सुरेश की उम्र करीब तीस साल और कद 5 फीट 4 इंच था, सामने से सिर पर बाल थोड़े कम हो रखे थे, एक लंबा कुर्ता और खादी का झोला, हमेशा यही लुक था उसका। ज्यादातर उन विषयों पर लिखना पसंद करता था जिस पर लोग ध्यान ही नहीं देते या फिर बोलने से कतराते थे। उसकी कई किताबें प्रकाशित हो चुकी थी और उन्हें पुरुस्कार भी मिल चुका था। सुरेश एक किताब लिखना चाहता था जिसकी मुख्य किरदार वो डांस बार में काम करने वाली लड़की को बनाना चाहता था।
इसके लिए वो चुन्नी के पास जा पहुंचा। चुन्नी शहर के एक डांस बार में काम करती थी। उसके ठुमकें और लटके-झटके पर फ़िदा होकर कई लोग उस बार में शिरकत करने लगे। हालांकि वो उसके करीब नहीं जा सकते थे तो दूर से ही अपना मन बहला लेते, जैसे चांद को देखकर चकौर ख़ुश हो जाता है। चुन्नी थी भी बला की खूबसूरत घुटनों तक लंबे बाल, बहुत ज्यादा गोरा रंग, बड़ी बड़ी आंखों पर लगा मोटा गहरा काजल और चटख रंग की लिपस्टिक उसके रुप को मादक बना देती थी। उसके चार छोटे भाई बहन थे और मां टीबी की मरीज़, पिता का चार साल पहले ही एक सड़क दुर्घटना में देहांत हो चुका था। वो सिर्फ 8 वीं तक ही पढ़ पाई थी उसकी मजबूरी उसे वहां ले आई जिसकी कल्पना उसने सपने में भी नहीं की थी। उसका नाच- गाना ख़त्म होते ही नोटों की बारिश शुरु हो जाती थी, लेकिन उसके मालिक ही सारा मुनाफ़ा हड़प लेते और दो चार नोट देकर उसे चलता कर देते, कहते इससे ज्यादा इज्जत वाला काम उसे कहीं नहीं मिलेगा और वो उन्हें वहां आने वाले भेड़ियों से सुरक्षित रखने का अहसान भी जताते थे।
सुरेश सबसे पहले बार मालिक के पास गया और वो उसे सीधे चुन्नी के पास ले गया और कहने लगा “तेरा इंटरव्यू लेने आए हैं” तब चुन्नी ड्रेसिंग रुम में तैयार हो रही थी वो बोली “अरे आदमी कैसे और क्यों आया यहां?”
तब उसका मालिक कहने लगा डरने की ज़रुरत नहींहै भले आदमी है दो चार सवाल पूछ कर चलते बनेंगे।
चुन्नी थोड़ा हैरान हो गई एक बार में भले आदमी को देखकर “क्यों आये हो यहां, क्या लोगे साहब, कुछ चाय या बिस्कुट?”
सुरेश ने कहा “मैं एक कहानी लिखना चाहता हूं जिसकी मुख्य किरदार एक बार बाला होगी और एक शहर का सबसे रईस बिजनेसमैनयानि कि कारोबारी, तो कहानी इस तरह है कि उसका उसकी प्रेमिका से झगड़ा हो गया है और वो अपना तनाव दूर करने बार में मय के प्याले छलकाता है और डांसर पर नोटों की बारिश करता है धीरे- धीरे दोनों में दोस्ती और प्यार हो जाता है। फिर समाज से लड़ते हुए दोनों अंत में एक हो जाते है।
चुन्नी तपाक से बोली “क्या साहब बुरा ना मानों आपसे अच्छी कहानी तो मैं ही लिख लूंगी। यहां टाईम पास करने कोई भला आदमी नहीं आता है और किसी बार में काम करने वाली से प्यार तो क्या सहानुभूति भी नहीं हुई किसीको, लिखना हो तो बार बाला की मजबूरी और गरीबी पर लिखो ना कि ये प्यार व्यार पर।
सुरेश उसकी बातें सुनकर चुप ही रह गया और उसे आगे सवाल पूछने की हिम्मत ही नहीं हुई। बार से बाहर आते ही वो सोचने लगा कि चुन्नी की बात में तो दम था लेकिन क्या सचमुत इतनी कड़वी हकीकत को लोग हजम कर पाएंगे और उसकी किताब को खरीदेंगे भी ?
शिल्पा रोंघे
© सर्वाधिकार सुरक्षित, कहानी के सभी पात्र काल्पनिक है जिसका जीवित या मृत व्यक्ति
से कोई संबंध नहीं है।
आप मेरी इस कहानी को नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करके भी पढ़ सकते हैं।