प्रस्तुत है सूक्ष्मदृष्टि आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण हमारे यहां प्रत्येक मास का माहात्म्य है पद्म पुराण के अन्तिम खंड में इन महीनों का विस्तृत वर्णन है l तैत्तिरीय उपनिषद् की शिक्षाओं में योग,ध्यान,यज्ञ, तप, दान, कर्म और ज्ञान है l संपूर्ण पर्यावरण में सद्विचार और कुविचार चलते रहते हैं विकृत तत्त्व को विकृति ही अच्छी लगती है मनुष्य जिस परिवेश में रहता है उसी से तादात्म्य स्थापित कर लेता है परमात्मा ने हमारे ऊपर कृपा करी कि हमें परिवेश दिया सत असत की पहचान करने की क्षमता दी संगति दी कार्य दिये रुझान दिया कि शक्ति अर्जन करेंगे, देश सेवा करेंगे, संगठित रहेंगे, देशभक्त समाज को सशक्त बनायेंगे l अपनी युग- भारती प्रार्थना में सर्वे भद्राणि पश्यन्तु है | भद्र का अर्थ शरीर से सुन्दर मन से सुन्दर विचार से सुन्दर और व्यवहार से भी सुन्दर होता है किसी को दुःख न मिले यह भारतीय कल्पना है l जो विषय जिसके जीवन में जितना ढला है उतना ही प्रभावकारी होता है l विधि व्यवस्था का ज्ञान हमें भी हो हमारे बच्चों को भी हो हम एक साथ भोजन आरती भजन आदि करें ll तैत्तिरीय उपनिषद् को किस भाषा में बच्चों के सामने प्रस्तुत किया जाए यह चुनौती है l इसके अतिरिक्त मछली विक्रेता कैसे सोया किन भैया को संस्कृत भाषा में लिखी हस्तलिखित कामधेनु तन्त्र पुस्तक मिल गई आदि जानने के लिए सुनें|