*जब से इस धरा धाम पर सृष्टि का विस्तार हुआ तभी से यहां सनातन धर्म का प्रसार हुआ | सनातन का अर्थ ही होता है शाश्वत अर्थात जो आदिकाल से है | सनातन धर्म अपने आप में अद्भुत इसलिए है क्योंकि सनातन धर्म के महापुरुषों ने जिस ज्ञान - विज्ञान का प्रसाद इस धरा धाम पर किया उसका लाभ मानव आज तक ले रहा है | सनातन
भारत दुनिया की सबसे पुरानी जीवित सभ्यता है। भारतीय भूमि आरंभ से ही अविष्कारों की भूमि रही है और गर्व करने के लिए हम भारतीयों के पास बहुत सी खोज हैं। आइये जानते है की भारत ने दुनिया को क्या दिया |तक्षशिला - पहला विश्वविद्यालय ( Takshashila - World's First University) लगभग
आज हम संचार क्रांति के युग में जी रहे हैं । संचार साधनों ने इतनी प्रगति कर ली है कि संसार का कोई भी कोना हमारी पहुंच से दूर नहीं रहा । चाहे वह दुनिया के दूसरे छोर पर बैठे किसी व्यक्ति से बात करनी हो या फिर दुनिया के किसी हिस्से की खबर लेनी हो, केवल कुछ सेकंड्स में ही आप यह काम अपने मोबाइल या लैपटॉप
भारत में बहुत सारे ऐतिहासिक मंदिर हैं जिनकी अपनी अलग ही कहानी है। इन्हीं मंदिरों में एक हैं तिरुपति बालाजी है जिसकी मान्यता कुछ ऐसी है, जहां जाने से लोगों की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुमाला की
Birsa Munda एक ऐसा नाम जो भारत के आदिवासी स्वसंत्रता सेनानी के रूप में जाना जाता है। वे एक लोकनायक थे जिनकी ख्याती अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में काफी लोकप्रिय हुए थे। उनके द्वारा चलाए जाने वाले सहस्त्राब्दवादी आंदोलन ने बिहार और झारखंड में लोगों पर खूब प्र
दुनिया के महान सेनापतियों में एक नेपोलियन बोनापार्ट का नाम भी आता है। जिन्होंने फ्रांसीसी क्रांतिकरी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उन्होंने कुशलता, बुद्धिमता और कूटनातिज्ञ के चलते यूरोप का नक्शा बदल कर रख दिया था। इतना ही नहीं उन्होंने अनपी विवेकशीलता के चलते फ्रांस की जर्जर सेना को आधुनिक और शक्ति
अभी तक आपने भारत के कई महान योद्धाओं के बारे में जाना और पढ़ा होगा लेकिन दुनिया के जो महान शासक थे उनके बारे में शायद ही आपने सुना हो। इनका नाम नेपोलियन बोनापार्ट था जो फ्रांस के एक महान शासक थे। नेपोलियन ने कभी हारना सीखा ही नहीं था, उन्होंने अपने मजबूत इरादे और अटूट दृढ़संकल्पों के साथ दुनिया के ब
इतिहास अगर क्लास में सब्जेक्ट के तौर पर पढ़ना हो तो भारी लगता है सन और तारीखें भूल जाती हैं. पर फुर्सत में पढ़ें तो किस्से कहानी जैसा मज़ा आता है. रिटायर होने के बाद आजकल फुर्सत है और भारतीय इतिहास के पन्ने पलटने में आनंद आ रहा है. भारतीय उपमहाद्वीप का इतिहास बहुत बड़ा है, फ
भारतीय इतिहास का मध्य काल 700 ईस्वी से 1857 ईस्वी तक माना जाता है. इस युग को भी प्रारंभिक और उत्तर मध्य काल में बांटा जा सकता है. ये विभाजन आम तौर पर सभी इतिहासकारों को मान्य है पर कुछ 900 ईस्वी से मध्य युग का आरम्भ मानते हैं. फिलहाल हमारे सामान्य ज्ञान के लिए विभाजन सही
