*सनातन धर्म में मनाये जाने वाले सभी पर्व एवं त्यौहार ही सनातन धर्म की दिव्यता का द्योतक हैं | भारत इतना विशाल देश है यहाँ अनेकों धर्म सम्प्रदाय के लोग रहते हैं | यहाँ वर्ष भर प्रतिदिन कोई न कोई पर्व , व्रत एवं त्यौहार मनाये ही जाते रहते है | सनातन धर्म में व्रत एवं त्यौहारों की एक लम्बी सूची है | इन
*सनातन धर्म की प्रत्येक मान्यताओं के तरह चातुर्मास्य व्रत का बहुत बड़ा महत्व है | भगवान सूर्य के मिथुन राशि में आने पर चातुर्मास्य प्रारंभ होता है | यह आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को होता है | जिसे हरिशयना एकादशी के नाम से जाना जाता है | आज के दिन सृष्टि के पालन कर्ता भगवान श्री हरि विष्णु चा
*भारत देश को महान बनाने में सनातन धर्म का महत्वपूर्ण योगदान रहा है | सनातन धर्म के अनुयायी ऋषियों / महर्षियों एवं साधकों ने अनन्तकाल तक कठोर साधना करके मानवमात्र को नये - नये आविष्कार करके दिये | मनुष्य को कुछ भी प्राप्त करने के लिए साधना करनी ही पड़ती है | सनातन में बताये गये चार पुरुषार्थ धर्म , अ
कार्तिक माह में मनाए जाने वाले पंचपर्वों में पांचवा दिन होता है यम द्वितीया का , जिसे भैया दूज के नाम से जाना जाता है | धन्वंतरि जयंती से प्रारंभ होकर की भैया दूज तक ५ दिन तक लगातार मनाया जाने वाला पंच पर्व भैया दूज के साथ ही संपन्न हो जाएगा | भाई बहन के प्यार , स्नेह का अप्रतिम उदाहरण प्रस्तुत करने
कहते हैं कि सियासत भले ही सामाजिक सद्भाव और सांप्रदायिक सौहार्द की बात को न समझे लेकिन लोक आस्था के महापर्व छठ की छटा ऐसी है, जहां सिर्फ और सिर्फ सामाजिक सद्भाव और समरसता का ही दृश्य दिख रहा है. जी हां, मुजफ्फरपुर के छठ घाटों की सफाई में जुटे मुस्लिम समाज के युवा वैसे लोग
*भारतीय पर्वों की एक प्रधानता रही है कि उसमें प्रकृति का समावेश अवश्य रहता है | प्रकृति के वातावरण को स्वयं में समेटे सनातन धर्म के त्यौहार अपना अमिट प्रभाव डालते हैं | फसल के घर आने की खुशी में जहाँ दीपावली मनाई जाती है ! वहीं दूसरे दिन मनाया जाता है "अन्नकूट" | जैसा कि नाम से ही परिभाषित हो रहा है
*सनातन धर्म वैसे तो समय-समय पर पर्व एवं त्यौहार मनाए जाते रहते हैं , परंतु कार्तिक मास में पांच त्योहार एक साथ उपस्थित होकर के पंच पर्व या पांच दिवसीय महोत्सव मनाने का दिव्य अवसर प्रदान करते हैै | आज कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन से प्रारंभ होकर के शुक्ल पक्ष की द्वितीया का पर्वों का
आप सभी को बता दें कि दिवाली का इंतज़ार सभी को है और सभी दिवाली मनाने के लिए तैयारी में जुटे हुए हैं. ऐसे में इन दिनों कई लोगों के मन में यह सवाल आ रहा है कि ‘क्या हर दीपावली नई लक्ष्मी-गणेश मूर्तियां खरीदना चाहिए..?’ ऐसे में अगर आपके पास भी इसका जवाब नहीं है तो आइए हम बतात
बिहार में क्यों मनाया जाता है छठ पूजा का पर्व, क्या है इसका इतिहास- भारत के प्रमुख भौगोलिक और सांस्कृतिक त्योहारों (लोक त्योहारों) में से एक है छठ पूजा। इसकी मान्यता वैदिक काल से ही है, इसीलिए यह प्राचीन परंपराओं का धनी पर्व है। अगर आप भी इस त्यौहार के बारे में जानना चाहत
धर्म आज के समय सबसे सवेंदनशील मुद्दा है।धर्म के लिए लोग किसी हद तक जाने को तैयार रहते हैं।आज हम आपको ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने हाल ही में धर्म परिवर्तन किया है वो भी पुरे परिवार के साथ और भगवान श्री राम को लेकर एक बड़ी बात भी कही है।उसकी बातों में कितनी सचाई ये तो वो स्वयं ही बता स
