उड़ता पंजाब को देखने के लिए उड़ कर जाने की तो कोई बात ही नहीं लग रही,उलटा पैदल ना जाने के भी कई कारण हैं !ना जाने क्यों फिल्म के ट्रेलर में शाहिद कपूर को देखकर अचानक कश्मीर पर बनी हैदर याद आ गयी जिसमे उसका चरित्र झूठ और एक पक्षीय के साथ साथ वास्तविकता से परे दिखाया गया और अंत तक यही समझ नहीं आता की वो एक पागल की एक्टिंग कर रहा है या दुखी-भ्रमित या फिर आक्रोश की ! और फिर यहाँ तो उसकी फिल्म का डायरेक्टर है अनुराग कश्यप ,अरे वही 'ब्लैक फ्राइडे ' और 'गैंग्स ऑफ़ वासेपुर' वाला ,जो अपनी फिल्मों में सिर्फ और सिर्फ नकारात्मकता परोसता है ,जिसके मतानुसार पूरे समाज में अन्धकार है ,चारों ओर अपराध और आतंक मचा हुआ है,लोग गोलियां चला रहे हैं ,गालियों बक रहे हैं !ये कला नहीं डायरेक्टर के दिमाग का कचरा है जिसकी उल्टी वो अपने हर संवाद से लेकर सपने में भी करता होगा! ऐसे आदमी की नयी फिल्म में क्या हो सकता है ,भैंस जब भी पूँछ उठाएगी गोबर ही करेगी ! और फिर जब से यह सुना है की इसमें आपियो-पापियों का पैसा लगा है तो भैंस के गोबर के अब बदबूदार होने पर कोई शक नहीं रहा! चोर चोर मौसेरे भाई! मगर यहाँ तो आपियों-पापियों का सरगना चोर नहीं पूरा नटवरलाल है जो एक नंबर का अराजक,असमाजिक,अविश्वसनीय और असंतुलित है !अब ऐसे में आम दर्शक को किसी पागल कुत्ते ने तो काटा नहीं जो अपना समय और १०० -५० भी इनके बदबूदार गोबर को देखने जाने में खर्च करे !
वो भी क्या देखने की पंजाब में नशा है ??!!! जो सुना तो बहुत है मगर सच पूछे तो कही दिखा नही ! कम से कम इतना भयावह हालात तो नहीं, जितनी चर्चा हो रही है! पंजाब के एक किनारे से दूसरे छोर तक पिछले कई सालों से जाना-आना लगा रहता है !नशे की समस्या जितनी सुनते हैं उतनी कही नजर नहीं आती !लगता है की यहाँ भी बद अच्छा बदनाम बुरा वाली कहावत चरितार्थ होती है ! हां शराब का सेवन जम कर होता है आख़िरकार पटियाला पैग नाम कहाँ से आया! लेकिन सवाल उठता है की शराब कहाँ नहीं पी जा रही !ताड़ी और खैनी वाले बिहार में सरकार सारे अपराध को नजरअंदाज करके सिर्फ शराब बंदी पर लगी है, तो समझ लो समस्या कितनी बड़ी है और फिर शराब बंदी का प्रयोग हरियाणा में वर्षों पहले किया गया जो असफल हुआ !अनुराग कश्यप दूर नहीं महाराष्ट्र के गावों में घूम आये शराब से हालात कितने ख़राब हैं आसानी से दिख जाएगा !जहां तक रही ड्रग्स की बात तो इसका दुरूपयोग जितना बॉलीवुड में है ,कही और नहीं ! सच कहूं तो सरदार मेहनती , मस्त , जिंदादिल , निडर , आत्मविश्वास से भरे ,खाने-जीने के शौकीन मनमौजी लोग हैं , एक पक्का फौजी जिसका दिल नरम है ! सिख हमारे बड़े भाई ,घर के बड़े बेटे थे, हैं और सदा रहेंगे !हाँ, पंजाब की और कई समस्यायें हैं ,जो किस समाज में नहीं होती है,मगर उस पर बात करने की कोई हिम्मत नहीं करता,क्योंकि ये कइयों की राजनीति को सूट नहीं करता ! ये सच है की गौरवशाली इतिहास वाले इन बहादुर लोगों के पास वर्तमान में कोई परिपक्व नेतृत्व नहीं है ! जिसकी तलाश अभी ख़त्म होती नजर नहीं आती ! बहरहाल ,माय लार्ड ,आपने तो फिल्म पास कर दी मगर असली पास-फेल तो दर्शक करते हैं , जो इस झूठ को कभी पसंद नही करेंगे !