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शुक्र एवं गुरु अस्त होने पर न करें विवाह :- आचार्य अर्जुन तिवारी

9 मई 2024

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*सनातन धर्म में संस्कारों का बड़ा महत्व है ! सनातन धर्म में सोलह संस्कारों का विधान बताया गया है ! जन्म के पहले से लेकर मृत्यु पर्यंत यह सोलह संस्कार मानव जीवन में बड़ा महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं ! इन सोलह संस्कारों में सबसे महत्वपूर्ण संस्कार है "विवाह संस्कार" क्योंकि विवाह संस्कार संपन्न होने के बाद ही मनुष्य दांपत्य जीवन में प्रवेश करता है ! इसलिए हमारे मनीषियों ने विवाह संस्कार संपन्न करने के लिए अनेक विधान बताये हैं ! ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों का मानव जीवन पर विशेष प्रभाव पड़ता है ! नवग्रह एवं बारह राशियां प्रत्येक मनुष्य के जीवन को प्रभावित करती हैं !  विवाह संस्कार में राशि एवं ग्रहों का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है ! इसलिए जीवन के महत्वपूर्ण संस्कार विवाह विधान में इन ग्रहों एवं राशियों का विशेष ध्यान रखकर इसे संपन्न करना चाहिए ! प्रत्येक ग्रह मनुष्य के जीवन के किसी न किसी पहलू को प्रभावित करता है ! इसी प्रकार विवाह में भी शुक्र ग्रह एवं गुरु ग्रह को विशेष महत्व दिया गया है ! शुक्रास्त होने पर या गुरु अस्त होने पर विवाह विधान कदापि भी नहीं संपन्न किया जा सकता है , क्योंकि विवाह का कारक शुक्र ग्रह जब अस्त होता है तो भला वैवाहिक कार्यक्रम कैसे संपन्न किया जा सकता है ? जहां शुक्रास्त होने पर मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं वही एक महत्वपूर्ण (विवाह) संस्कार जो जीवन को नई दिशा और दशा प्रदान करता है वह विवाह संस्कार भला कैसे संपन्न किया जा सकता है !  हमारे ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुक्र ग्रह भोग विलास का नैसर्गिक कारण होने के कारण दांपत्य सुख का प्रतिनिधि होता है , वहीं गुरु ग्रह कन्या के लिए पति कारक होता है ! इन दोनों ग्रहों का अस्त होना दांपत्य जीवन के लिए हानिकारक माना गया है ! विवाह मुहूर्त निकालते समय यदि गुरु व शुक्र अस्त हो तो विवाह कदापि नहीं करना चाहिए ! गुरु और शुक्र के उदय होने पर ही विवाह करना शास्त्र सम्मत है ! परंतु आज समाज की धारणा शायद परिवर्तित हो गयी , और इसमें पौरोहित्य करने वाले कुछ तथाकथित विद्वानों की भी भागीदारी देखी जा रही है जो अपने यजमान की इच्छा के आगे शास्त्रमत को किनारे करते दिख रहे हैं !*

