हम रोमांटिक थे;
हवा में महल बनाया करते थे ।
चाँद के पास हमने एक नीड़ बसाया था,
मन बहलाने को हम उसमें आया-जाया करते थे ।
लेकिन तुम हमसे ज्यादा होशियार होना,
कविता पढ़ने में समय मत खोना ।
पढ़ना ही हो, तो बजट के आंकड़े पढ़ो।
वे ज्यादा सच्चे और ठोस होते हैं ।
अगर तुम यह समझते हो
कि तुम केवल शरीर नहीं,
आत्मा भी हो,
तो यह अनुभूति तुम्हें,
तकलीफ में डालेगी ।
जो सभ्यता अदृश्य को नहीं मानती,
वह आत्मा को कैसे पालेगी?
विज्ञान की छड़ी जहाँ तक पहुंची है,
बुद्धि सत्य को वहीं तक मानती है।
मशीनों को लाख समझाओ,
वे आत्मा को नहीं पहचानती हैं ।
सांख्यिकी बढ़ती पर है,
दर्शन की शिखा मन्द हुई जाती है ।
हवा में बीज बोने वाले हंसी के पात्र हैं,
कवि और रहस्यवादी होने की राह
बन्द हुई जाती है।