भूकम्प वह घटना है जिसमे पृथ्वी का अंदरूनी भाग हिलता है जिसके कारण सतह फट या धंस जाती है।पूरा विश्व भी इस प्राकृतिक प्रकोप से अछूता नहीं है।अभी हाल ही में तुर्की-सीरिया में भूकंप आया है जिससे हजारो लोग मारे गए।कई मंजिला इमारत ढह गए हैं।जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया है। कई लोग मलबे के नीचे दब गए हैं।मरने वालो की संख्या 4000 तक पहुँच गई है। भारत ने सहायता के लिए एन डी आर एफ दल को भेजा है।रिक्टर पैमाने पर भूकम्प की तीव्रता 6.7 मापी गई है। जानकारो के मुताबिक 100 साल बाद इतना खतरनाक भूकम्प आया है।
आखिर भूकम्प उत्पन्न होने का कारण क्या है? पृथ्वी की सतह या भूपृष्ठ पर असन्तुलन के कारण भूकंप आता है।टेक्टोनिक प्लेटों की गति उनकी सीमाओं पर फॉल्ट जोन पर दबाव बनाती है । यह इस दबाव का अचानक जारी होना है जो भूकंप और जमीन के हिलने का कारण बनता है।याने कि पृथ्वी के अन्दर की प्लेट जब आपस में टकराती है तो ये प्लेट फट या दरार होने से पुरे दबाव के साथ ऊर्जा बाहर की ओर निकलती है जिससे धरती हिलने लगती है।
भूकंप से कैसे बचे? भूकम्प के आने पर बड़ी इमारत पेड़ खम्भा से दुर हट जायें।किसी सुरक्षित स्थान पर चले जाए और तब तक वही पर जमे रहे जब तक झटके आना बन्द ना हो जाए।
इस प्राकृतिक प्रकोप से मानव को सबक लेना चाहिए।हमने पृथ्वी का अधिक दोहन किया है जिसके परिणाम हमे मिलना शुरु हो गया है।अभी कोरोना का घाव भरा ही नही था कि भूकम्प ने तहलका मचा दिया।
हमे जल हवा जमीन व वनस्पति मुफ्त में मिला है लेकिन हमने अपने जेहन से ये बात निकाल दी है हम भूल ही बैठे है कि इसका निर्माण हमने नही किया है।गॉड गिफ्ट है।यदि इसका हम दुरुपयोग करते है तो इसका असर हम पृथ्वी वासी पर होगा। यह कहर किसी भी रूप में आ सकता है चाहे सुनामी हो,कोरोना हो, बाढ़ या सुखा।हम ही इसके भरपाई करेंगे।
हमे ये भी सबक मिलती है कि पूरी पृथ्वी एक है।ये विपदा किसी भी राष्ट्र पर आ सकती है हमे एक दूसरे की सहायता करनी चाहिए।देश की सीमाओ से परे हटकर अर्थ को बचाना होगा। पर्यावरण संरक्षण पर कड़ाई से सभी देशो को पालन करना होगा।नही तो बेवजह मारे जायेंगे अब ना कोई तलवार से मारेगा न गोली से मात्र प्राकृति का एक ही इशारा काफी होगा और हमारा अहंकार मिट्टी में मिल जाएगा।
सभी भूकम्प पीड़ित परिवार के प्रति में करुणा व्यक्त करता हूं कि ईश्वर उसे सहनशक्ति प्रदान करे।