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‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️
🟣 *श्री हनुमान चालीसा* 🟣
*!! तात्त्विक अनुशीलन !!*
🩸 *उन्नीसवाँ - भाग* 🩸
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*गतांक से आगे :--*
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*अठारहवें भाग* में आपने पढ़ा :
*महावीर विक्रम बजरंगी*
के अंतर्गत
*महावीर*
अब आगे :---
*विक्रम बजरंगी*
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*महावीर* के साथ ही रोमांचित साहस पूर्ण कार्यों को सहज ही कर देने के कारण आप *विक्रम* भी कहे जाते हैं | आपकी देह *वज्र* की बनी हुई है अर्थात *वज्र* यथा अखंडनीय कठोरतम पदार्थ है | इसी प्रकार आपकी देह इतनी बलवती है कि *वज्र* की भांति इस पर शत्रुओं के किसी अस्त्र-शस्त्र के प्रहार का कोई प्रभाव नहीं होता है | जब आप का प्रहार शत्रु पर होता है तो *वज्राघात* से कम नहीं होता | युद्ध में जिनको *वज्र प्रहार* से भय नहीं आता था वह भी आपकी मुष्टिका प्रहार से भय खाते थे | रावण का पुत्र मेघनाद इंद्रजीत कहलाता था , वह इंद्र के *वज्राघात* से भी भय नहीं खाता था परंतु उसे भी हनुमानजी के प्रहार से भयभीत होकर दूर भागने के अतिरिक्त कोई मार्ग नहीं दिखाई पड़ा | जैसा कि बाबा जी ने *मानस* में लिखा है :--
*बार-बार पचार हनुमाना !*
*निकट न आव मरम सो जाना !!*
यद्यपि अस्त्र में आपके पास *बज्र* की गदा शोभित है किंतु युद्ध में भी गदा के स्थान पर मुष्टिका ही *वज्रांग* होने से पर्याप्त रहती है | सिंहिका , लंकिनी , मेघनाथ , कुंभकरण एवं यहां तक कि रावण को भी अपने मुष्टिका प्रहार से ही धराशायी कर दिया था |
इस प्रकार हनुमान जी को *विक्रम बजरंगी* कहा गया है | यद्यपि हाथ में *वज्र* ( गदा ) धारण करने के कारण भी *बजरंगी* कहा जा सकता है | जिस प्रकार भगवान शंकर के हाथ में मृत्युंजय स्वरूप में खाट का पाया होने के कारण ही उन्हें *खट्वांग* कहा जाता है , किंतु यहां देश की वलिष्ठता ही *वज्र* कही गई है | हाथ में धारण करने की बात इसी *चालीसा स्तुति)* में आगे कहीं गई है | यथा :- *( हाथ वज्र अरु ध्वजा विराजे )* अतः यहां शरीर की *वज्रता* को ही प्रतिपादित किया गया है |
देह की *वज्रता* दैहिक कर्म में भी स्पष्ट है जिनमें :- मुष्टिका प्रहार , पर्वतों को उठाना ही नहीं बल्कि पाद प्रहार से धरती में धंसा देना भी सम्मिलित है | एक कथा भी प्राप्त होती है कि :- एक बार अति शैशवकाल में माँ अंजनी की गोद से लुढ़ककर पर्वत की चट्टान पर *हनुमानजी* जी के गिर जाने से वह चट्टान टूट गई थी |
इस प्रकार आपके शरीर को *वज्र* के समान मानते हुए बाबा तुलसीदास जी ने *महावीर विक्रम बजरंगी* लिख दिया |
*शेष अगले भाग में :-----*
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आचार्य अर्जुन तिवारी
पुराण प्रवक्ता/यज्ञकर्म विशेषज्ञ
संरक्षक
संकटमोचन हनुमानमंदिर
बड़ागाँव श्रीअयोध्या जी
9935328830
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