दिनांनक : 29.11.2021
समय : शाम 7:20
प्रिय सखी,
भारत - भाल की बिंदी हूं मैं,
निष्प्राण नहीं, हिंदी हूं मैं ।।
मिठास हूं मैं, विश्वास हूं मैं,
बाज़ार हूं मैं, निस्वार्थ हूं मैं।
सरल सुबोध औे सरस हूं मैं,
संस्कृति और संस्कार हूं मैं।।
उत्तर में भले हो मेरा मायका,
दक्षिण को पता है मेरा जायका
बेटी न समझो, वधु हूं मैं,
न विरोध करो! स्वीकार करो,
घर की भाषाओं से घुल-मिल रह लूंगी,
ज्यों वहिनी हो मेरी, चेची हो मेरी।।
दोयम ही रहा दर्जा है मेरा,
क्षेत्रीय भाषा का वर्चस्व निरा।
फिर भी विरोध? स्वीकार करो
हिंदी हूं मैं, अंगीकार करो।।
भारत-भाल की बिंदी हूं मैं,
निष्प्राण नहीं, हिंदी हूं मैं ।।
सखी , श्री अमित शाह, माननीय गृहमंत्री जी ने हिंदी दिवस पर देशवासियों को अपने संदेश में, हिंदी के कार्यान्वयन के लिए 12 "प्र" महत्त्वपूर्ण बताये, जो थे-
1. प्रेरणा
2. प्रोत्साहन
3. प्रेम
4. पुरस्कार
5. प्रशिक्षण
6. प्रयोग
7. प्रचार
8. प्रसार
9. प्रबंधन
10. प्रोन्नति
11. प्रतिबद्धता
12. प्रयास
हमें, इन सभी "प्र" का उपयोग कर हिंदी के प्रचार-प्रसार को बढ़ाना चाहिए।
आप सोच रहे होंगे कि आज की डायरी इतनी हिंदीमय क्यों है?
एक कारण तो ये की मुझे हिंदी से बहुत प्यार है, दूसरा यह की अभी कुछ देर बाद मैं राजभाषा सम्मेलन के लिए चेन्नई निकल रही हूँ। चेन्नई और हिंदी!!!!!💐💐💐
तो कल मिलते है चेन्नई में।
शुभरात्रि सखी,
तुम्हारी प्रिय सखी,
गीता भदौरिया