कुछ एक दोस्त लोग नाराज हैं की कैराना के लिए लिखी अपनी पिछली पोस्ट में अपनों को ही क्यों कठघरे में खड़ा कर दिया !
सच ही तो लिखा है,और सच कभी किसी को पसंद आया है क्या ? नहीं ! आइना दिखाया , जिसमे बदसूरती दिखी और तुम नाराज हो गए ,अब हम कोई आशिक शायर तो हैं नहीं की चाँद और चांदनी की बात करते रहें ! मगर तुम तो हकीकत सुनने को तैयार नहीं तो स्वीकार कब और कैसे करोगे , ऐसे में तो उसके हल का सवाल ही नहीं ! अपने अंदर झांक कर देखो ,तुमने अपनी आदत इतनी खराब कर ली है की अपने लड़के को खरोंच ना आ जाए इसलिए गर्मी में भी रजाई में ढक कर रखते हो और चाहते हो की मुसीबत में बगल वाले का लड़का भगत सिंह बन जाए ! और अगर वो बन भी जाए तो फिर शांतिकाल में तुम उसी वीर योद्धा रक्षक को नाम रख सको ! यहाँ सच और सीधा सीधा लिख दूंगा तो गांधीवादियों को तकलीफ हो जाएगी ! अब क्यों नहीं गांधी का रास्ता अपना कर एक गाल की जगह दूसरे गाल के बाद अपनी गर्दन भी दे देते हो ! अहिंसा ही जीवन का सम्पूर्ण सच होता तो प्रकृति ने शेर पैदा ही नहीं किये होते या फिर उसे शिकार की जगह घास खाने वाला बनाया होता ! तुम तो इतने कमजोर हो की अपनी कमजोरी को भी सहिष्णुता और संस्कार से ढक लेते हो और सड़क ट्रेन बस में कोई गुंडा-मवाली तुम्हारे घर के बच्चों-महिलाओं-वृद्ध को तंग करे तो उसे रोकने की जगह पुलिस का इंताजार करते हो ! असल में ये कमजोर मानसिकता एक दिन में नहीं वर्षों में तुम्हारे अंदर पैदा की गयी, वो भी षड्यंत्रपूर्वक !
तुम्हारी कमजोरी का एक और उदहारण देता हूँ , एक जनाब हैं , फेसबुकिया हिन्दू वीर ,सोचते हैं की पूरा आकाश उन्ही ने अपने कंधे पर उठा रखा है , पिछले कई दिनों से सिर्फ इस बात पर नाराज हैं की उन्हें दिल्ली की किसी सोशल मीडिया मीटिंग में राजसी न्योता क्यों नहीं मिला , और तब से केंद्र की सरकार को तरह तरह से गरिया रहे हैं !दोस्तों ने बड़ा मनाया मगर किसी फूफा की तरह रूठे हुए हैं जो शादी संपन्न होने तक मुंह फुलाए रखता है और फिर बाद में जिंदगी भर बुआ के ताने सुनता है ! क्या चाहते हो की गृह मंत्री कैराना जा कर घर घर की रखवाली करें , जिससे माया-मुलायम को एक और दांव खेलने का मौका मिल जाए ! ये कजरी लालू हों या ममता नीतीश, तुम्हारी तरह ही कमजोर हैं और कमजोर कभी कमजोर के साथ खड़ा नहीं होता ! बस ये थोड़ा चालक और धूर्त हैं तो सदा किसी मजबूत और संगठित की तलाश में रहते हैं ! जिस दिन तुम मजबूत हो गए देखो कैसे तुम्हारे सामने दुम हिलाते हैं !
मगर तुम्हारी कमजोरी का तो ये हाल है की तुम चाहते हो की बरखा रवीश सरदेसाई तुम्हारे लिए आंसू बहाए ! हद ही हो गई ! अरे ये सिर्फ अपने मालिक के लिए ताली बजाते हैं ! अवार्ड वापसी कांड याद है की नहीं ? शायद नहीं , क्योंकि तुम्हे भूलने की आदत है ! मगर हमें याद है , उन दिनों जब मोदी युग प्रारम्भ भी नहीं हुआ था , तब इन तथाकथित सेक्युलर गिरोह का कितना आतंक था , लेखन के क्षेत्र में ! उन दिनों हिन्दू शब्द भी लेना गुनाह था ! और यहाँ हिन्दू शब्द से मेरा मतलब है हिन्दुओं का सच ! वैसे भी सच लिखना कोई आसान नहीं ! मगर लेखन की दुनिया में सच लिखना इतना मुश्किल था की लाल सलाम के गुर्गे हर जगज नोचने के लिये तैयार रहते थे ! तब भी लिखा था ! इन लोगों के साथ संघर्ष किया ! जब की हम मुठ्ठी भर ही थे ! और विपरीत परिस्थिति में लिखना किसी जंग लड़ने से कम नहीं ! मगर वो किया, जिससे सच सामने आ सके और तुम सड़कों पर संघर्ष कर सको ! आज जो ये ज्वालामुखी है उसकी आग तब की जलाई हुए है , जिसे देख कर जंगली जानवर थोड़े रुके हुए हैं वर्ना अब तक तुम्हे खा कर खत्म कर चुके होते ! सच बोलना, वो भी निर्भयता से , एक लेखक का काम है , वही अब भी कर रहा हूँ , शायद तुम्हारी आत्मा जाग जाए और तुम अपना अस्तित्व बचा सको ! चाणक्य ने तलवार नहीं उठायी थी चन्द्रगुप्त को पैदा किया था , हम तो हमारा धर्म निभा रहे है तुम अपना निभाओ ! हम तो चाणक्य के मार्ग पर धनानंद के काल से चल रहे हैं तुम चन्द्रगुप्त के काल में भी अशोक बनने को तैयार नहीं !