प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब भी भाषण देते हैं तो श्रोता उनके साथ जुड़ जाते हैं। भले ही लोग उनसे सहमति रखते हों या न रखते हों लेकिन इस बात में कोई दोराय नहीं है कि उनकी भाषण शैली कुछ खास है। मौजूदा दौर में पक्ष-विपक्ष का शायद ही कोई ऐसा नेता होगा, जो यह दावा कर सके कि लोगों को अपनी भाषण शैली से बांधे रखने के मामले में मोदी से बेहतर है। इसमें शक नहीं कि मोदी की भाषण शैली विपक्ष के लिए तिलिस्म सरीखी साबित हो रही है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि पीएम मोदी को अब घर से ही चुनौती मिलने लगी है। यह चुनौती देने वाला कोई और नहीं बल्कि उनकी पत्नी जशोदाबेन हैं। इसकी बानगी हमें पिछले दिनों बिहार में मिला।
जशोदाबेन ने बिहार के बेगुसराय में राज्य तैलिक साहू सभा में जाकर भाषण दिया और लोगों को ये बहुत पसंद आया। उन्होंने वहां बेटियों के विकास के मुद्दे पर अपने विचार रखे।
भामा शाह की जयंती
भामाशाह की जयंती पर बेगुसराय में तैलिक समाज ने एक कार्यक्रम आयोजित किया था, जिसमें जशोदाबेन को मुख्यतिथि के रूप में बुलाया गया था। इस समाज के लोगों का कहना है कि नरेंद्र मोदी और उनका परिवार उन्हीं की बिरादरी के हैं। यहां आकर जशोदाबेन ने एक छोटा सा भाषण भी दिया। जशोदाबेन को हिंदी बोलने में कठिनाई हो रही थी, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपने विचार रखे। लोगों को ये बात बहुत पसंद आई। उन्होंने कहा कि तेली साहू समाज और पूरे बिहार की लड़कियां आगे आकर समाज के विकास में योगदान दें। उन्होंने महाराणा प्रताप के करीबी रहे भामाशाह के विचारों को आगे बढ़ाने की भी बात कही।
जशोदाबेन यहां अपने भाई प्रवीण चंद्र मोदी के साथ आईं थीं। उन्होंने कहा कि उनकी बहन ने बहुत बड़ा त्याग किया है। प्रवीण चंद्र मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी इस देश की सेवा कर रहे हैं और लोग उनके साथ हैं। जशोदाबेन अपनी सादगी के लिए बेहद मशहूर हैं। इसका एक नमूना अभी हाल ही में तब दिखा था जब वो भगवान शिव के दर्शन करने मथुरा पहुंची थीं। उनको देखते ही लोग उनके कायल हो जाते हैं। उनको देखकर ये बिल्कुल नहीं लगता कि वो देश के प्रधानमंत्री की पत्नी हैं। उन्हें दिखावा करना बिल्कुल पसंद नहीं है। जब उनके आस-पास अधिकारी इकठ्ठा हो जाते हैं तो वह उनसे भी चले जाने को कहने लगती हैं।
जशोदाबेन मथुरा आईं थीं तो नजारा देखने लायक था
पिछले दिनों जब जशोदाबेन मथुरा आईं थीं तो नजारा देखने लायक था। जब वो कैला देवी के दर्शन करने पहुंचीं तो उन्होंने अपनी सादगी से मानो सबका दिल जीत लिया। उनके पहुंचने की जानकारी प्रशासन को पहले से ही थी यही वजह थी कि सारे अधिकारी समय पर वहां पहुंच गए थे। उनके साथ उनकी भतीजी अंजलि नरवरि भी आई थीं। ट्रेन सुबह चार बजे पहुंची थी। अधिकारियों ने उनसे होटल चलने को कहा, इसपर जशोदाबेन नहीं मानीं, लेकिन काफी मनाने के बाद और घरवालों के समझाने के बाद वो होटल जाने को राजी हुईं।
इसके बाद वो कैला देवी के मंदिर दर्शन के लिए पहुंची। जशोदाबेन ने कहा कि वो शंकर भगवान की पूजा करना चाहती हैं। इस पर उन्हें रंगेश्वर महादेव के मंदिर ले जाया गया, जहां उन्होंने 15 मिनट तक पूजा की। जब प्रसाद लेने के लिए वो पैसे देने लगीं तो एक अधिकारी ने कहा कि वो पैसे दे देंगे। इस पर वह बोलीं कि आप क्यों देंगे पैसे? उनके साथ जो अफसर थे वह उनसे बार-बार चले जाने को कह रही थीं। एक पत्रकार ने जब उनसे पूछा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यानी उनके पति से उनकी कब से बात नहीं हुई। इस पर थोड़ा मुस्कराईं और सवाल को टाल गईं। उनसे पूछा कि क्या आपने कभी मोदीजी से मिलने की कोशिश की है। इस पर भी वह मुस्कराहट के साथ ही आगे चल दीं।
जशोदाबेन जहां भी जाती हैं वह लोगों के मन में अपने प्रति सम्मान को और ज्यादा बढ़ा देती हैं। भले ही उनको हिंदी अच्छे से नहीं आती थी, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने स्टेज पर आकर लोगों तक अपने विचार पहुंचाए। उनकी मुस्कराहट ही लोगों का दिल जीतने के लिए काफी होती है। तेली साहू सभा के उपाध्यक्ष सुनील कुमार और धर्मेंद्र साहू ने कहा कि जशोदाबेन पटना में भामा शाह की मूर्ती का लोकार्पण भी करेंगी। जशोदाबेन के जीवन की कहानी लोगों को बहुत प्रेरित करती हैं। वह ऐसी शख्सियत हैं, जो बिना कुछ बोले ही अपने त्याग की कहानी सुनाती हैं।