यक्ष प्रश्न महाभारत में पांडवों के 12 वर्ष के वनवास के समय एक सरोवर में पानी पीने से पहले यक्ष द्वारा पूछे गए प्रश्न सर्वविदित हैं । ये प्रश्र देश , काल से परे हैं । जीवन मूल्यों से संबंधित प्रश्न
भाग 6प्रोड्यूसर जे पी सिंह कि बात सुन रामखिलाव कहता है ,*" अरे हम भी तो बड़का आसामी है , गांव में साथ बीघा खेत है पूछिए मौसा जी से ,और अस्सी हजार रूपए सैलरी मिलती है ,हम कौने आसामी से कम हैं , द
एक समय की बात है जब पूरा विश्व "कोरोना" नामक महामारी की चपेट में आया हुआ था । उसके खौफ के सामने यमराज जी का खौफ धूमिल पड़ गया था । लोग त्राहिमाम त्राहिमाम कर रहे थे । घोर नास्तिक लोग भी पूजा पाठ करके
कलेक्ट्रेट में आज सुबह से ही हड़कंप मचा हुआ था । सुबह से कम से कम दस बार मुख्यमंत्री निवास से फोन आ गया था । स्वयं मुख्यमंत्री जी ने कलेक्टर साहब से बात की थी । कलेक्टर साहब तो इसी बात से धन्य हो गये
एक कहावत है कि कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं । हो सकता है कोई जमाने में यह बात सही होगी । शायद वह जमाना सम्राट विक्रमादित्य का रहा हो या हरिश्चंद्र का हो । लेकिन अब सब जानते हैं कि आज के जमाने में इ
सीता कबसे फोन मिला रही थी भारती को लेकिन उसका फोन या तो बिजी आता था या स्विच ऑफ । तीन चार दिन हो गए उसको प्रयास करते करते लेकिन कमबख्त फोन था कि लगने का नाम ही नहीं ले रहा था । कभी कभी तो लगता था कि इ
समय बहुत कम था । राज्य के "अपने" समस्त विधायकों को रिजॉर्ट पहुंचने का "फरमान" मुखिया जी ने सुना दिया था । अभी थोड़ी देर में विधायकगण रिजॉर्ट में पहुंचने आरंभ हो जायेंगे । मुखिया जी के दल के 102
भाग 5मौसा जी की मौसी ने अच्छी खासी इज़्ज़त उतार दी थी , मौसा जी को अहसास हो गया था की पत्नी के सामने माता पिता उनकी बहनों और भाई भतीजों के बारे में कुछ भी कहा तो कम से कम एक हफ्ते तक वॉक युद्ध के साथ
सुनो, अकेली ना जाओ नदी के किनारे बड़े तेज होते हैं इसके धारे कहीं पैर फिसल गया तो फिर तुम क्या करोगे ये नदी का पानी तुमसे जलता है तुम्हारी पनीली आ
भाग 4 Dr रामखिलावन साहब ट्रेन के डब्बे में भी फेमस हो गए थे ,बल्कि आगे पीछे के दो तीन डब्बे वाले भी उनको जान गए थे ,क्योंकि एक तो यह हुआ की एक छोटा बच्चा कुछ गुनगुना रहा था तो रामखिलावनउसको
आजकल कलेक्टरों को प्रशिक्षण में यह बात भी सिखानी चाहिये कि "रिजॉर्ट मैनेजमेंट" कैसे किया जाये ? पता नहीं कब अचानक इसकी जरूरत पड़ जाये ? अब पारंपरिक प्रशासन का जमाना नहीं रहा । अब तो नित नई परिस्थितयां
मुक्तक तर्ज : कोई दीवाना कहता है बेदर्दी बड़ा बेईमान मौसम बारिश का आया विरह की ज्वाला को जिसने और है धधकाया तेरी यादों के आंसू में डुबो जाता है जान ए मन दिल के तारों ने ह
भाग 3लड़की ने रामखिलावन की सारी पीएचडी झाड़ दी थी,पर रामखिलावन भी कहा पीछे हटने वाला था ,!!वह कहता है ,*" कतना समझदार चाहिए , अरे हम पीएचडी किए हैं , डॉक्टरेट किए हैं , *"!!लड़की कहती है ,*" हम भी&nbs
भाग 2रामखिलावन अपने पिता की ओर देख मोबाइल थोड़ा दूर कर कहता है , *" पापा जी ये शिक्षा विभाग के हेड है ,उनका कुछ काम है ,बहुत जरूरी है ,*" !!उसके मामा जतिन कुमार गुस्से में कहते है ,*" अब स
जीवन क्या है , एक रेत का घर है एक लहर आई और बहाकर ले गई सपनों की तरह बनते बिगड़ते हैं घर मगर कोशिशें कभी बेकार नहीं जाती सारी जिंदगी लग जाती है घर बनाने में एक धक्के से भरभराक
भाग 1Dr रामखिलावन PHD एक 26 वर्षीय नवयुवक है , बिहार के दरभंगा के रहने वाले रामखिलावन की प्राथमिक शिक्षा दरभंगा के उसके पैतृक गांव के सरकारी पाठशाला में ही हुई ,*"!!पढ़ने मे तो
हदों को लांघने का देखो रिवाज चल पड़ा है इसीसे तो दुखों से आज बेहद पाला पड़ा है सागर भी भूल रहे हैं अपनी हदों की सरहदें छूने को आसमान "सुनामी" सा आ खड़ा है हदों से बाहर निकल के नंगा न
आज मेरी तनया इति श्री का जन्म दिन है । इस दिन को खास बनाने के लिए मैंने एक गीत की पैरोडी बनाकर सबके सामने उसे सुनाई । सबको बहुत पसंद आई । उम्मीद है कि आपको भी पसंद आएगी । पैरोडी : झूम
जब जिले में कोई नया कलेक्टर आता है तो उसके नजदीक आने की हर अधिकारी , कर्मचारी और जन प्रतिनिधियों में होड़ सी लग जाती है । सबको ऐसा लगता है कि चाहे अपने पारिवारिक सदस्यों के नजदीक सों अथवा ना हों पर स्
हास्य-व्यंग्य : बरसातबरसात का जिक्र होते ही मन मयूर नाच उठता है । ऐसा लगता है कि जैसे जीवन में खुशियों की बहार आ गई है । पर ये बरसात भी बड़ी अजीब है । कहीं ज्यादा तो कहीं कम । कहीं बाढ़ ला देती है तो