एक अखबार में राजदीप सरदेसाई का लेख "भाजपा की हिंदुत्ववादी रणनीति पर संकट " सरसरी निगाह से पढ़ रहा था ! कोई पूछ सकता है की सरसरी निगाह से क्यों ? तो वो इसलिए की मुझे पता है की इसमें क्या होगा , हिंदुओं की बात हो रही है तो आरएसएस होगा फिर गुजरात का संदर्भ है तो मोदी होंगे और उनका नाम आते ही बात २००२ से शरू की जाएगी ! आप खुद देख लीजिये यह लेख २००२ से शुरू होता है ! ऐसे में इन एजेंडा पत्रकारों को पढ़ना तो समय की बर्बादी ही होगी ! मगर मैं हिंदुओं पर लिखे इनके लेख, सरसरी निगाह से ही सही , जरूर देखता हूँ, यह जानने के लिए ये हिंदुओं को बॉटने और कमजोर करने के लिए और क्या नए हथकंडे अपना रहे हैं !
सवाल उठता है की एक नहीं अनेक हिन्दू पत्रकार इतने हिन्दू विरोधी क्यों हैं ? आखिरकार इन्हें हिंदुओं के एकजुट और मजबूत होने से तकलीफ क्यों है ? अगर इनका एजेंडा किसी समाज को एकजुट नहीं होने देना है तो फिर ये अन्य धर्मो की एकजुटता पर भी उतने ही षड्यंत्र करते ? जबकि इस बात पर तो उनके दिल में भी कोई संदेह नहीं होगा की हिन्दू विचारधारा कम से कम आतंकवादी और विस्तारवादी नहीं है ! तो फिर ये हिंदुओं को इकठ्ठा क्यों नहीं देखना चाहते ? जबकि यह भी सर्वविदित है की भारत तभी तक भारत है जब तक ये हिंदुस्तान बना हुआ है ! और ये ऐशोआराम का जीवन जीने वाले पत्रकार-लेखक भी किसी सीरिया और अफ्रिका जैसे हालात में नहीं रहना चाहेंगे ! सच कहें तो जब ये २००२ की बात करते हैं तो इन्हें उस दौरान हुई हिंसा नहीं बल्कि हिंदुओं का आक्रोश और उसके कारन उनमे हुई एकजुटता दिखाई देती है ,जिसे देख ये बेचैन हो जाते हैं ! क्योंकि अगर इन्हें २००२ में हुई हिंसा की चिंता होती तो फिर गोधरा में जलाई गयी मानवीयता भी जरूर दिखाई देती ! और अगर इन्हें अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की चिंता होती तो ये १९८४ के लिए सिख और कश्मीर के पंडितों के साथ की गयी पशुता पर भी उतनी ही मजबूती से आवाज उठाते ! उन्होंने कश्मीर, १९८४ और गोधरा पर सिर्फ खानापूर्ति की है जबकि २००२ पर एक एजेंडा चलाया है ! और ये तब तक चलता रहेगा जब तक गुजरात में हिंदुओं की एकता टूट ना जाए ! इसके लिए ये कुछ भी कर सकते हैं किसी भी हद तक गिर सकते हैं ! ख़बरों को पैदा करेंगे एक तरफ़ा खबर या असन्तुलित खबर चलाएंगे और ऐसा करने वाले लोगों को प्रमोट करेंगे ! कल इनका इंडिया टुडे और आजतक चैनल गुजरात के नए मुख्यमंत्री की घोषणा पर हार्दिक पटेल की टिप्पणी दिखा रहा था ! यह वही चैनल है जो केजरीवाल को जन्म देकर पाल रहा है ! कई बार मुझे शक होता है की एक अति संपन्न पटेल वर्ग क्या अपना नेता हार्दिक जैसा चुन सकता है ? और मेरे शक की वजह है ! क्योंकि असन्तोष पैदा करना और पांच दस हजार की भीड़ इकठ्ठा कर पाना किसी भी मीडिया के लिए बाए हाथ का काम है वो भी हिंदुस्तान में ! और यहाँ गुजरात में ये इसलिए किया जा रहा है की हिन्दू बिखरे ! फिर उसके लिए फिर चाहे कितने ही केजरीवाल हार्दिक को क्यों ना पैदा करना पड़े ! और ये भी तभी तक इनके लिए काम के हैं जब तक ये इनके एजेंडा पर काम कर रहे हैं ! इन पत्रकारों को अगर दलितों से इतनी ही हमदर्दी होती तो ये दलितों पर कहीं भी किये गए अत्यचार पर उतनी ही मजबूती से आवाज उठाते , जबकि ये सिर्फ वहीं कहते हैं जहां हिंदुओं में एकता है ! वहाँ की कोई छोटी मोटी घटना को भी ये बड़ी बना देते हैं जिससे हिंदुओं में फूट पड़े ! जो यह एक बार फिर साबित करता है की इनका एकमात्र एजेंडा है हिंदुओं को तोडना !
