वो हर शहर में रोहिंग्या के लिए सड़क पर उतर रहे हैं ,
तुम कितनी बार किसी अपने के लिए आज तक घर से निकले हो ?
पकिस्तान बांग्लादेश में मारे जा रहे अल्पसंख्यक हिन्दुओं की तो बात ही बाद में आएगी ,
तुम तो अपने ही घर से निकाले गए ना तो कश्मीरी पंडित के लिए सड़क पर उतरे ,
ना तो केरल से लेकर पश्चिम-बंगाल में हो रहे अत्याचार के लिए !
सड़क पर उतर कर चीखना सीखो ,
वरना ध्यान रहे कि बिना रोये तो बच्चे को माँ भी दूध नहीं पिलाती ,
फिर चाहे वो अपना ही बच्चा क्यों ना हो !!