चलो जिंदगी बसाते है,एक नई दुनिया अपनी।दूर कहीं पे हम अपनी,बसाते है दुनिया अपनी।।नई शुरुआत जो औरों ने की,खुद हम भी अब करते हैं।हर पल हर क्षण अब एक,नए एहसास से गुजरते हैं।।समय अगर गुजर जाएगा,पछताने से क
दर्पण जो आईना होता है,पता इंसा को यह होता है।आईना जिसमें अक्स यूं,कहते हमारा ही होता है।।कहतें है दर्पण कभी भी,हमें झूठ नहीं बोलता।चेहरा कितना भी झूठ बोले,दर्पण कभी झूठ नहीं बोलता।।दर्पण के सौ टुकड़े
खबर कितनी सच है?ये जानना है जरूरी।ये वक़्त का तकाजा है,मानना भी है जरूरी।।खबर कितनी सच है?ये कुछ सच कुछ झूठ।फैलाव इसका चहुंओर,मानु इसको सच या झूठ।।खबर कितनी सच है?चोरी, डकैती,लूटपाट।मारामारी और दंगे फ
नन्ही उम्मीदें छूने को,आसमां में उड़ चले।उड़ना है गर पंछी जैसे,छूने को आसमां चले।।नन्ही उम्मीदें कहते हैं कि,तकलीफ भी बहुत देती।पर कहते हैं न ऐसे की,उम्मीद पे दुनिया होती।।न जाने क्यों उम्मीद रहती,आसम
लंबा सफर तय करना है,बीत गए वो गुजरे दिन।वापस वह न आएंगे,बीत गए वो गुजरे दिन।।लंबा सफर तय करना है,बीत गए दुःख सुख के दिन।कहां गए वो गुजरे दिन,बीत गए दुःख सुख के दिन।।लंबा सफर तय करना है,ख्वाहिशें पूरी
रुकावटें अपना काम करेंगी,तू अपना कर्म करता चल।वो गिराएंगी तुझे बार- बार,तू उठ और चलता चल।।जिंदगी जीना आसान नहीं,मजबूत तो बनना पड़ता है।समय कभी सही होता नहीं,बस सही बनाना पड़ता है।।बुरे वक़्त में जो दे
हार तब नहीं होती हमारी,जब हम ऐसे गिर जाते हैं।जीत में बदल जाती हार,जब उठते ऐसे चल देते हैं।।जब हम उठने से करते हैं,इनकार हमारी हार होती है।गिरना और गिरकर संभलना,उसी में हमारी जीत होती है।।सोच हमारी ऐस
ऐसी सोच रखो मन में,की राही को रास्ता मिले।पांव रख और बढ़ा कदम,की राही को रास्ता मिले।।जिंदगी की कसौटी से यूं,हर रिश्ता गुजरता गया।माना कि हम गैर नहीं,हर रिश्ता गुजरता गया।।कुछ अपने और कुछ दूजे,वो अपने
किस्मत हमारी भाग्य से जुड़ी,या फिर होती ये मेहनत से।जीवन के पहलुओं को उजागर,करते फिर भाग्य या मेहनत से।।मेहनतकश इस जीवन में कुछ,आशा और निराशा का खेल।भाग्य में लिखा होता है अगर,बनता है ये किस्मत का खेल
तूफान का आना भी जरूरी,है जिंदगी में हलचल के लिए।शांत नदी सी जिंदगी में यूं,अपने पराए पहचानने के लिए।।ऐसे क्रोध न कर ए इंसा,मन शांत रख पहचान कर।किसने साथ निभाया अपना,किसने नहीं ऐसे पहचान कर।।जिंदगी में
रंग बिरंगी तितली देखो,उड़ती मस्त पवन में।फूल फूल मंडराती देखो,उड़ती तितली मधुवन में।।तितली बैठे जब फूलों पर,रस फूलों का ले लेती है।मकरंद फूलों का ले लेकर,फूल फूल ऐसे मंडराती है।।इतराती इठलाती तितली,फू
मां से अदभुत है संसार,जन्मदायिनी मां ही होती।उंगली पकड़ चलना सिखाती,मां ये अदभुत काज सिखाती।।मां से अदभुत है संसार,प्रथम शिक्षिका मां ही होती।पढ़ना लिखना मां ही सिखाती,स्कूल का रास्ता वही दिखाती।।मां
परदेस में बैठे स्वदेशी से पूछो,अपने वतन की याद आती है।सौंधी मिट्टी की खुशबू से पूछो,अपने वतन की याद आती है।।उन हवाओं के झोंको से पूछो,की लौट कर आना फिर स्वदेश।स्वदेशी याद आते हैं वतन के,की लौट कर आना
जन्म के समय नाम नहीं,सांसे मात्र ही होती है।रोते हुए ही आता है,सांसे मात्र ही होती है।।घर आंगन गूंज उठा ऐसे,नन्हे बच्चे की किलकारी से।खुशियों से घर महक उठा,नन्हें बच्चे की किलकारी से।।जीवन शुरू हुआ जन
कर्मों का फल यहां भारी है,कोई माने या न माने।भाग्य का लेखा जोखा है,कोई माने या न माने।।एक पल में बदलती किस्मत,फैसला गर ले लिया तुमने।क्या किस्मत अपनी बदलोगे,नहीं फैसला गर लिया तुमने।।रो रो कर तुम पछता
लेखन की पाबंदी कहां तक,उत्कृष्ट विचारों का दर्पण।मन के भावों का उदगम,जहां होता मन का दर्पण।।लेखन की पाबंदी कहां तक,उचित और अनुचित का उदगम।।भावों और विचारों का संगम,आदान प्रदान विचारों का उदगम।लेखन की
स्त्री के लिए घर संसार,उसका अपना परिवार होता है।प्यारे से अनमोल बच्चे,संग हमसफ़र का साथ होता है।।घर संसार में रिश्ते नाते,उनका भी बंधन होता है।रिश्तों की डोर में बंधे,उनका जग संसार होता है।।घर संसार म
जीवन से भरी इस दुनिया में,उत्साह और उमंग छाई।आई सावन की बहार आई,चारों तरफ हरियाली छाई।।रिमझिम रिमझिम फुहार छाई,आई सावन की बहार छाई।झूलों में गीतों की बहार आई,आई सावन की बहार छाई।।जीवन से भरी इस दुनिया
बेटे भाग्य से होते हैं,तो बेटियां सौभाग्य से होती हैं।बेटे आन होते हैं,तो बेटी शान होती हैं।।बेटे तिलक होते हैं,तो बेटी राजतिलक होती हैं।बेटे मान होते हैं,तो बेटी गौरव होती हैं।।बेटे खुशी होते हैं,तो
शिव जी ने धारण किया,आई गंगा की धार।सिर पे गंगे सवार,लिए मौजों की धार।।सोच अपने कुल का उद्धार करेंगे,आई गंगा की धार।आसमां से उतरती पहाड़ों में आई,लिए मौजों की धार।।पहाड़ों से उतरती धरती पे आई,आई ग