प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है अब तो खांसी मे फर्क है । आखिरकार ऐलोपैथिक दवाईयां लेकर ही आराम आया खांसी मे ।कितने ही घरेलू उपाय कर लो । हमारे पतिदेव घरेलू उपायों के हक मे है ।पर हमे अंग्रेजी दवाइयों क
वक्त सीख नई देता जीवन में अनवरत चलता है।वक्त के साथ परिश्रम करले जीवन उसका चमकता है।धरा अनवरत घूम रही है रूकती नहीं थकती नहीं।जिंदगी मनुज की बिना परिश्रम के चमकती नहीं।परिश्रम मनुष्य के सफलता की कुंजी
प्रिय सखी।कैसी हो ।हम ठीक है ।भाई दूज की ढेरों शुभकामनाएं।आज तो बच्चे अपनी बुआ जी के यहां गये है टीका निकलवाने। बच्चों की कोई बहन तो है नही इसलिए बुआ की लड़की से टीका निकलवाते है। साथ ही हमारे यहां दी
प्रिय सखी ।कैसी हो ।हम बस ठीक ही है ।एक तो दीपावली की थकावट ऊपर से ये प्रदूषण।खांसी ज्यादा ही बढ़ गयी है ।हे सखी कोई घरेलू नुस्खा ही बता दो जिससे ये मुई खांसी ठीक हो जाए।अब की बार पुस्तक प्रतियोगिता म
प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है । दीपावली पर ढेर सारी मिठाई ,कचोरी रसगुल्ले बनाएं है अब तुम्हें कैसे खिलाएं।पर मेरी तरफ से तुम्हें दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाएं।आज का दैनिक विषय है :- दीपोत्सवदीपावली
प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है । दीपावली की तैयारी मे जुट गये है ।आज बेसन की बर्फी बनाई थी हमने ।कल कचोरी, लड्डू और गुलाबजामुन बनाएं गे। पतिदेव बाहर की मिठाई पसंद नही करते है ।मै तो शुरू से ही घर
प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है तबीयत मे थोड़ा सुधार हो रहा है । दीपावली के दिन भी नजदीक है ।घर की साफ सफाई कर रहे है ।धीरे धीरे ही हो पाती है ।और दिनों तो बेशक नौकरानी से करवा लूं पर दीवाली की साफ सफा
हैलो सखी।कैसी हो ।सब से पहले मेरी सखी को अहोई अष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं।यह व्रत अपने बच्चों के लिए रखा जाता है।जैसे यूपी , बिहार की तरफ "जिवितिया "का व्रत रखा जाता है उसी प्रकार इधर हमारे तरफ हरिया
प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है ।देहली शोप पर बैठे है ।तबीयत अभी ठीक नही है ।पर आज रविवार है तो यहां व्यापारी ज्यादा आते है ।इस लिए आना पड़ा। मंच से गुजारिश कि लेखक के वालेट की व्यवस्था सही ढंग से करें
प्रिय सखी।कैसी हो।हम अच्छे है पर तबीयत खराब चल रही है । आशा है तुमने करवा चौथ का व्रत धूमधाम से मनाया होगा।हम तो कल सारा दिन ऐसे ही पड़े रहे ।फिर रात को चांद निकला तो तैयार होकर चांद को अर्घ्य दें कर
प्रिय सखी।कैसी हो हम अच्छे है।बस थोड़ा आहत है किसी दूसरे मंच पर प्रतियोगिता मे भाग लिया था।रचना को पढ़ा भी जा रहा था पर कुछ लोगों को दूसरों का आगे बढ़ना अच्छा नही लगता ।कम रेटिंग देकर उनको पता नही क्य
प्रिय सखी।केसी हो । हम अच्छे है ।और शोप पर बैठे है।आज कल मौसम मे सर्दी घुलने लगी है ।ठंड का अहसास होने लगा है।इधर फरीदाबाद मे लगभग हर रोज बरसात आ रही है ।अभी अभी एक उपन्यास पूरा किया है ।और एक कहानी द
हैलो सखी।कैसी हो हम अच्छे है और आप को व आप के परिवार को विजयादशमी के उपलक्ष्य में शुभकामनाएं देते है।कल डायरी लेखन मे प्रथम स्थान प्राप्त किया ।मन मे प्रसन्नता है।अब आगे किताब तभी प्रकाशित करेंगे जब र
प्रिय सखी।कैसी हो हम अच्छे है। कल सप्तमी का व्रत था इसलिए कुछ लिख नही पाये ।किसी भी मंच पर । क्यों कि बगैर नमक के हमारा बीपी लो हो जाता है ।आज अष्टमी पूजन के साथ ही हमारा व्रत सम्पूर्ण हुआ ।पहले तो हम
बैग पैक हो गए ,शाम की बस थी , घर जाने की ख़ुशी का तो कोई ठिकाना ही नही था , होता भी क्यों नही ये त्यौहार ही तो होते है जिसमे घर जाने के लिए शायद की गुंजाइश नहीं होती है इसीलिए तो एक त्योहार के जाते ह
अच्छा जी मैं हारी चलो मान जाओ ना देखी तेरी यारी मेरा दिल जलाओ ना,, 🙇📚मेरी प्यारी दिलरुबा,,,, आजकल तुम नाराज़ बहुत होने लगी हो ,,,,अरे कोई तो वजह होगी इतनी देर मैं तुमसे मिलने आने की,,, किसी को पता
अच्छा जी मैं हारी चलो मान जाओ ना देखी तेरी यारी मेरा दिल जलाओ ना,, 🙇📚मेरी प्यारी दिलरुबा,,,, आजकल तुम नाराज़ बहुत होने लगी हो ,,,,अरे कोई तो वजह होगी इतनी देर मैं तुमसे मिलने आने की,,, किसी को पता
डियर दिलरुबा, दिनांक -24/9/22 तुझे क्या सुनाऊं मैं दिलरुबा तेरे सामने मेरा हाल है,,, हां दिलरुबा,,, तुम तो सब जानती ही हो,, क्या है ऐसा मेरे बारे में जो तुम्हें नहीं पता,, दिल बड़ा उदास है,,, ज्याद
शर्मसार होती इंसानियत जब आज का टैग मिला तो मैं समझ नहीं पाया की किस मुद्दे पर लिखा जाए. क्योंकि 'शर्मसार होती इंसानियत' इस विषय पर लिखने के लिए मुद्दों की कमी नहीं है , उलटा इस विषय पर लिखने क
प्रिय सखी ।कैसी है ।हम अच्छे है और मौसम से दुःखी है । लगातार बरसात हो रही है ।आज तुम्हें पता है दैनिक प्रतियोगिता का विषय बड़ा ही उम्दा है । "शर्मशार होती इंसानियत "सच मे सखी कहां नही है इंसानियत शर्म