shabd-logo

दोस्त

hindi articles, stories and books related to dost


दोस्त हमारे जीवन में अहम भूमिका निभाते हैं। वे ऐसे लोग हैं जिनके साथ हम अपने सुख-दुख बांटने के लिए चुनते हैं, और वे हमें भावनात्मक समर्थन, साहचर्य और अपनेपन की भावना प्रदान करते हैं।  हर इंसान के लिए

कितने मौसम है हमारे देश में ,हर मौसम का अपना ही मजा आता है ।सर्दी होती कड़ाके की तो कपड़ो पर कपड़ा पहना जाता है ।और लगे गर्मी ज्यादा तो पहना कपड़ा भी उतर जाता है ।आती बरसात कही बहुत ज्यादा तो कही कम स

हँसते हुए लोग भी दर्द लिए होते हैं,मुस्करा कर भी लोग ज़ख्म दे जाते हैं।कल तक जो हमदर्दी की कसमें खाते थे,वक़्त आने पर वो भी साथ छोड़ जाते हैं।।किसी की खूबसूरत बातों में मत आना,किसी में बहुत सारी खूबियाँ

दोस्ती है एक अनमोल गहना,इसका है कोई मोल ना।जिसके पास होता है दोस्ती रूपी गहना,उससे अमीर दुनियाँ में है कोई ना।।दोस्ती से बड़ा कोई धर्म नहीं होता,दोस्त से बड़ा कोई हमदर्द नहीं होता।दोस्ती से बड़ा कोई रिश्

featured image

कैसे वो लोग होते हैंजिन्हें हम दोस्त कहते हैंएहसास अपनों सावो अनजाने दिलाते हैंजब ज़िंदगी हो खफ़ातो वो आकर थाम लेते हैंखो जाता हूँ जबअनजान रास्तों परतो वो मिल जाते हैमुश्किल हो सफ़र कितना भीमगर वो साथ जाते हैंमुझे आनंदित करते हैंवो पल आज भी 'अश्विनी'जिन पलों में दोस्तों का साथ थाजाने कैसे वो लोग होते

दोस्तों के बहाने, मोहब्बत ना कर तू शराब से;दोस्ती का नशा, शराब से है बढ़कर;दोस्ती के आगे ,शराब और शबाब है झूठे;गर दोस्ती इश्क वाली हैतो जनाब, सच उगल देगी ये शराब।छुपे हुए इश्क को भी ,उजागर कर देगी ये शराब।इसीलिए दोस्ती के बहाने,ना कर तू मोहब्बत शराब से;वर्ना कर देगी बदनाम दोस्ती को भी,अपनी मदहोशी स

अकेले ही आया था वह इस धरा पर,जाएगा भी अकेले ही इस धरा से; सबसे पहले मां साथ आयी,फिर पिता ने हाथ पकड़ा,और बाद में जुड़ गया परिवार से।थोड़ा बड़ा हुआ आसपड़ोस का हुआ सामना,कभी इस घर तो कभी उस घर खेलने लगा ;और बड़ा होने पर स्कूल में प्रवेश के साथ

ख्वाहिश यही है कि बस आप मुझे पहचाना करो,भीड़ में भी कभी नजर आऊं तो पुकारा करो।गर मशहूर भी हो जाऊं,तो तुम्हारी पुकार पे पलट जाऊं।बस यही तमन्ना है दोस्तों, समुंदर की तरह अपने में मस्त बहता रहूं;लेकिन तुम्हे देख लूं तो किनारों तक मिलने पहुंच जाऊं।

भूख पर लिखने से कागज भलें ही भर जाएं, पर किसी का पेट नहीं.. लोगों को लोगों की जरूरत नहीं रहती है, पर लोगों की जरूरतें रहतीं हैं... भरोसा, विश्वास अपने पन के खंजर है, मारने वाले झूठ फरेब से, पीठ में ही नहीं सीने में भी मिठास के साथ उतार देते हैं। बचना ऐसे लोगों से, जो आपको चाहने का छलावा करते हैं। ल

पेट पराया नहीं।पढ़ना,लिखना,हसना,रोना खेल बना गया हैं।पढ़-लिखकर हर इंसान बेरोजगारबन गया हैं।जनता-जनार्दन नेताओं की फेरेवाली माला हैं।जहाँ देखो वही इंसान के साथगड़बड़ झाला हैं।पेट पराया हो नहीं सकता इसीवजह से अपनाए हैं।वर्ना न जाने कब पेट को भीगहने रख आते।बन सहनशाह सड़कों के,ब्यर्थ मे जीवन को बिताते।बैठ दो

Girlfriend के सामने मेरी बजाए मेरे दोस्तआंख में आंसू हो तो हंसाए मेरे दोस्तदुश्मनो के सामने अपने भाई बन जाते हैंमेरे मां-बाप के सामने वे गाय बन जाते हैंकुछ अच्छे तो कुछ बुरे गाए मेरे दोस्तआंख में आंसू हो तो हंसाए मेरे दोस्तजन्मदिन के अवसर पर तशरीफ सूझा देते हैंमन की सारी ज्वाला एक आलिंगन से बुझा देत

कई राते ठंडी बढ़ रही थी पूरा घर रज़ाई मे लिपटा हुआ था घर, आँगन,चौपाल, बरोठ, रज़ाई मे बस सासों का चलनाव घुड़का ही सुनाई देता। नीले आसमान मे आधा चाँद अपनी सफ़ेद रोशनी के साथ घर के बाहरसे गुजरती सड़क को निहार रहा था। सड़क शांत थी दिन की तरह घोड़े के टापूओं की आवाजनहीं थी बैलो की चौरासी नहीं बज रहे थे। मोटर के

Dosto ke bina Har ek pal suna lagta hai,Jaane kyu dost itne jaruri kyu hote hai.Kitne hi gham kyu na ho zindagi mai,Har gham khushi mai tabdil ho jaate hai.Dosto ke bina har pal bejaan sa lagta hai,Na jaane kaise vo log wafa kar jaate hai.Bina dost mahefil bhi bejan lagt

ज़िन्दगी ने किया एक मज़ाक,उस नन्हें नादान के साथ,राहें दर्द देती रहीं उसे,फिर भी वह चुप था| वो हसीं रिश्ता माँ-बेटे का,जिससे वह हमेशा वंचित रहा,ममता के लिए वो तड़पता रहा,फिर भी वह चुप था| पिता तो करते थे प्यार उसे,ले आये नयी

आज फ्रेंडशिप डे नहीं पर ना जाने क्यों तुम्हे याद करने का बड़ा मन हो रहा । शायद मैं एक बुरा दोस्त हूँ या फिर स्वार्थी या दोनों जो तुम्हारी खबर नहीं लेता । पर यार तुम किस मिट्टी के बने हो जो मेरी आवाज पर दौड़ पड़ते हो । मुझसे जुड़ा हर दिन , समय और जगह तुम्हे आज भी बखूबी याद है और मैं फेसबुक के भरोसे रहता

न कर सका जो कोई वैसा काम करले तू।      ऐ दोस्त इस दुनिया में थोड़ा नाम करले तू।     आदमी आते हैं और जाते हैं इस कदर।    इस नामुराद दुनिया की चिंता नहीं मगर।        है दीप जो वीरों का वो ताउम्र न बुझे।       कहना पड़े न नामुराद दुनिया को मुझे।       बनाले ऐसी हस्ती ऐसा दाम करले तू।       ऐ दोस्त इस दुन

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए