shabd-logo

फिल्म जगत एवं सनातन :- आचार्य अर्जुन तिवारी

22 जून 2023

17 बार देखा गया 17

                 
                         *भारत का इतिहास बहुत ही समृद्धशाली  रहा है ! सनातन संस्कृति अपने आप में देदीप्यमान एवं संरक्षित / सुरक्षित रही है ! यदि इतिहास देखा जाए तो सनातन को यदि क्षत-विक्षत करने का प्रयास किया गया या सनातन पर कुठाराघात करने का प्रयास किया गया तो उसके पीछे कोई न कोई सनातनी ही अवश्य रहा है ! यदि कुल्हाड़ी लकड़ी को काटती है तो उस कुल्हाड़ी में लकड़ी का ही वेंट लगा होता है । लोग बड़ी ही मस्ती के साथ उदाहरण दे देते हैं यदि विभीषण ना होता तो लंका न जली होती यहां चर्चा मात्र विभीषण की नहीं बल्कि प्रत्येक उस सनातन धर्मी की होनी चाहिए जो सनातन के विरोधियों के साथ बैठकर गप्पे मारता है । स्वयं को हिंदू एवं सनातनी कहने वाला जब सनातन के विरोध में भाषण देने लगता है या ऐसे मुद्दों पर बात करने लगता है जो सनातन को क्षति पहुंचाने वाले हो तो ऐसे लोगों को विभीषण की संज्ञा दिया जाना कदापि अनुचित नहीं है । सनातन सदैव से देदीप्यमान रहा है और रहेगा क्योंकि सत्य कभी पराजित नहीं होता । सृष्टि के आदिकाल से सनातन धर्म इस भूभाग पर विद्यमान है और प्रलय काल तक विद्यमान रहेगा इसे मिटाने वाले मिट गए इसका विरोध करने वाले धरातल में चले गए परंतु सनातन आज भी धर्म ध्वजा को पहरा रहा है । आज समाज के तथाकथित ठेकेदार जो स्वयं को सनातनी कहते हैं जिसमें ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य सभी वर्ण सम्मिलित है परंतु जहां सनातन की बात आती है वे सनातन के विरोध में ही बोलते हैं । जब विरोध ही करना है तो सनातनी किस बात का ? ऐसे लोगों का बहिष्कार ना करके हम सभी भी सनातन का विरोध ही कर रहे हैं ।*

*आजकल समाज में गांव से लेकर शहर तक एक ही चर्चा सुनाई पड़ रही है फिल्म जगत की । फिल्म जगत ने एक फिल्म बनाकर परोसी है जिसे नाम दिया है "आदि पुरुष" । आज चारों ओर आदि पुरुष की चर्चा एवं विरोध के श्वर सुनाई पड़ रहे हैं । आदि पुरुष फिल्म बनाने वाले दुर्भाग्य से सनातन धर्म के है परंतु उन मूर्खों को शायद यह नहीं पता है कि भगवान श्री राम आदि पुरुष नहीं बल्कि मर्यादा पुरुषोत्तम है जिसे हमारे पुराणों ने पुरुषोत्तम की संख्या दी है उसे मात्र पुरुष कहकर और अमर्यादित भाषा का प्रयोग उनसे कराके किस सनातन धर्म का पालन किया जा रहा है । मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" तो यह कहना चाहता हूं कि आज यदि ऐसे विषयों का विरोध करना है तो ऐसे लोगों का त्याग कर देना चाहिए जो समाज में इस प्रकार के विरोधाभासी विषयों को लेकर आते हैं । ऐसे लोगों की प्रसिद्धि का कारण भी हम आप ही हैं । घटिया संवादों के साथ सनातन संस्कृति को मिटाने का जो कुत्सित प्रयास फिल्म जगत के द्वारा किया गया है और उनके दे वाला  किया गया है जो स्वयं को सनातन धर्मी कहते हैं तो यह स्वयं उनके लिए डूब मरने की बात है और साथ ही उन लोगों के लिए भी डूब मरने की बात है जो ऐसी फिल्मों को देखने जा रहे हैं । सनातन सदैव से "सर्वे भवंतू सुखिन:" का मार्ग अपनाता रहा है परंतु सनातन पर समय-समय पर कुठाराघात होता रहा है और यह कुठाराघात तथाकथित सनातनियों के द्वारा ही होता है इससे सनातन धर्म का कुछ भी बिगड़ने वाला नहीं है परंतु इस प्रकार के विषयों को समाज में ले कर आने वालों का पतन अवश्य निश्चित हैं । जिसने भी सनातन के साथ अनर्गल कृत्य करने का प्रयास किया है उसके साथ प्रकृति स्वयं न्याय कर दिया है क्योंकि कर्म फल का सिद्धांत अटल है ।*