हमारे देश में जब योग और वंदेमातरम जैसी चीज़ों को कट्टरपंथी धर्म के चश्मे से देखते हैं भला ऐसे में भारत मे श्रीमद्भागवत गीता को स्कूल में पढ़ाया जाना संभव कैसे हो सकता है। लेकिन एक अरब देश ऐसा भी है, जिसने श्रीमद्भागवत गीता को एक विषय के रूप में कॉलेज में पढ़ाना शुरू भी कर
*सनातनकाल से ही कालगणना के आधार पर एक वर्ष को बारह महीनों में विभक्त किया गया है | इन बारह महीनों में सभी अपने स्थान पर श्रेष्ठ हैं परंतु "कार्तिक मास" को सर्वश्रेष्ठ कहा गया है | कार्तिक मास भगवान विष्णु को इतना प्रिय है कि इसका नामकरण ही "दामोदर - मास" हो गया | कार्तिकमास के महत्व को दर्शाते हुए भ
सूरदास के दोहे और उसका हिंदी अर्थ | Surdas ke dohe Hindi meinकृष्ण भक्ति के कवियों में सर्वोपरि सूरदास के दोहे में भगवान श्री कृष्ण की महिमाओं का सुन्दर वर्णन देखने को मिलता है. Surdas ke dohe कृष्ण के प्रति उनकी अनन्य आस्था को दिखाते है. सूरदास की प्रमुख रचनाएं ब्रज
*सनातन काल से ही संस्कृति का विस्तार करने के उद्देश्य से हमारे ऋषियों / महर्षियों / विद्वानों एवं राजा - महाराजाओं तक ने विशेष योगदान दिया | सनातन संस्कृति का विस्तार कैसे हो ?? इसकी मान्यतायें एवं विचार जन जन तक कैसे पहुँचें ?? इस पर गहनता से विचार करके हमारे महापुरुषों ने समाज में घूम घूमकर सतसंग
*सनातन हिंदू धर्म अपनी ज्येष्ठता एवं श्रेष्ठता के लिए संसार में सर्वत्र मान्य हुआ है | विश्व के अनेकानेक विद्वानों विचारकों एवं दार्शनिकों ने सनातन धर्म के इस तथ्य को स्वीकार किया है | यह धर्म मात्र कुछ सिद्धांतों , संस्कारों एवं विश्वासों की धर्म व्यवस्था मात्र नहीं बल्कि वैज्ञानिक तथ्यों पर व्यवस्
इसी दिन भगवान् कृष्ण महारास रचाना आरम्भ करते हैं। देवीभागवत महापुराण में कहा गया है कि, गोपिकाओं के अनुराग को देखते हुए भगवान् कृष्ण ने चन्द्र से महारास का संकेत दिया, चन्द्र ने भगवान् कृष्ण का संकेत समझते ही अपनी शीतल रश्मियों से प्रकृति को आच्छादित कर दिया। उन्ही किरणों
*भारतीय सनातन संस्कृति एवं हिंदू धर्म का आधार हमारे चारों वेद रहे हैं | हमारे इन वेदों में विश्व के समस्त ज्ञान , समस्त कलायें एवं जीवन जीने का दिशा - निर्देशन समस्त मानव जाति को प्राप्त होता रहा है | जब संसार में कोई धर्म नहीं था तब मानवमात्र के कल्याण के लिए वेदों का प्राकट्य हुआ | इन्हीं वेदों की
*सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि |* *सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी ||* *महामाया जगदम्बा के विभिन्न स्वरूपों में मुख्यत: नौ स्वरूपों की आराधना नवरात्रि के पावन अवसर पर भक्तों के द्वारा की जाती है | इस नौ स्वरूपों में महानवमी के दिन नवम् शक्ति "सिद्धिदात्री" क
*श्वेते वृषे समारुढा श्वेताम्बरधरा शुचिः |* *महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा ||* *पावन नवरात्र के आठवें दिन भगवती आदिशक्ति की पूजा "महागौरी के रूप की जाती है | मां महागौरी का रंग अत्यंत गौरा है इसलिए इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है। मान्यता के अनुसार अपनी कठिन तपस्या से मां ने गौर वर्ण प्र
जिनका विश्वास ईश्वर में है वो मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च में विश्वास नहीं रखते, जो मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च में विश्वास रखते है वो ईश्वर में नहीं राजनीती में विश्वास रखते है. ईश्वर के नाम पर दंगे नहीं होते, दंगे धर्म