- सुनो नाश्ता लगा दिया.- आया. - अचार लोगे ?- नहीं.- कल की खबर सुनी?- क्या?- वो जो कोने वाला मकान है दो मंजिला?- हाँ गोयल पेट्रोल पंप वाले का?- वही वही. कल बड़ा तमाशा हुआ. कल शाम को एक औरत गाड़ी चला कर एक बच्चे के साथ आई. गोयल के मकान के सामने गाड़ी खड़ी करके अंदर चली गई. जा क
खैर समय गुजरा मन्नू जी चीफ मैनेजर बन गए और उन्हें मुम्बई भेज दिया गया. एक साल रह गया था रिटायर होने में और ऐसे में तो दिल्ली ही रखना चाहिए था पर मुम्बई भेज दिया. कमबख्त एच आर डी का दिमाग उलटा ही चलता है. खैर हो सकता है इसी बहाने करीना से मुलाकात हो जाए! मनोहर नरूला जी
ये कौन ? फिरंगी! हाय राम... जिन्होंने हमारे देश को गुलाम बनाया था। सतीश की 80साली दादी बोली।सतीश “अरे अंग्रेजों को भारत छोड़े हुए कई साल बीत चुके है वो तो बस घुमने फिरनेआते है हमारे देश में, जैसे कि हम उनके देशों की सैर करने जाते हैं." ये हमारेगांव में क्या कर रहा है ? "
अचानक विजय के पास स्मृति का फोन आयाकहने लगी मुझे तुम एयरपोर्ट तक छोड़ दो ना।तब विजय चौंककर बोला “आजअचानक मुझे क्यों कॉल कर रही हो क्या तुम्हारे माता पिता नहीं छोड़ सकते हैतुम्ह
“चलो यार ज़रा कैंची लाना मैं इसके सामने के थोड़े से बालकाट दूं.”“रेडीहो ना ? पीछे के बाल लंबे ही रहेंगे बस सामने से थोड़ा स्टाइलिशलुक आ जाएगा। क्या है आपका फ़ेस थोड़ा पतला है तो भरा भरा लगेगा.”“बहुत ज्यादा नहीं लेकिन थोड़ा बहुत ज़रुरी है मेक-अप भी,काजल की पतली धार, हल्क
आर्त्तनाद (लघुकथा)रात भर धरती गीली होती रही। आसमान बीच बीच में गरज उठता। वह पति की चिरौरी करती रही। बीमार माँ को देखने की हूक रह रह कर दामिनी बन काले आकाश को दमका देती। सूजी आँखों में सुबह का सूरज चमका। पति उसे भाई के घर के बाहर ही छोड़कर चला आया। घर में घुसते ही माँ के चरणों पर निढाल उसका पुक्का फट
श्याम गहरे सांवले रंग का लड़का था जिसका कद 5फीट 8 इंच था और उसकी काठी मध्यम थी, शायद उसके सांवले सलौने और मनोहर रुप के चलते ही उसके माता-पिताने उसका ये नाम रखा था। वो अपने पड़ोस में रहने वाली लड़की की तरफ काफी आकर्षित था,जो कि एक प्राइवेट अस्पताल में नर्स थी। मध्यम कद का
पुराने समय की बात हैनगर में सेठ ध्यानचंद रहते थे। वो अपने एक बेटे और पत्नी के साथ सुखमय जीवन व्यतीतकर रहे थे। उनकी दो बेटियां भी थी जिनका विवाह हो चुका था। उनके पुत्र का विवाह भीपड़ोसी शहर में रहने वाले कुलीन घर की कन्या से हुआ था। उनकी बेटे के भी दो छोटे –छोटे पुत्र थे।
मनीषा औरविकास की ज़िंदगी यूं तो बहुत अच्छे से चल रही थी, घर में किसी सुविधा की कमी नहींथी। फिर भी मनीषा को एक अकेलापन हमेशा खाए जाता, विकास भी हाई सैलरी वाली जॉब कररहा था तो वहीं मनीषा एक प्राइमरी स्कूल में प
“ओह कहां रह गई होगी आखिर वो? सारे कमरे में ढूंढनेके बाद सुधीर ने फिर कहा“अरे सुनती होतुमने कोशिश की ढूंढने की”?“हां बहुत ढूंढ ली नहीं मिली.” रमा ने कहा.थोड़ी देर बाद 17वर्षीय मनोहर जो कि उनका छोटा पुत्र था वो भी आ गया और कहने लगा “पिताजी धर्मशाला के आसपास की जिनती भी दु
