कहते हैं कि सियासत भले ही सामाजिक सद्भाव और सांप्रदायिक सौहार्द की बात को न समझे लेकिन लोक आस्था के महापर्व छठ की छटा ऐसी है, जहां सिर्फ और सिर्फ सामाजिक सद्भाव और समरसता का ही दृश्य दिख रहा है. जी हां, मुजफ्फरपुर के छठ घाटों की सफाई में जुटे मुस्लिम समाज के युवा वैसे लोगों को एक बड़ी सीख दे रहे हैं, जो गाहे-बगाहे धर्म के नाम पर समाज को बांटने में लगे रहते हैं. भगवान भास्कर की अर्चना वाले पर्व में देखिए कैसे सामाजिक समरसता की धारा बह रही है.
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के पताही स्थित दुर्गा स्थान छठ घाट पर सिर पर टोपी लगाये मुस्लिम युवाओं की टोली अपने काम में लग गयी है. सभी के हाथों में फावड़ा और टोकरी है. वह मनोयोग से छठी मइया की सेवा में लगे हुए हैं. उन्होंने पूरे घाट की सफाई की और अर्ध्य वाले स्थान को पूरी तरह साफ किया. उनकी इस निष्ठा को देखकर स्थानीय लोग भी उनकी काफी सराहना कर रहे हैं. पौराणिक मान्यता है कि महाभारत में कुंती ने भी सूर्य की अराधना के लिए छठ व्रत किया था. साथ ही सावित्री ने भी सत्यवान के लिए छठ किया था.
मुजफ्फरपुर के दुर्गा स्थान छठ घाट पर सैकड़ों श्रद्धालु हर वर्ष छठ करते हैं. इस बात तालाब में गंदगी ज्यादा थी. उसके बाद 15 से 20 मुस्लिम युवाओं की टोली ने घाट पर आकर गंदगी देखी और उसकी सफाई में भीड़ गये. उनकी मेहनत रंग लायी और अब पूरा घाट पूरी तरह स्वच्छ दिखने लगा है. घाट की सफाई कर रहे तमन्ना हाशमी कहते हैं कि छठ पर्व इनके लिए भी खुशियां लेकर आता है, यह लोग सभी घाटों की सफाई में मदद करते हैं और छठ का प्रसाद खाते हैं. लोक आस्था के महापर्व की शुरुआत कल से नहाय खाय के साथ शुरू हो रही है. अगले चार दिनों तक यह पवित्र उत्सव पूरे बिहार में हर्षोल्लास के साथ मनाया जायेगा. इस बीच में मुस्लिम युवाओं द्वारा साफ-सफाई कर इस पूजा में मदद करने एक सामाजिक सद्भाव का मिसाल कायम करने के लिए काफी है.