आज महात्मा गांधी की जयंती मनाने हैं। महात्मा गांधी एक नाम नहीं बल्कि एक विचार धारा है। मोहनदास करमचंद गांधी, जिन्हें महात्मा गांधी के नाम से जाना जाता है, उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के छोटे से शहर पोरबंदर में हुआ था।इस दिन को पूरी दुनिया अहिंसा दिवस के रूप में मनाती है। 15 जून 2007 को यूनाइटेड नेशंस जेनरल असेंबली ने इस तारीख को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मानए जाने के लिए सर्वसहमति से वोट दिया था। क्योंकि गांधी जी ने दुनिया को सिखाया है कि शांति का मार्ग अपनाकर भी आजादी पाई जा सकती है। उनका मानना था कि हिंसा का रास्ता चुनकर हम कभी अपने अधिकार नहीं पा सकते। अहिंसा की राह पर चलकर ही राष्ट्रपिता ने दक्षिण अफ्रीका में करीब 75 हजार भारतीयों को उनके अधिकार दिलाए थे। पूरा विश्व आज का दिन अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के तौर पर भी मनाता है। महात्मा गांधी के विचार हमेशा से न सिर्फ भारत, बल्कि पूरे विश्व का मार्गदर्शन करते आए हैं और आगे भी करते रहेंगे।
आज ही के दिन लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को मुगलसराय, उत्तरप्रदेश में 'मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव' के घर हुआ था। मरो नहीं, मारो' का नारा लालबहादुर शास्त्री ने दिया जिसने एक क्रांति को पूरे देश में प्रचंड किया। उनका दिया हुआ एक और नारा 'जय जवान-जय किसान' तो आज भी लोगों की जुबान पर है।
शास्त्री जी सच्चे गांधीवादी थे जिन्होंने अपना सारा जीवन सादगी से बिताया। भारतीय स्वाधीनता संग्राम के सभी महत्वपूर्ण कार्यक्रमों व आंदोलनों में उनकी सक्रिय भागीदारी रही और उसके परिणामस्वरूप उन्हें कई बार जेलों में भी रहना पड़ा, उनमें 1921 का असहयोग आंदोलन, 1930 का दांडी मार्च तथा 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन उल्लेखनीय हैं।
2 अक्टूबर के इस पावन दिन पर दोनों विभूतियों को मेरा सादर नमन।
राष्ट्रभक्त,
गीता भदौरिया