*आज समाज सारे विधान अपनी सुविधा के अनुसार करना चाहता है ! ऐसे में समाज के कुछ पुरोधा या तथाकथित विद्वान शुक्रास्त एवं गुरुवस्त में भी अबूझ मुहूर्त बता कर यजमानों को विवाह , सगाई , गोद भराई या वर वरण आदि का मुहूर्त बताते हुए दिख रहे हैं ! आने वाले समय में जबकि शुक्र एवं गुरु अस्त है तो भी कुछ विद्वानों के द्वारा अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त बता करके विवाह संपन्न कर लेने की सलाह दी जा रही है ! मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" ऐसे सभी तथा कथित विद्वानों एवं यजमानों से यही पूंछना चाहता हूं कि जब विवाह का कारक शुक्र ग्रह अस्त है , कन्या के लिए पति का कारक गुरु ग्रह भी अस्त है तो ऐसे में विवाह संपन्न कराने की सलाह देना कहां तक उचित है ? यह सत्य है कि अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त है , परंतु क्या यह अबूझ मुहूर्त विवाह आदि संपन्न करने के लिए उचित है ? जबकि हमारे शास्त्रों में स्पष्ट लिखा है की शुक्र अस्त होने पर यदि विवाह संपन्न किया जाता है तो वैवाहिक जीवन में विषम परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं ! यहां तक कि कभी-कभी वैवाहिक संबंध विच्छेद भी होते देखे गए हैं ! यदि अबूझ मुहूर्त को विवाह संपन्न कराया जा सकता तो पंचांगकारों ने इसका वर्णन क्यों नहीं किया ! क्या उनको इस विषय का ज्ञान नहीं था ! समाज को सही दिशा देने का दायित्व जिनके ऊपर है जब वही अपने दायित्व का निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं तो साधारण मनुष्य भला इन सब विषयों को कैसे जान पाएगा ! आवश्यकता है कि समाज को उचित ज्ञान देते हुए सही दिशा निर्देश दिया जाय ! विवाह संस्कार एक दिन का खेल नहीं है यह जीवन भर का साथ होता है , इसलिए सभी पहलुओं पर विचार करके ही विवाह की तिथि निश्चित करना चाहिए !  परंतु आज लोग मनमाना व्यवहार कर रहे हैं और पुरोहित भी यजमान की इच्छानुसार कार्य कर रहे हैं ! यही कारण है कि आज समाज में अनेकों प्रकार की विकृतियां स्पष्ट दिखाई पड़ रही है !*

*शुक्र एवं गुरु के अस्त होने पर वैवाहिक कार्यक्रम नहीं संपन्न होना चाहिए ! जो ऐसा कर रहे हैं वह अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं और अपने बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं !*article-image
मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

सटीक जानकारी दी आपने सर 🙏👍 आप मेरी कहानी प्रतिउतर और प्यार का प्रतिशोध पर अपनी समीक्षा और लाइक जरूर करें 🙏🙏🙏

10 मई 2024

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रचनाएँ
ये कहाँ आ गये हम
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आदिकाल से हमारे संस्कार बहुत ही दिव्य रहे हैं इन्हीं संस्कारों को आधार बना कर हमने विश्व पर शासन किया है ! जहां संस्कारों की बात होती थी सारा विश्व हमारी ओर आशा भरी दृष्टि से देखता था परिवार , समाज , राजनीति , कूटनीति आदि की शिक्षा सारे विश्व ने हमारे देश भारत से ही प्राप्त किया है परंतु आज हम अपनी मूल संस्कृति को भूलकर आधुनिक होने का दिखावा करने में लगे हुए हैं जिसके कारण आज हम संस्कार विहीन होते चले जा रहे हैं और मन में यह विचार उठता है कि हम क्या थे और क्या हो गए ! आखिर "ये कहां आ गए हम" |
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ये कहाँ आ गये हम - १

2 फरवरी 2022
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*मानव जीवन बहुत ही दुर्लभ है इस जीवन को पाकर जिसने अपने कर्मों के द्वारा अपना लोक परलोक नहीं सुधार लिया समझ लो उसने खाने और सोने में पूरा जीवन व्यतीत करके व्यर्थ ही इस जीवन को गवा दिया | मानव जीवन में

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ये कहाँ आ गये हम - २

3 फरवरी 2022
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*संसार में जीव माता पिता के माध्यम से आता है , इसीलिए सनातन धर्म में माता-पिता को देवताओं की श्रेणी में रखा गया है ! और "मातृ देवोभव पितृ देवोभव" की उद्घोषणा की गई थी ! माता पिता के ऋण से कभी भी उऋण न

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ये कहाँ आ गये हम - ३

4 फरवरी 2022
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*इस संसार में चौरासी लाख योनियों के बीच मनुष्य सर्वश्रेष्ठ कहा गया है और मनुष्य ने अपनी वीरता , बुद्धि - विवेक के बल पर समस्त सृष्टि पर शासन भी किया है | सबको एक सूत्र में बांधकर चलने का विवेक ईश्वर न

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ये कहाँ आ गये हम - ४

5 फरवरी 2022
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*यह संसार बड़ा रहस्यमय है ! पग पग पर रहस्यों से भरा हुआ यह संसार एक अबूझ पहेली सिद्ध होता रहा है | सृष्टि के विषय में , समाज के विषय में , धर्मग्रंथों में वर्णित विषयों के विषय में मनुष्य सदैव से जिज्

