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"बाड़ाबंदी" ईवेन्ट के सफल आयोजन से कलेक्टर साहब की धाक पूरे जिले में जम गई । उनके बारे में अनेकानेक प्रकार की किंवदंतियों हवा में तैरने लगीं । कोई उन्हें "मुखिया" जी का "खासमखास" बताने लगा तो कोई "पार

बफर सिस्टम  - 1मैं अपना नित्य कर्म करके श्रीमती जी के समक्ष इस आशा से उपस्थित हुआ कि उनकी कृपा हो जाये तो उनके मखमली हाथों से एक प्याला गरम गरम ग्रीन टी मिल जाए । आप ग़लत समझ रहे हैं जनाब । मैं क

चार साल बीत गए लेकिन आज भी यहां कुछ बदला नही है कॉलेज का वो पहला दिन याद है। वो पहली क्‍लास थी, उस दिन हम सब की घबराहट को कैसे सिद्धार्थ अग्निहोत्री सर ने एक दम फुर्र कर दिया था। पहले दिन सिर्फ इं

रेहान ने नादिया को रोते देख कर गहरी सांस ली और  उसका हाथ छोड़ दिया। "पहले अपना दुपट्टा ठीक करो और फिर यहां से चली जाना।" रेहान ने सख्त आवाज़ में कहा और तो नादिया ने जल्दी से अपना दुपट्टा ठीक किया औ

"आखिर येह ड्रागो है कौन??? क्या येह भी ड्रैगन की तरह मुंह से आग निकालता है?? या फिर उड़ता है??" उस आदमी ने मज़ाक़ उड़ाते हुए कहा। "वज्ज ड्रैगन की तरह ना ही मुंह से आग निकालता है और ना ही उड़ता है मगर वोह ख

सानिया अमान के कमरे बाहर आई और उसे दरवाज़ा नॉक किया लेकिन अंदर से कोई आवाज़ नही आई तो वोह दरवाज़ा खोल कर अंदर चली गयी। अंदर आते ही उसकी नज़र ब्लैक ट्रॉज़र और ब्लैक बांयाज पहेने अपनी तरफ पीठ करके खड़े कानो म

"भाई....मेरा...मेरा मतलब था कि वोह टी वी पर आज शो लगने वाला है जिसमे एडुकेशन के बारे में बताया जाएगा ताकि हमे कुछ इन्फॉर्मेशन मिल सके।" नादिया अपनी उंगलिया चटकाते हुए बात बदल कर बोली। "इस टी वी से तुम

"मुझे.....मुझे छोड़ दो..मैं...मैं ने कुछ नही किया है???"वोह आदमी गिड़गिड़ाते हुए अपने सामने खड़े चेहरा मास्क से छुपाए हुए आदमी से बोला। "माफी....हाहाहाहा ड्रागो की अदालत में सिर्फ सज़ा होती है।" ड्रागो ने

आषाढ का महीना आषाढ़ का महीना अपने अंतिम दिन गिन रहा था । अब कुछ दिनों का ही मेहमान था वह । जिस तरह जब किसी व्यक्ति के "अंतिम दिन" आते हैं तो उससे मिलने नाते रिश्तेदार , अड़ोसी पड़ोसी , यार दोस्त

ज्ञान का गुरुकुल  - 3 आज सुबह सुबह मेरे मित्र हंसमुख लाल जी किसी नौजवान के साथ आये और कहने लगे : भाईसाहब , अपने " ज्ञान के गुरुकुल" की ख्याति दूर दूर तक फैल चुकी है । बड़ी संख्या में लोग इसम

तर्ज  : कोई दीवाना कहता है  सावन की झमाझम ने आस दिल में जगाई है  कलियों की ठिठोली ने प्यास दिल में लगाई है  जवां मौसम सुनाता है गजल कोई मोहब्बत की हसीं ऋतु ओढ़कर चादर हरियाली की आई

(अभी तक आपने पढ़ा कि समीर कैप्टन के कुछ राज पता लगाता है जो समीर और उसकी माँ से भी जुड़े हुए लगते हैं। समीर उन्हें जेनिलिया व जैनी के समक्ष रखता है। उन्हें एहसास होता है कि जैसे कैप्टन समय के चक्कर को म

ज्ञान का गुरुकुल  - 2 हमारे घुटन्ना मित्र हंसमुख लाल जी ने हमें एक ज्ञान का गुरुकुल खोलने का सुझाव दिया था । मैं माथापच्ची कर रहा था कि उस गुरुकुल का नाम क्या रखूं ? हंसमुख लाल जी ने कहा " ह

कलेक्टर और एस पी साहब सामने स्टेज पर सजी दो कुर्सियों पर बैठ गये । उनके बैठने के बाद समस्त अधिकारी भी अपने अपने स्थान पर बैठ गये । कार्यक्रम का संचालन एक विद्यालय के हिन्दी के व्याख्याता आनंद राज "दुख

ज्ञान का गुरुकुल  - 1 आज सुबह सुबह श्रीमती जी से बहस हो गई । अजी , बहस करने की हिम्मत कहां है हमारी । यों कहो कि कहा सुनी हो गई । कहा सुनी का मतलब तो आप सभी ज्ञानी लोग जानते ही हैं कि कहने व

"बाड़ाबंदी" की सफल ईवेंट होने के बाद कलेक्टर अविनाश का रुतबा अचानक बढ गया । मुख्यमंत्री जी के प्रधान सचिव ने स्वयं फोन करके उसकी तारीफों के पुल बांध दिए और कहा "पहली पोस्टिंग के शुरुआती दिनों में ही ज

लाइफलाइन कहावत है "बिन गृहणी घर भूतों का डेरा" । इस पर आज सुबह सुबह बहस हो गई । श्रीमती जी बोलीं "अगर मैं नहीं रहूं तो यह घर भूतों का डेरा बन जाएगा । आपने कभी मेरी वैल्यू नहीं समझी मगर आपको पता च

डायरी सखि, आज तो बहुत दिनों के बाद तुमसे मुलाकात हो रही है सखि । इतने विलंब से मिलने का कारण वही है सखि जो मैंने तुम्हें पहले बताया था । मैं अपनी दूसरी पुस्तक "यक्ष प्रश्न" के लिये रचनाओं की प्रू

यादों का बवंडर आज दिल में फिर से उठा है  रेशमी जुल्फों की महक से "हरि" जी उठा है  हाथों में हाथ था, एक तेरा वो दिलकश साथ था आंखों के आगे वो हसीन मंजर जीवंत हो उठा है  तेरे लबों पे सजता

ज्ञान का गुरुकुल  - 3 आज सुबह सुबह मेरे मित्र हंसमुख लाल जी किसी नौजवान के साथ आये और कहने लगे : भाईसाहब , अपने " ज्ञान के गुरुकुल" की ख्याति दूर दूर तक फैल चुकी है । बड़ी संख्या में लोग इसम

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