पहाड़ों के दर्द किसने देखा
देखा तो उसका सौंदर्य देखा
वो निशा का अंधेरा और धुंध
जिसने भी देखा सौंदर्य ही देखा
वो पसरे सन्नाटों में धड़कते दिल
लिपटी हुई लगती मौत से रूह
वो झरना और नदियाँ वो पर्वत
एकांत में करते मौन आलाप
एक दूसरे के वीराने के साथी
खड़े हैं एक दूसरे का दामन थाम