*आदिपुरुष उन लोगों के लिए एक सबक है जो फिल्म जगत को ही अपना भगवान मानते हैं । समय आ गया है कि ऐसे लोगों के मन्तव्य को समझा जाय ।*

     
16
रचनाएँ
ये कहाँ आ गये हम
0.0
आदिकाल से हमारे संस्कार बहुत ही दिव्य रहे हैं इन्हीं संस्कारों को आधार बना कर हमने विश्व पर शासन किया है ! जहां संस्कारों की बात होती थी सारा विश्व हमारी ओर आशा भरी दृष्टि से देखता था परिवार , समाज , राजनीति , कूटनीति आदि की शिक्षा सारे विश्व ने हमारे देश भारत से ही प्राप्त किया है परंतु आज हम अपनी मूल संस्कृति को भूलकर आधुनिक होने का दिखावा करने में लगे हुए हैं जिसके कारण आज हम संस्कार विहीन होते चले जा रहे हैं और मन में यह विचार उठता है कि हम क्या थे और क्या हो गए ! आखिर "ये कहां आ गए हम" |
1

ये कहाँ आ गये हम - १

2 फरवरी 2022
1
0
0

*मानव जीवन बहुत ही दुर्लभ है इस जीवन को पाकर जिसने अपने कर्मों के द्वारा अपना लोक परलोक नहीं सुधार लिया समझ लो उसने खाने और सोने में पूरा जीवन व्यतीत करके व्यर्थ ही इस जीवन को गवा दिया | मानव जीवन में

2

ये कहाँ आ गये हम - २

3 फरवरी 2022
2
0
0

*संसार में जीव माता पिता के माध्यम से आता है , इसीलिए सनातन धर्म में माता-पिता को देवताओं की श्रेणी में रखा गया है ! और "मातृ देवोभव पितृ देवोभव" की उद्घोषणा की गई थी ! माता पिता के ऋण से कभी भी उऋण न

3

ये कहाँ आ गये हम - ३

4 फरवरी 2022
0
0
0

*इस संसार में चौरासी लाख योनियों के बीच मनुष्य सर्वश्रेष्ठ कहा गया है और मनुष्य ने अपनी वीरता , बुद्धि - विवेक के बल पर समस्त सृष्टि पर शासन भी किया है | सबको एक सूत्र में बांधकर चलने का विवेक ईश्वर न

4

ये कहाँ आ गये हम - ४

5 फरवरी 2022
0
0
0

*यह संसार बड़ा रहस्यमय है ! पग पग पर रहस्यों से भरा हुआ यह संसार एक अबूझ पहेली सिद्ध होता रहा है | सृष्टि के विषय में , समाज के विषय में , धर्मग्रंथों में वर्णित विषयों के विषय में मनुष्य सदैव से जिज्

5

ये कहाँ आ गये हम - ५

6 फरवरी 2022
0
0
0

*मानव जीवन एक यात्रा है | इस जीवन यात्रा में मनुष्य अनेकों पड़ावों को पार करता है | इसी जीवन यात्रा का एक मुख्य पड़ाव है विवाह संस्कार | सनातन धर्म में मानव जीवन को चार भागों में विभक्त किया गया है जि

6

ये कहां आ गए हम - भाग ६

12 मार्च 2022
1
0
0

*इस समाज में अनेको प्रकार के लोग होते हैं जो एक दूसरे के कार्यों की समीक्षा करते हैं ! किसी कार्य के लिए मनुष्य की प्रशंसा होती है तो किसी कार्य के लिए उसकी निंदा भी की जाती है ! प्रशंसा और निंद