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ये कहाँ आ गये हम - ५

6 फरवरी 2022
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*मानव जीवन एक यात्रा है | इस जीवन यात्रा में मनुष्य अनेकों पड़ावों को पार करता है | इसी जीवन यात्रा का एक मुख्य पड़ाव है विवाह संस्कार | सनातन धर्म में मानव जीवन को चार भागों में विभक्त किया गया है जि

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ये कहां आ गए हम - भाग ६

12 मार्च 2022
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*इस समाज में अनेको प्रकार के लोग होते हैं जो एक दूसरे के कार्यों की समीक्षा करते हैं ! किसी कार्य के लिए मनुष्य की प्रशंसा होती है तो किसी कार्य के लिए उसकी निंदा भी की जाती है ! प्रशंसा और निंद

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ये कहाँ आ गये हम - भाग - ७

12 अप्रैल 2022
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*सनातन धर्म में जहां एक और सबको समान अधिकार मिले हैं वहीं दूसरी ओर कुछ कृत्य कुछ लोगों के लिए वर्जित भी बताये गये हैं | सनातन धर्म का प्राण हैं भगवान की कथाएं , जिसे कहकर और सुनकर मनुष्य आनंद तो प्राप

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ये कहाँ आ गये हम भाग - ८

25 अप्रैल 2022
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*इस संसार में बिना आधार के कुछ भी नहीं है ! जिस प्रकार एक वृक्ष का आधार उसकी जड़ होती है उसी प्रकार प्रत्येक व्यक्ति एवं वस्तु का भी एक आधार होता है | सनातन धर्म के आधार हनारे धर्मग्रन्थ माने जाते हैं

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ये कहाँ आ गये हम - ९ (अहंकार)

7 मई 2022
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*मनुष्य इस संसार में जन्म लेने के बाद अनेक कर्म करता है और उसके सभी कर्म सुख प्राप्त करने की दिशा में ही होते हैं | मनुष्य का लक्ष्य सुख प्राप्त करना होता है | येन केन प्रकारेण मनुष्य के सुख की कामना

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ये सहाँ आ गये हम भाग - १० (जीवन एक परीक्षा)

5 जुलाई 2022
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*चौरासी लाख योनियों में भ्रमण करके जीव को सुंदर मनुष्य का तन मिलता है !  मानव जीवन पाकर के मनुष्य अपनी इच्छा अनुसार सुंदर जीवन यापन करता है ! इस मानव जीवन में पग पग पर मनुष्य को परीक्षाएं देनी होती है

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वर्ण व्यवस्था एवं समाज :- आचार्य अर्जुन तिवारी

30 अक्टूबर 2022
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*सृष्टि के आदिकाल में विराट भगवान के शरीर से मनुष्य की उत्पत्ति हुई ! हमारे वेदों के अनुसार भगवान के मुख से ब्राह्मण , भुजाओं से क्षत्रिय , उदर से वैश्य एवं पैरों से शूद्र का प्राकट्य हुआ ! इस प

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दृष्टिकोण :- आचार्य अर्जुन तिवारी

25 जनवरी 2023
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*चौरासी लाख योनियों में सर्वश्रेष्ठ है मानव योनि ! बड़े भाग्य से मनुष्य का शरीर प्राप्त होता है ,&

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फिल्म जगत एवं सनातन :- आचार्य अर्जुन तिवारी

22 जून 2023
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*भारत का इतिहास बहुत ही समृद्धशाली रहा है

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आज का समाज एवं ब्राह्मण: - आचार्य अर्जुन तिवारी

28 दिसम्बर 2023
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*सनातन धर्म की दिव्यता एवं भव्यता आदिकाल से ही रही है ! यदि सनातन धर्म इतना दिव्य एवं भव्य रहा है तो उसका कारण है सनातन के संस्कार एवं संस्कृति ! सनातन के प्रत्येक अनुष्ठान , पूजा पद्धति एवं संस्कारों

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शुक्र एवं गुरु अस्त होने पर न करें विवाह :- आचार्य अर्जुन तिवारी

9 मई 2024
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*सनातन धर्म में संस्कारों का बड़ा महत्व है ! सनातन धर्म में सोलह संस्कारों का विधान बताया गया है ! जन्म के पहले से लेकर मृत्यु पर्यंत यह सोलह संस्कार मानव जीवन में बड़ा महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं ! इन

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