्राकरऐ राह ए मुसाफिर जीवन के ,पग पग देख के चलना,शूल है बिखरे हुए हर पथ पर,तुम मत कभी मचलना ।              &nbs

÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷दीपक को क्या पता अंधेरा कहाँ है, उजाले में भी जलाओ जलता रहता है !गैरो को क्या पता नब्ज नाजुक है कहाँ, वो तो अपने है जो इशारे किया करते है !!÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷छि

-----( वतन परस्ती-)  कहानी प्रथम क़िश्त अर्जुन और उनके साथियों को इस्लामाबाद की सड़कों पर घूमना अच्छा लग रहा था । बीस लोगों का यह जत्था “ इंडो-पाक सांस्क्रितिक- साहित्यिक एक्स्चेंज बोर्ड” के त

कल 8 मार्च है महिला दिवस मैंने अपनी इस कविता में प्राचीन कालीन नारियों के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन किया है। मैं कहां तक सफल हुई हूं इसका निर्णय आप लोग कीजिएगा। नारी शक्ति के विविध स्वरूपों का हर युग

  :- रामावतार चन्द्राकर ÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷दीपक को क्या पता अंधेरा कहाँ है, उजाले में भी जलाओ जलता रहता है !गैरो को क्या पता नब्ज नाजुक है कहाँ, वो तो अपने है जो इशारे किय

:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::"अधिकार" समान मिले सबको ,भारत का गौरव और हो ऊँचा ।जब मानव को मानव पहचाने ,तब पुष्ट हो मानव धर्म समूचा ।समता का भाव सुदृढ़ बने ,और मतभेदो

🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮स्वतन्त्रता अच्छी नही ,           होती जो संस्कार हीन।कभी कभी बेगैरत भी,           कर जाती घर को मलि

🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮 स्वतन्त्रता का दीपक है वो जला गया,महाकाल बनके दुश्मन को है दला गया।तमारी बनके उसने तम को खूब हरा है,करके फ़िजा को रोशन है वो चला गया ।।🇨🇮🇨🇮🇨🇮

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