हैदर फिल्म याद है , बिलकुल एक तरफ़ा , इसमें डायरेक्टर की स्वतंत्रता से अधिक उसकी उच्छृंखलता नजर आयी थी ! ये बॉलीवुड वाले क्या और क्यों बेचते हैं अब समझना कोई रॉकेट साइंस नहीं है ! खान से लेकर भट्ट कैम्प की मानसिकता जग जाहिर है ! फिल्मों ने हिन्दुस्तान की संस्कृति से लेकर इतिहास को किस हद तक नुक्सान पहुंचाया है उसका एक छोटा सा उदहारण है की मुगले आजम से अकबर महान स्थापित हो गए जबकि बाजीराव मस्तानी से एक महान योद्धा आशिक बना दिया गया ! बहरहाल अनुराग उड़ता पंजाब में कितना उड़े हैं बिना देखे कुछ भी कहना गलत होगा मगर उनकी अब तक की फिल्में भारत और भारतीयों की छवि इतनी गलत पेश करती आयी हैं की किसी को भी घृणा हो जाए ! इन महानुभाव के व्यक्तिगत दृष्टिकोण , जो की महत्व्पूर्ण होता है , को जानने के लिए इनके पुराने वक्तव्य को याद करने की भी जरूरत नहीं ,बस उनके द्वारा अभी अभी सीधे उत्तर कोरिया का उदाहरण देना ही काफी है , क्या उन्हें नजदीक का सीरिया और इराक नहीं दिखाई दिया था ! वैसे उत्तर कोरिया में होते तो फिल्म छोड़ कुछ और बना रहे होते !