"खुद जिन्दगी के हुस्न का मैयार बेचकर, दुनिया रईस हो गई किरदार बेचकर. " अशोक 'साहिल' के ये शब्द और भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक दूसरे के समपूरक नजर आते हैं. चर्चाओं में बने रहने को मोदी कुछ भी कर सकते हैं, कुछ भी कह सकते हैं यह तो उन
गांधी - ईश्वरीय चेतना का एक अवतार लेखक :- पंकज " प्रखर " शास्त्र कहते है की जब भी धरती पर अनाचार,अत्याचार,व्यभिचार,शोषण बढ़ता है तथा लोग आसुरी शक्तियों द्वारा सताये व परेशान किये जाते है, जब कभी मनुष्य अपने देवीय गुणों को छोड़ कर आसुरी प्रवृत्ति की और आकर्षित होने लगता है उस समय ईश्वर महानायक के रू
साहब, राहुल गांधी जी ने कभी कोई मुख्यमंत्री या किसी सरकारी पदवी का चुनाव नहीं लड़ा है। उन्हें इंदिरा गांधी व अत्यधिक अनुभवी कांग्रेसी नेताओं से तुलना करना वैसे ही है जैसे किसी प्राथमिक विद्यालय के छात्र की किसी प्रकाण्ड पंडित से की जाए। जहां तक भाजपा का सवाल है, उसका
हां ! हमनें गांधी को मारा दियाक्योंकि वह करता था आदर्श की बातें?क्योंकि वह चलता था सचाई-नैतिकता की राह परउसकी दी हुई आजादी हमें नहीं भाई,हम आजादी नहीं चाहते थेहम चाहते थे स्वतंत्रता के नाम परअराजकता एक अव्यवस्थाजो आजादी आज हम ढो रहे हैवो नहीं है गांधी के सपनों की आजादीबदला इस इस आजादी से कुछ भी