एजेंडा चलाना पत्रकारों का काम नहीं है ! तो फिर ये ऐसा क्यों करते है, कोई कारन तो होगा ? ये लोग तो मुफ्त में हँसते भी नहीं हैं तो फिर इतना बड़ा एजेंडा यूं ही क्यों चलाएंगे ? इन्हें आरएसएस से कोई परेशानी नहीं, मोदी से भी नहीं, इन्हें परेशानी है हिन्दू के एकजुट और मजबूत होने से ! और ऐसा करने का जो भी प्रयास करेगा वो इनके निशाने पर होगा ! फिर सवाल उठता है की वो कौन है जो हिन्दू विरोधी एजेंडा चला रहा है ! हरेक एजेंडा के पीछे कोई उद्देश्य होता है कारण होते है! और उन कारणों पर सवाल पूछने पर जवाब मिल सकते है बशर्ते जवाब खुले दिल दिमाग से दिए जाएँ ! इस के लिए यह जानना जरूरी हो जाता है की ऐसा करने से किसको फायदा पहुचेगा !
हिंदुओं को तोड़ने का काम आजादी के पहले से चल रहा है और वोट बैंक की राजनीति का ही नतीजा बॅटवारा था ! आजादी के बाद भी एक परिवार विशेष ने ये काम, जो उन्होंने अपने राजनैतिक गुरु से सीखा था , उसको चलाकर दशको तक सत्ता प्राप्त की ! तो क्या ये सिर्फ सत्ता का खेल है ? नहीं, अगर ऐसा होता तो हिंदुओं को एकजुट कर भी वोट बैंक बनाने की कोशिश होती ! असल में ये सब हिंदुओं को तोड़ने के एजेंडा के एक मोहरे मात्र हैं ! खेल तो वो खेल रहा है जिसे इससे फायदा हो ! दुनिया के बाजार में आजकल एक धर्म के कमजोर होने से दूसरे धर्म मजबूत होते हैं ! दुनिया जानती है कौन कौन से धर्म मजबूत होना चाहते हैं ? ये दो बड़े धर्म अपने विस्तार के लिए धर्म परिवर्तन का एजेंडा विश्व में चला रहे हैं ! जब कोई परिवार बिखरेगा , चार भाई अलग अलग होंगे तो , किसी एक को अपने में मिलाना आसान हो जाता है ! और ऐसा करने के दौरान अगर सता भी आपके मन माफिक, आप के धर्म परिवर्तन का सहयोग करने वाली हो तो यह काम आसान हो जाता है ! तभी हिंदुस्तान में उसी पार्टी को इनका समर्थन मिलता है जो हिन्दू को तोड़ कर वोट बैंक बनाये, जिससे इनका धर्म परिवर्तन का एजेंडा आसानी से जारी रहे ! अब ये धर्म परिवर्तन का खेल क्या है, क्यों है, यह अपने आप में सता और व्यापार का एक बड़ा खेल है जिसे यहाँ लिखने की आवश्यकता नहीं, हम सब जानते हैं !