खोजियो, तुम नहीं मानोगे,
लेकिन संतों का कहना सही है ।
जिस घर में हम घूम रहे हैं,
उससे निकलने का रास्ता नहीं है ।
शून्य औए दीवार, दोनों एक हैं ।
आकार और निराकार, दोनों एक हैं ।
जिस दिन खोज शांत होगी,
तुम आप-से-आप यह जानोगे
कि खोज पाने की नहीं,
खोने की थी ।
यानी तुम सचमुच में जो हो,
वही होने की थी ।