सन् दो हज़ार अठारह में प्रशासनिक सेवा हेतु बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा के अंतिम चरण का परिणाम आया था। मनीषा को सफलता प्राप्त हुई थी लेकिन मानव कुछ अंकों से असफल हो गया था। मनीषा और मानव अलग-अलग शहरों के रहने वाले थे किंतु दो वर्षों से दोनों पटना में रहते थे और एक ही कोचिंग इंस्टीट्यूट म
कुछ वर्षों पहले कीबात है सज्जनपुर में एक सेठ था जो करोड़ों कमाता था। उसने अपनी सहायता के लिए दीपकनाम के एक सचिव को नियुक्त किया था, क्योंकि सेठ की कोई संतान नहीं थी तो उन्होंने सोचा क्यों नासारी संपत्ति दीपक के नाम कर दी जाए। दीपक उनके बहीखातों का हिसाब तो अच्छी तरहर
उसने उसके भिगोए हुएदो बादाम खा लिए, ये अब उसकी नियमित दिनचर्या का हिस्सा बन चुका था। वो हमेशाअस्वस्थ रहती थी, वो भी सिर्फ 23 साल की उम्र में जब उसका यौवन और सौंदर्य किसी कोभी प्रभावित कर सकता था लेकिन चांद में दाग की तरह कमजोरी के निशान उसके चेहरे परभी दिखाई देने लगे।उसके
ठीक 30 बरस की उम्रमें हैजे से उसकी मौत हो गई, गांव से शहर ले जाया गया उसे। इससे पहले कि उसेअस्पताल ले जाया जाता, यमराज ने उसकी जीवन यात्रा को स्वर्ग तक मोड़ दिया, शायदवहीं गया
सुरेश की उम्र करीब तीस साल और कद 5 फीट 4 इंचथा, सामने से सिर पर बाल थोड़े कम हो रखे थे, एक लंबा कुर्ता और खादी का झोला,हमेशा यही लुक था उसका। ज्यादातर उन विषयों पर लिखना पसंद करता था जिस पर लोगध्यान ही नहीं द
सुरेखा की शहर के बीचों-बीच कपड़े कीबहुत बड़ी दुकान थी। हर तरह की महंगी साड़ियां और सलवार कमीज के कपड़े वहां मिलतेथे। अच्छी ख़ासी आमदानी होती थी उसकी। क्योंकि अकेले दुकान संभालना मुश्किल था तोउसने कांता को अपनी दुकान पर काम करने के लिए रख लि
सचिन को सुबह-सुबह उसके दोस्त का फ़ोन आया वोकहने लगा “अरे वाह तूने तो सच में शहर का नाम रोशन कर दिया”सचिन ने कहा“ अरेक्या हुआ ऐसा”नवनीत ने कहा “तेरा इंटरव्यू छपा था जबलपुर केएक अखबार में”सचिन ने कहा “ओह उसकी बात कररहा है तू”हेडलाईन छपी “शहर
35 साल की वोऔरत माथे पर बड़ा सा तिलक, आंखों में गहरा काजल लगाकर अपने लंबे केश लहराने लगी।“ हां मुझेमहसूस हो रही है, हां मेरे शरीर में उसका प्रवेश हो चुका है....हां उसकी उपस्थितीमुझे महसूस हो रही है...जय मां...जय मां...” मनोरमा ऐसाकहने लगी।अपने मिट्टीसे बने कमरें में लकड़ी
आज मनोहर घरआया तो उसकी मां उसे देखकर हक्की बक्की रह गई, चेहरे की हवाईयां उड़ी हुई और कपड़ों पर मिट्टीऔर धूल के धब्बे ऐसे प्रतीत हो रहे थे किमानो मिट्टी में लोट कर आया हो।तब उसकी मांने पूछा बेटा “ये क्या हाल
अपने स्टील के डब्बेमें रखे कुछ गुलाब जामुन में से एक को निकालकर प्रीति ने अनिमेष के हाथ मेंजबर्दस्ती थमा दिया। उसके बाद अपने दो साल के बच्चें को खिलाने के बाद अपने पति केजबरन मुंह में ठूंस दिया। ऐसी मिठाई खाकर भी ख़ुश नहीं महसूस कर रहा था अ