पिछली बार, कब आपने रसोई में चुपचाप जाकर,अपनी जीवन-संगिनीं का अचानक धीरे से चुंबन लिया है ? कब आपने शेविंग -टूथब्रश करते अपने जीवन साथी को, पीछे से बिना झिझक अनायास मगर कसकर आलिंगन किया है? प्रेमभरी कोई भी शरारत क्या आप अब भी करते हैं ? शादी के बाद कुछ दिनों तक तो शायद ऐसा कुछ हुआ हो मगर फिर धीरे धीरे प्रेम अमूमन बिस्तर तक सिमट कर बासी हो जाता है ! और कर जाता है जीवन को नीरस, बोझिल और यंत्रवत !
प्रेम जीवन की एक खूबसूरत अनुभूति है !ईश्वर की अनमोल भेंट! प्रेम की परिणीति प्रणय है! आनंद की सर्वोत्तम अवस्था एवं प्रकृति की स्थायी व्यवस्था! वो भी एकदम मुफ्त! मगर हम प्रेम छिपकर करते हैं और प्रणय रात के अंधेरे में करना पसंद करते हैं ! क्यों? कुछ समाज और संस्कार के डर से कुछ जीवन की आपाधापी के चक्कर में !जबकि घर में भी,दिन के उजाले में, छोटे-बड़ों की आंखे बचाकर,एकांत खोजा जा सकता है !खुलकर प्रेम करने से संस्कार खराब नहीं होते, ना ही सभ्यता का नाश होता है ! कितनी ही भागादौड़ी क्यों ना हो, कुछ पल तो प्रेम के लिए चुराये ही जा सकते हैं !यह आपके जीवन में रस भर देगा,जीवन को रंगीन बना देगा ,एक ऐसी ऊर्जा जो आपको सदा युवा बनाए रखेगी ! इसमें वो नशा है जो शराब की कई बोतलों में नहीं ! यह चुंबन,आलिंगन के अतिरिक्त शब्दों ,आँखो और स्पर्श मात्र से भी व्यक्त किया जा सकता है ! और फिर रोमांस करना सिर्फ युवाओं का ही जन्म सिद्ध अधिकार नहीं !आप किसी भी उम्र के हों,शादीशुदा हों,एक बार अपने जीवनसाथी के साथ यह करके तो देखिए, जीवन के सारे तनाव खत्म और रिश्तों में नयापन आ जाएगा!
आज भोर में ,रात के अंधेरे में नहीं ,अपनी रोमांटिक उपन्यास "तीसरी पारी " की फर्स्ट एडिटिंग पूरी की ! एक ऐसा उपन्यास जो तेजी से बूढ़े हो रहे जवानों-अधेड़ों को भी युवा बनाए रखने का एक प्रयास है ! परिवार में ताजगी और रिश्तों में गर्माहट भरने की एक कोशिश ! पाठक पढ़ कर, जीवन को नए ढंग से जीने के लिए प्रेरित हो सके , प्रेम रस में डूबकर नई पारी खेलने के लिए नए उमंग नए जोश के साथ तैयार हो सके ! सुबह का आलिंगन कर, नए दिन की शुरुआत !