आदि मानव पत्थरों के हथियार इस्तेमाल करते थे. शिकार करते और जड़ी बूटियाँ और फल खाते थे और एक जगह ना टिक कर ये घूमते रहते थे. धीरे धीरे खेती और पशु पालन की जानकारी बढ़ने के साथ बस्तियां बसनी शुरू हो गईं जो ज्यादातर घाटियों में नदी किनारे थीं. छोटे छोटे ग्रुप या समूह या कबीले
(जो देश चांदतारों, मंगल पर पहुंच कर इठला रहे हैं,विज्ञान के नए-नए आविष्कार कर देश के लिए खुशियां समेट रहे हैं,उन की तुलना में हम कहां हैं ? पढ़ कर आप कीआंखें खुली की खुली रह जाएंगी ।)अधिकतरभारतीय जानते ही नहीं कि, संस्कृति है क्या ? जिसे वे अपनी संस्कृति बता रहेहैं, क
स्वर्गीय सरदार पटेल को सच्ची श्रद्धांजली धारा 370, 35 a की समाप्ति है डॉ शोभा भारद्वाज 15 अगस्त 1947 देश आजाद हुआ अधिकाँश प्रांतीय कांग्रेस समितियों के सरदार पटेल के पक्ष में होने के बाद भी गांधी जी कीइच्छा का सम्मान करते हुए नेहरू जी देश के प्रधान मंत्री बनाया गया ,पटेल उपप्रधान मंत्री एवं गृह मं
आज अगर कोई कहे कि घर में पूजा है, तो ये माना जा सकता है कि “सत्यनारायण कथा” होने वाली है। ऐसा हमेशा से नहीं था। दो सौ साल पहले के दौर में घरों में होने वाली पूजा में सत्यनारायण कथा सुनाया जाना उतना आम नहीं था। हरि विनायक ने कभी 1890 के आस-पास स्कन्द पुराण में मौजूद इस संस्कृत कहानी का जिस रूप में अन
दुनिया के इतिहास में ऐसी-ऐसी घटनाएं हुई हैं कि बहुत से लोग प्रभावित हुए हैं और इसके बारे में हमें हमारे पूर्वजों से पता चला है। जिस तरह से भारत अंग्रेजों का गुलाम बन गया था वैसे ही दूसरे देशों के साथ भी बहुत कुछ हुआ है जिसके प्रमाण इतिहास में मिलते हैं। कुछ ऐसा ही 6 अ
प्रस्तावना - भारतीय क्रांतिकारी इतिहास प्रायः अनैतिक रूप से दो भागों में बाँट दिया गया जो कि उन सभी बलिदानियों के ऊपर आज़ाद भारतियों का कलंक है, जिसका हमें स्वयं ही अभाश नहीं हैं | तथाकथित स्वतंत्रता का राजनीतिकरण कर विद्यार्थियों व् देशवासिओं को त्याग,
संभाजी महाराज | ShambhaJi Maharaj in Hindi- भारत को वीरों की भूमि कहा जाता है क्योंकि यहां पर एक से बढ़कर एक वीर योद्धा जन्म लिए और बिना सिर छुकाए प्राणों की आहूति दे दी। उन्हीं वीर योद्धाओं में एक हैं छत्रपति Sambhaji Maharaj जिनका जीव
https://aakasharcaeoblogger.blogspot.com/?m=0 कृप्या मेरे ब्लॉग में पढ़े।
*सनातन धर्म में चौरासी लाख योनियों का वर्णन मिलता है | देव , दानव , मानव , प्रेत , पितर , गन्धर्व , यक्ष , किन्नर , नाग आदि के अतिरिक्त भी जलचर , थलचर , नभचर आदि का वर्णन मिलता है | हमारे इतिहास - पुराणों में स्थान - स्थान पर इनका विस्तृत वर्णन भी है | आदिकाल से ही सनातन के अनुयायिओं के साथ ही सनातन