"मान्यवर" एक नए एड कन्यादान" नहीं "कन्यामान"पर विवाद छिड़ा हुआ है।
बॉलीवुड की एक्ट्रेस आलिया भट्ट ने कपड़ों के ब्रैंड मान्यवर के जिस विज्ञापन में कन्यादान की जगह अब कन्यामान की बात कही गई है, उसे लेकर सोशल मीडिया पर आक्रोश दिख रहा है।
ट्विटर पर मान्यवर का बहिष्कार करने का अभियान छिड़ गया है। इस विज्ञापन में आलिया भट्ट को दुल्हन के रूप में तैयार किया गया है और कन्यादान की परंपरा पर सवाल उठाया गया है। इस विज्ञापन में आलिया भट्ट सवाल करती हैं - "मैं क्या कोई दान की चीज हूं?"
हिंदू संस्कृति में कन्यादान को सबसे बड़ा दान माना जाता है। विवाह में सबसे महत्वपूर्ण रस्म कन्यादान अर्थात कन्या का दान होती है। जब बेटी का पिता कन्यादान करता है तो इसके बाद लड़की के जीवन से जुड़ी सारी जिम्मेदारियां दूल्हे को निभानी होती हैं।
ये है मान्यता हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार विवाह संस्कार में दूल्हे को भगवान विष्णु का रूप माना जाता है। जब कन्या का पिता धार्मिक रीति रिवाजों का पालन करते हुए अपनी कन्या का हाथ वर के हाथों में सौंपता है, तो वर कन्या के पिता को आश्वासन देता है कि वो उनकी बेटी का पूरा ख्याल रखेगा. उनकी बेटी की सभी जिम्मेदारियां उठाएगा, इस संस्कार को ही कन्यादान कहते हैं।
कन्यादान की परंपरा करीब 7 हजार साल पुरानी है, जिसका वर्णन वाल्मीकि रामायण में भी मिलता है। मान्यवर के विज्ञापन में आलिया भट्ट ये कहते दिखाई गई हैं कि कन्या कोई चीज नही हैं।
तुलसीदास ने श्रीरामचरित मानस में इस प्रसंग को बड़े ही सजीव तरीके से चौपाई के जरिये समझाया है।
लागे पखारन पाय पंकज प्रेम तन पुलकावली।
नभ नगर गान निसान जय धुनि
उमगि जनु चहुं दिसि चली॥
बर कुअंरि करतल जोरि साखोचारु दोउ कुलगुर करैं।
भयो पानिगहनु बिलोकि बिधि सुर मनुज मुनि आनंद भरैं॥हिमवंत जिमि गिरिजा महेसहि हरिहि श्री सागर दई।
तिमि जनक रामहि सिय समरपी बिस्व कल कीरति नई॥
इसका अर्थ है कि जनकराज श्री रामजी के चरण कमलों को प्रेम से पखारने लगे. इस दौरान आकाश नगाड़ों की धुन से गूंज उठा। इसके बाद दोनों कुलों के गुरुओं ने वर और कन्या की हथेलियों को मिलाकर मंत्र पढ़े। पाणिग्रहण होता देखकर ब्रह्मादि देवता, मनुष्य और मुनि आनंद में भर गए. इसके बाद राजा जनक ने भाव विभोर होकर कहा कि जैसे राजा हिमवान ने शिवजी को पार्वती सौंपी और सागर ने भगवान विष्णु को लक्ष्मीजी दे दी थीं, वैसे ही मैं जनक श्री रामचन्द्र को सीताजी को समर्पित कर रहा हूं।। राजा जनक ने इसे कन्या दान कहा, क्योंकि उनके मन में धरती से मिलने वाले कन्या रत्न की बात थी।
राजा जनक ने कन्या दान के पीछे का औचित्य भी समझाया. उन्होंने बताया कि जैसे सागर ने श्रीहरि विष्णु को कन्यादान किया था, वैसे ही मैं भी कर रहा हूं। कथा के अनुसार समुद्र मंथन से 14 रत्न प्राप्त हुए , इसमें से आठवां रत्न लक्ष्मी जी खुद थीं। समुद्र ने कौस्तुभ मणि के साथ उनका दान विष्णुजी को कर दिया था। तब लक्ष्मी-नारायण का दोबारा विवाह हुआ. ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र ने बताया कि हर पिता अपनी बेटी को सीता और लक्ष्मी के समान देखते हैं। उन्हें रत्न कहते हैं तो इसके पीछे की मंशा बेटियों को वस्तु समझने की नहीं है, बल्कि उस सम्मान की बात है जो बेटियों को देवी के तौर पर देखता है। इसीलिए कन्या रत्न भी कहते है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो पिता अपनी बेटी का कन्यादान करता है उसे परिवार सहित स्वर्ग की प्राप्ति होती है और वह भवसागर के बंधनों से तर जाता है। जिन माता-पिता को कन्यादान करने का मौका प्राप्त होता है, वो काफी सौभग्यशाली होते हैं। यह दान उनके लिए मोक्ष की प्राप्ति यानि मरणोपरांत स्वर्ग का रास्ता भी खोल देता है।
लेकिन प्रश्न यह उठता है कि हर बार हिंदुओं की रस्मो-रिवाजों पर ही सबको परेशानी क्यों होती है। कभी होली में पानी की बर्बादी लेकिन ईद पर खून की होली, कभी शिवजी पर दूध की बर्बादी पर आतंकियों पर कोई प्रॉब्लम नहीं।
अब इस पर कंपनी की तरफ से भी सफाई में कहा गया है कि- 'मोहे ने हमेशा ही समाज की प्रगतिशील महिलाओं की छवि को दर्शाया है। इस कॉमर्शियल की मदद से हमने संस्कृति और सभ्यता की गरिमा को ध्यान में रखते हुए आम जनता की मानसिकता में जरा बदलाव लाने की कोशिश की है।'
एक्ट्रेस आलिया भट्ट ने विज्ञापन पर कहा कि- 'मैं पूरी तरह से इस विचारधारा से इत्तेफाक रखती हूं और ये एक ऐसी चीज है जो मेरे दिल के बहुत करीब है. मैं इस बात से खुश हूं कि मैं इस एड का हिस्सा बन पाई और लोगों तक एक ऐसा संदेश पहुंचा पाई जिससे समाज में एक सकारात्मक बदलाव हो।''
लेकिन आलिया जी, तालिबान के बारे में आप ने एक भी शब्द नहीं बोला, तीन तलाक पर आप चुप रहीं। फिल्मों में आप बुरका पहन लेती है और आपको परेशानी नहीं होती।
आपका क्या कहना है?
गीता