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सुबह के 7:00 बजे आम घरो की तरह चतुर्वेदी
निवास मे भी हलचल मची हुई है। किसी क


सुबह के 7:00 बजे आम घरो की तरह चतुर्वेदी
निवास मे भी हलचल मची हुई है। किसी क

अंधेरी रात,,, सुनसान सड़क,,, और उस पर दौड़ती डॉ. बत्रा की कार। बेटवाड

      "इन आंखों को तलाश तेरी "😏😏😏




    "इन आंखों को तलाश तेरी"😏😏😏




इन्सान की समझ सिर्फ इतनी है कि उसे जानवर कहो तो नाराज़ हो जाता है

और

शेर कहो तो ख़ुश



ये जो है सारे इल्ज़ामात गलत है
कह दो उन

यह पंक्तियां माखनलाल चतुर्वेदी जी की पुष्प की अभिलाषा से अभिप्रेरित है बिलासपुर की पुण्य धरा पर

जमाने से है दिल बेखबर  पर 
मन किताब में सबके खत रखता हूँ।

ये जो है अन्दर छुपा मेरे

मेरा बचपन

ना मैं

मेरे भी ऐब कई थे मगर 
सपनों के साथ कुछ टूट गए
हमें मन

ऋतुराज बसंत की बेला में, 

          

जीवन राग अनोखा, जो बूझे आनंद रहे ।

क्षीण हवा का झोंका, सदा बदलते रंग रहे ।


"यूं तो उस से मोहब्बत होने की कोई खास वजह नही......🙂🙂
        &

न देखा जमाना तो जाना ही क्या,

अब तुम्हारे बिना मुस्कुराना ही क्या।

राह ले जाती है म

जो मैं कह ना सका 
  जो मैं दिख ना सका 
 जो मैं सह ना सक

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