7

ये कहाँ आ गये हम - भाग - ७

12 अप्रैल 2022
0
0
0

*सनातन धर्म में जहां एक और सबको समान अधिकार मिले हैं वहीं दूसरी ओर कुछ कृत्य कुछ लोगों के लिए वर्जित भी बताये गये हैं | सनातन धर्म का प्राण हैं भगवान की कथाएं , जिसे कहकर और सुनकर मनुष्य आनंद तो प्राप

8

ये कहाँ आ गये हम भाग - ८

25 अप्रैल 2022
0
0
0

*इस संसार में बिना आधार के कुछ भी नहीं है ! जिस प्रकार एक वृक्ष का आधार उसकी जड़ होती है उसी प्रकार प्रत्येक व्यक्ति एवं वस्तु का भी एक आधार होता है | सनातन धर्म के आधार हनारे धर्मग्रन्थ माने जाते हैं

9

ये कहाँ आ गये हम - ९ (अहंकार)

7 मई 2022
1
0
0

*मनुष्य इस संसार में जन्म लेने के बाद अनेक कर्म करता है और उसके सभी कर्म सुख प्राप्त करने की दिशा में ही होते हैं | मनुष्य का लक्ष्य सुख प्राप्त करना होता है | येन केन प्रकारेण मनुष्य के सुख की कामना

10

ये सहाँ आ गये हम भाग - १० (जीवन एक परीक्षा)

5 जुलाई 2022
0
0
0

*चौरासी लाख योनियों में भ्रमण करके जीव को सुंदर मनुष्य का तन मिलता है !  मानव जीवन पाकर के मनुष्य अपनी इच्छा अनुसार सुंदर जीवन यापन करता है ! इस मानव जीवन में पग पग पर मनुष्य को परीक्षाएं देनी होती है

11

वर्ण व्यवस्था एवं समाज :- आचार्य अर्जुन तिवारी

30 अक्टूबर 2022
0
0
0

*सृष्टि के आदिकाल में विराट भगवान के शरीर से मनुष्य की उत्पत्ति हुई ! हमारे वेदों के अनुसार भगवान के मुख से ब्राह्मण , भुजाओं से क्षत्रिय , उदर से वैश्य एवं पैरों से शूद्र का प्राकट्य हुआ ! इस प

12

दृष्टिकोण :- आचार्य अर्जुन तिवारी

25 जनवरी 2023
0
0
0

*चौरासी लाख योनियों में सर्वश्रेष्ठ है मानव योनि ! बड़े भाग्य से मनुष्य का शरीर प्राप्त होता है ,&

13

फिल्म जगत एवं सनातन :- आचार्य अर्जुन तिवारी

22 जून 2023
1
0
0

*भारत का इतिहास बहुत ही समृद्धशाली रहा है

14

आज का समाज एवं ब्राह्मण: - आचार्य अर्जुन तिवारी

28 दिसम्बर 2023
1
0
0

*सनातन धर्म की दिव्यता एवं भव्यता आदिकाल से ही रही है ! यदि सनातन धर्म इतना दिव्य एवं भव्य रहा है तो उसका कारण है सनातन के संस्कार एवं संस्कृति ! सनातन के प्रत्येक अनुष्ठान , पूजा पद्धति एवं संस्कारों

15

शुक्र एवं गुरु अस्त होने पर न करें विवाह :- आचार्य अर्जुन तिवारी

9 मई 2024
1
1
1

*सनातन धर्म में संस्कारों का बड़ा महत्व है ! सनातन धर्म में सोलह संस्कारों का विधान बताया गया है ! जन्म के पहले से लेकर मृत्यु पर्यंत यह सोलह संस्कार मानव जीवन में बड़ा महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं ! इन

16

इंसानियत

8 अगस्त 2024
2
0
0

इंसानियत इंसान की पहचान है ! इंसानियत होने से वह इंसान है !! इंसानियत जिसमें नहीं इंसान क्या ! इंसान होकर भी पशु के समान है !! १ आज करुणा प्रेम गायब हो गये ! मन के सारे भाव शायद सो गये !! कुटिल

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए