*सनातनकाल से ही कालगणना के आधार पर एक वर्ष को बारह महीनों में विभक्त किया गया है | इन बारह महीनों में सभी अपने स्थान पर श्रेष्ठ हैं परंतु "कार्तिक मास" को सर्वश्रेष्ठ कहा गया है | कार्तिक मास भगवान विष्णु को इतना प्रिय है कि इसका नामकरण ही "दामोदर - मास" हो गया | कार्तिकमास के महत्व को दर्शाते हुए भगवान वेदव्यास ने स्कन्दपुराण में लिखा है :-- "मासानां कार्तिक: श्रेष्ठो , देवानां मधुसूदन: ! तीर्थं नारायणाख्यं हि , त्रितयं दुर्लभं कलौ !!" अर्थात :- सभी महीनों में श्रेष्ठ कार्तिक मास एवं सभी देवों में श्रेष्ठ भगवान मधुसूदन तथा तीर्थों में विष्णुतीर्थों की महत्ता कलियुग में मानी गयी है | आगे लिखते हुए व्यास भगवान कहते हैं ;-- "न कार्तिसमो मासो , न कृतेन समं युगम् ! न वेदसदृशं शास्त्रं , न तीर्थं गंगा समम् !!" कहने का तात्पर्य यह है कि अनेक पुराणों एवं शास्त्रों में कार्तिक मास को सर्वश्रेष्ठ माना गया है क्योंकि जो पुण्य वर्षपर्यन्त पुण्य दान करने से प्राप्त होता है वही फल कार्तिक मास में सूर्योदय के पूर्व किसी नदी , तालाब या सरोवर में स्नान करने मात्र से प्राप्त हो जाता है |कार्तिक मास में ईश्वरीय आराधना से सभी कुछ प्राप्त करने की व्यापक संभावनाएं होती हैं | कहा जाता है कि जब शंखासुर वेदों को चुराकर समुद्र में ले गया तो भगवान विष्णु ने कहा था कि आज से मंत्र-बीज और चारों वेद प्रतिवर्ष कार्तिक मास में जल में विश्राम करेंगे | यही कारण है कि कार्तिक स्नान को अक्षय फल प्रदाता कहा जाता है | इस मास में व्रत करने से कीर्ति, तेज, आयु, संपत्ति,
ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है | कार्तिक मास में चंद्रमा अपनी किरणें सीधी पृथ्वी पर डालता है | चंद्रमा की किरणों से ऊर्जायित जल में स्नान से मनुष्य को लाभ मिलता है |* *आज जहाँ समस्त मानव जाति किसी न किसी प्रकार के रोग से पीड़ित होकर कराह रही है वहीं भगवान वेदव्यास स्कंद पुराण में घोषणा करते हैं कि :--। स्कंदपुराण के वैष्णवखंड में कार्तिक व्रत के महत्व के विषय में कहा गया है- "'रोगापहं पातकनाशकृत्परं सद्बुद्धिदं पुत्रधनादिसाधकम् ! मुक्तेर्निदानं नहि कार्तिकव्रताद् , विष्णुप्रिया दन्यदिहास्ति भूतले !!"' अर्थात् :- किसी भी प्रकार के रोगी हों कुछ उद्यम करके अपने रोगों से मुक्ति पा सकते हैं क्योंकि इस पवित्र कार्तिक मास को जहां रोगापह अर्थात् रोगविनाशक कहा गया है, वहीं सद्बुद्धि प्रदान करने वाला, लक्ष्मी का साधक तथा मुक्ति प्राप्त कराने में सहायक बताया गया है | मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" बताना चाहूँगा कि जहाँ एक ओर पवित्र कार्तिकमास अनेकों त्यौहार लेकर आता है वहीं इस पवित्रमास में दीपदान एवं तुलसीपूजन का विशेष महत्व है | नित्य सुबह सूर्योदय के पूर्व स्नान करके तुलसीपूजन एवं दीपदान करने से मनुष्य को मनवांछित फल मिलता है | विशेष रूप से कन्याओं द्वारा पूरे महीने तुलसी पूजन एवं दीपदान करने से मनचाहा पति मिलता है | कार्तिक मास को मोक्ष का द्वार भी कहा गया है | तुलसी हमारी आस्था एवं श्रद्धा का प्रतीक है | वर्ष भर तुलसी को जल चढाना एवं सायंकाल को दीपक जलाना श्रेष्ठ है परंतु कार्तिक मास में तुलसी को जल एवं दीपदान करने से मनुष्य अनंत पुण्य का भागी होता है | चूंकि तुलसी में लक्ष्मी जी का निवास माना गया है अत: कार्तिक मास में तुलसी पूजन करने वालों पर लक्ष्मी जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है |* *हमारे पुराणों में कार्तिक मास के स्नान, व्रत की अत्यंत महिमा बताई गई है | इस मास का स्नान, व्रत लेने वालों को कई संयम, नियमों का पालन करना चाहिए तथा श्रद्धा भक्तिपूर्वक भगवान श्रीहरि की आराधना करनी चाहिए |*