दिनाँक: 28.11.2021
समय : रात 10:30 बजे
प्रिय सखी,
'बुध्दि बनाम सुंदरता'।
अगर किसी इवेंट मैनेजर की जगह किसी जूनियर सुंदरी बाला या किसी हैंडसम हंक का प्रमोशन कर दिया जाए तो गुस्से में ठीकरा हमेशा बेचारी सुंदरता पर ही फोड़ा जाता है। अरे यार! सुंदर लोग भी बुद्धिमान होते हैं और बुद्धिमान लोग भी कभी-कभी सुंदर पाए जाते है। पर प्रमोशन के मौके पर यही कहा जाता है कि वह सुंदर है या वह चापलूस है इसलिए प्रमोशन हुआ। खैर! सरकारी प्रमोशन में ये सब नहीं होता क्योंकि प्रोमोशन सीनियोरिटी से होता है।
लेकिन एक बात तय है कि सुंदरता का पहला इम्प्रेशन तो होता ही है। अगर मुँह खोलने पर वह औसत से ऊपर है, तो बाजी उसकी हो जाती है। यानी सुंदरता इनो (eno) की तरह होती है। पर बुद्धिमत्ता का रंग धीरे-धीरे चढ़ता है और परमानेंट होता है, दही के माफिक। (हमे नहीं पता ये अजीबोगरीब उदाहरण हमारे दिमाग मे इंस्टंटली कैसे आ जाते है?)
मैंने देखा है कि आजकल लोग जब रिश्ता ढूढते है तो जॉब और स्मार्टनेस को ऊपर रखते हैं और सुंदरता को दुसरे नम्बर पर। हॉं अगर सुंदरता भी साथ मे मिले तो सोने पर सुहागा। मेरी जानकारी में बहुत सी शादियां हुई है जिनमे लड़की औसत है और लड़का बहुत स्मार्ट। लड़का औसत है और लड़की बहुत सुंदर। पहले ऐसा लव मैरिज में होता था लेकिन अब अर्रेंज मैरिज में भी देखने को मिलता है। सुंदरता और उम्र की सीमाएं टूट रहीं है। स्मार्ट, बुद्धिमान और अपने पैरों पर खड़े लड़के लड़कियों को वरीयता दी जा रही है।
केवल शादी ही नहीं, ऑफिस में भी बुद्धिमानी को ही वरीयता मिलती है। क्योंकि बुद्धिमानी टिकाऊ होती है जब कि सुंदरता टेंपरेरी। आप सोच कर देखिये की किसी सफल व्यक्ति की शक्ल कोई देखता है क्या? नाम देने से अच्छा नहीं लगेगा पर ऐसे उदाहरण बिज़नस, राजनीति और सरकार में भरे पड़े हैं जो सुंदर नहीं है पर सफल हैं, लोग उनकी इज्जत करते हैं।
गांव- देहात में और पहले शहरों में भी सुंदर बहु का बोलबाला था। गांव में शायद अभी भी हो पर शहरों में हालात बदल गए हैं।
तो भई हम तो बुध्दि को ही वरीयता देंगे।
आपकी बुद्धिहीन सखी,
गीता भदौरिया