प्रस्तुत है वागीश आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज सदाचार संप्रेषण युग भारती अपनी भूमिका इस तरह निभाए कि घर घर में हमारे उपास्य अखण्ड भारत का चित्र हो, भारतीय भाव से परिपूर्ण जो भी समाज है जाति है पन्थ है वह हमारा मित्र हो आचरण पवित्र हो स्वभाव परिस्थिति के अनुसार ढल जाता हो हमारा आर्ष साहित्य ब्रह्म पर आधारित है और उसी का विस्तार आरण्यक ब्राह्मण उपनिषद् गीता मानस में है ब्रह्म की सत्ता हिन्दू धर्म दर्शन सामाजिक व्यवस्था साहित्य और कला की आधारशिला है दर्शन की दृष्टि से ब्रह्म का अर्थ अत्यधिक व्यापक और गहन है इसके अतिरिक्त विचित्र व्यवहार का क्या आशय है भोजन का साहित्य क्या है मन्त्रों की क्या विशेषता है आचार्य जी ने बिठूर की चर्चा क्यों की आदि जानने के लिए सुनें |