डियर काव्यांक्षी कैसी हो प्यारी 🥰मैं तो मजे में हूं । और कोई कितनी भी कोशिश कर ले। हमे दुखी करने की उनकी कोशिश नाकामयाब करे
प्रिय सखी।कैसी हो।हम ठीक है और अपनी देहली वाली शोप पर बैठे तुम्हें याद कर रहे थे।आज रविवार को सुबह ही सुबह आ गये हम ।कयोकि यहां कपड़ों के व्यापारी सुबह सुबह ही आते है रविवार को। तबीयत नासाज थी लेकिन फ
दिनांक-10/9/22 दिन- शनिवार समय रात्रि 10: 30 🙇📚कहां हो दिलरुबा क्या कहा सो रही हो अरे अभी कोई सोने का टाइम नहीं है अभी बजा ही क्या है,,, मेरी दोस्त, मेरी दिलरुबा,,,,,, सुनो वैसे तुम तो सब जानती ही
10/9/2022प्रिय डायरी, आज का शीर्षक है ध्यान योग, ध्यान योग करना अर्थात मन को एकाग्र करना आत्मकेंद्रित होना होता है
डियर काव्यांक्षी कैसी हो प्यारी🥰 सुप्रभात प्यारी 💐 काव्यांक्षी तुम्हे पता है ,ये ख्वाहिशों का सिलसिला कभी खत्म भी हो
प्रिय सखी।कैसी हो ।हम ठीक ही है ।आज घर पर ही है देहली शोप पर नही गये।तबीयत ठीक नही है।कुछ नया उपन्यास लिख रहे है एक मंच पर बस उसी मे व्यस्त रहते है। फ़ालतू का सोचने का समय ही नही लगता।अब अगस्त की पुस्
8/9/2022प्रिय डायरी, आज का शीर्षक है वृद्धाश्रम, आज का युग कर्मयोगी हो गया है युवा पीढ़ी खास तौर पर लड़कियां और महिलाएं म
सरल बनोसरल बनो सरल बनो सब की है ये राय,कहना आसान, पर सरल ना कोई हो पाए।कहने की बजाय करना होगा,नहीं तो खुद को दे रहे धोखा।।सरलता के लिए मेहनत चाहिए, मेहनत से कमा कर खाईए। बिन मेहनत कुछ ना मिल
दिलरुबा दिनांक -07/09/22 दिन-बुधवार प्यारी दिलरुबा,,, यह राइटर भी ना जाने किस मिट्टी के बने होते हैं जिन्हें लिखे चैन आता है और ना लिख कर भी बेचैन रहते हैं,,,,, आप मुझे ही देख लो,,,समय के अभाव के कारण
प्रिय सखी ।कैसी हो ।हम अच्छे है और मौज से है ।आज ही हमारी एक और किताब ने सौ का आंकड़ा पार कियाहै मतलब वो सौ लोगों के पुस्तकालय में रखी गयी है। किताब का नाम है "मै ओरत हूं .... इसलिए।"लगातार पाठक संख्य
डियर काव्यांक्षी तुम तो मजे में हो प्यारी🥰पर मेरा मन बहुत आहत है । क्योंकि आजकल जिन लोगों से अमाना सामना हो रहा है। व
प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है ।आज एक लेख पढ़ा ।सच मे सखी लेख पढ़ कर हंसी आ गयी।"एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी" यह कहावत उस लेख पर पूरी तरह से फिट बैठती थी।अपने को सच और दूसरे को झूठा साबित करने की होड़
6/9/2022प्रिय डायरी, आज का शीर्षक सोशल मीडिया, आज का युग सोशल मीडिया का हो गया। हर एक के हाथ में मोबाइल है।
लापरवाहीछोटी सी लापरवाही,कभी-कभी पड़ जाती है भारी।फिर पछतावा रह जाए, जो किसी के काम ना आए।।अनुशासन से बाहर ना जाएं,कभी नियम का मजाक ना उड़ाए।सदैव नियमों का पालन करें, नियम की अवहेलना से डरें
डियर काव्यांक्षी सुप्रभात प्यारी☕☕कैसी हो🥰 पता है काव्यांक्षी कुछ लोगों को देखकर बड़ी हैरानी होती है। जो सबको
प्रिय सखी।कैसी हो।मै अच्छी हूं ।कल ही समूह मे शैलेश जी किसी लेखक को प्रतियोगिता का विवरण दे रहे थे।उसमे उन्होंने कहा कि पुस्तक प्रतियोगिता में पेड पुस्तक दोनों ही पहले द्वीतिय स्थान पर आयी है।हमने भी
संघर्ष आगे बढ़ना हम सब चाहें,खुली पड़ी हैं अनेकों राहें। राह चुनिए आगे बढ़िए,उन्नति के लिए संघर्ष करिए।।संघर्ष से डरना क्यूं ,संघर्ष से पीछे हटना क्यों।संघर्ष और सफलता का नाता, यह बहुत
डायरी दिनांक ०५/०९/२०२२ सुबह के आठ बजकर तीस मिनट हो रहे हैं । सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी भारत के दूसरे राष्ट्रपति थे। राष्ट्रपति बनने से पूर्व वह दर्शन शास्त्र के अध्यापक थे। भारतीय दर्शन क
4/9/2022प्रिय डायरी, आज कल शीर्षक पढ़कर कुछ समझ नहीं आ रहा कि क्या लिखे। पुस्तक प्रतियोगिता पूर्ण होने पर आगे पाठक कैसे बढ़ते हैं। जब तक ल
जीवन चलाने का हुनर सीख लो,रोटी कमाने का हुनर सीख लो।ये हुनर सिर्फ एक शब्द नहीं,हुनर हो हाथ में तो जीवन भी सही।।हुनर को कभी ना नकारना,हुनर से अपना जीवन संवारना।मेहनत से अपना हुनर चमकाईए, जीवन में