दिनांक : 18.11.2021
समय : दोपहर 1 बजे
प्रिय सखी डायरी,
रोज तुम्हें मैं अपनी बातें बताती हूँ, आज तुम्हारी बात करते हैं। पल पल दिल मेरे दिल के पास मेरी डायरी है। आज तुम्हारे बारे में ही लिखती हूँ।
पल पल दिल के पास तुम रहती हो,
मेरी सुनती अपने दिल की कहती हो।
सुबह की सुप्रभात पहुंचाती पाठक तक,
शामों की बरसात, खबर कर आती उनतक।
होली की गुझियों की, पहुचाती महक तुम,
दीवाली की मिठाइयों की, दे आती मिठास तुम।
पल पल दिल के पास तुम रहती हो,
मेरी सुनती अपने दिल की कहती हो।।
सुबह की उजियारों की, कर आती तुम खबर,
चाय की टपरी का, बुलावा दे आतीं तुम सहज।
कह दो कि तुम हो वही, मेरी प्रिय सखी डायरी,
कह दो कि तुम हो वही, मेरे दिल की हमशायरी।
पल पल दिल के पास तुम रहती हो,
मेरी सुनती अपने दिल की कहती हो।।
आपकी सखी,
गीता भदौरिया