shabd-logo

सदाचार बेला (02-10-2021) का उद्बोधन

8 मार्च 2022

31 बार देखा गया 31

प्रस्तुत है बुद्धिशस्त्र आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज सदाचार संप्रेषण उपनिषदों के छन्द प्रेरणा देते हैं l दो प्रकार के सदाचार संप्रेषण होते हैं| एक भावात्मक दूसरा विचारात्मक यदि विचारात्मक में भावात्मकता का आधार हो तो वह सरस हो जाता है | भावना अन्तःकरण का प्रतिनिधित्व करती है और विचार बुद्धितत्त्व का ब्रह्म शब्द की उत्पत्ति बृह धातु से हुई है,जिसका= अर्थ है,प्रस्फ़ुटित होना,प्रसरण बढ़ना, आदि इसका सम्बन्ध बृहस्पति और वाचस्पति से भी है,वास्तव में उच्चारित शब्द की अन्तर्निहित शक्ति के विस्फ़ोट और उपवृंहण अर्थात वृद्धि से ही इन तीन शब्दों का तारतम्य है,इन अर्थों में बृहत होने की भावना की प्रधानता है,जिसका आशय है ब्रह्म सबसे बड़ा है,उससे कोई बड़ा नही है तैत्तरीय उपनिषद् में एक संवाद के अन्तर्गत भृगु ने पिता वरुण से प्रश्न किया कि ब्रह्म क्या है,तो वरुण ने उत्तर दिया- यतो वा इमानि भूतानि जायन्ते । येन जातानि जीवन्ति । यत् प्रयन्त्यभिसंविशन्ति । तद्विजिज्ञासस्व । तद् ब्रह्मेति ॥ - तैत्तिरीयोपनिषद् ३-१-३ जिससे यह समस्त भूत ब्रहमाण्ड के जड़ चेतन पदार्थ जन्म लेते है,उत्पन्न होकर आश्रय से जीते है,और पुन: उसी में लौट कर विलीन हो जाते है,उसी का नाम ब्रह्म है. ब्रह्म का इसी प्रकार से दूसरे शब्दों में अर्थ छान्दोग्य उपनिषद में पाया जाता है,इसमे ब्रह्म को "तज्जलान" (तत+ज+ल+अन) कहा गया है,इसका अर्थ है कि ब्रह्म तज्ज तल्ल और तदन है,वह तज्ज है क्योकि सभी भूत उसी मे पैदा होते है,वह तल्ल है क्योकि सभी भूत उसी में तल्लीन रहते है,वह तद्न क्योकि सभी भूत उसी में वापस चले जाते है,ब्रह्म में इन तीनो का समावेश है,इसलिये ही ब्रह्म का स्वरूप तज्जलान सूत्र से किया जाता हैl इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने मोहन कृष्ण जी और शरद कश्यप जी की चर्चा क्यों की जानने के लिए सुनें दीनवत्सल आचार्य श्री ओम शंकर जी से हमें विचार, ज्ञान, आत्मीयता, प्रेम और आशीर्वाद प्राप्त होता रहता है l  

31
रचनाएँ
सदाचार बेला (अक्टूबर 2021)
0.0
नियमों के अनुकूल किया गया काम ही सदाचार कहलाता है, जैसे—सत्य बोलना, सेवा करना, विनम्र रहना, बड़ों का आदर करना आदि। ये उत्तम चरित्र के गुण हैं। जिस व्यक्ति के व्यवहार में ये गुण होते हैं, वह सदाचारी कहलाता है। ... इस तरह सदाचार का अर्थ है अच्छा व्यवहार सदाचारी व्यक्ति में गुरुजनों का आदर करना, सत्य बोलना, सेवा करना, किसी को कष्ट न पहुँचाना, विनम्र रहना, मधुर बोलना जैसे गुण होते हैं।
1

सदाचार बेला (01-10-2021) का उद्बोधन

8 मार्च 2022
0
0
0

प्रस्तुत है वागीश आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज सदाचार संप्रेषण युग भारती अपनी भूमिका इस तरह निभाए कि घर घर में हमारे उपास्य अखण्ड भारत का चित्र हो, भारतीय भाव से परिपूर्ण जो भी समाज है जाति है पन्थ है

2

सदाचार बेला (02-10-2021) का उद्बोधन

8 मार्च 2022
0
0
0

प्रस्तुत है बुद्धिशस्त्र आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज सदाचार संप्रेषण उपनिषदों के छन्द प्रेरणा देते हैं l दो प्रकार के सदाचार संप्रेषण होते हैं| एक भावात्मक दूसरा विचारात्मक यदि विचारात्मक में भावात्म

3

सदाचार बेला (03 -10-2021) का उद्बोधन

8 मार्च 2022
0
0
0

 आज के उद्बोधन में आचार्यबी जी ने बताया कि अपनापन व्यक्ति को भाव से जोड़ता है कर्मक्षेत्र के साथ़ भाव को अवश्य जोड़ें l आपने कुर्वन्नेवेह कर्माणि जिजीविषेत् शतं समाः । एवं त्वयि नान्यथेतोऽस्ति न कर्म लि

4

सदाचार बेला (04-10-2021) का उद्बोधन

8 मार्च 2022
0
0
0

आनन्दित रहने हेतु आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए हम लोग प्रातःकाल दीक्षक आचार्य श्री ओम शंकर जी की सदाचार वेला की प्रतीक्षा करते हैं प्रस्तुत है सदाचार आभाषण ब्रह्म क्या है? इस विषय को विस्तार

5

सदाचार बेला (05-10-2021) का उद्बोधन

8 मार्च 2022
0
0
0

प्रस्तुत है भगव् आचार्य श्री ओम शङ्कर जी द्वारा प्रोक्त सदाचार संप्रेषण लेखन एक योग है और वह हमारा मित्र भी है | धर्म और दर्शन अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं धर्म जीवन का व्यवहार है जीने की शैली है और दर्शन

6

सदाचार बेला (06-10-2021) का उद्बोधन

8 मार्च 2022
0
0
0

 स्थिरारम्भ आचार्य श्री ओम शंकर जी का कहना है हम कुसंगति से बचें चाहे वह आदतों की हो या व्यक्तियों की हो और यज्ञ हवन पूजन में रत हों संगठन को महत्त्व दें सेवारत हों शक्ति की उपासना करें l प्रस्तुत है

7

सदाचार बेला (07-10-2021) का उद्बोधन

8 मार्च 2022
0
0
0

 यह सदाचार वेला पूरे दिन हमें ऊर्जा देने की वैचारिक ओषधि है स्थितप्रज्ञ आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदैव प्रयास रहता है कि यह वेला सार्थक बने (नवरात्र का प्रथम दिवस) की सदाचार वेला अपनी सार्थकता कैसे सि

8

सदाचार बेला (08-10-2021) का उद्बोधन

8 मार्च 2022
0
0
0

 प्रस्तुत है सदाचार संप्रेषण निसिचर हीन करउँ महि भुज उठाइ पन कीन्ह। सकल मुनिन्ह के आश्रमन्हि जाइ जाइ सुख दीन्ह॥ आचार्य श्री ओम शंकर जी,जिनके आचरण में हमें ज्ञान वैराग्य ध्यान उपासना सत्कर्म परिलक्षित

9

सदाचार बेला (09-10-2021) का उद्बोधन

8 मार्च 2022
0
0
0

हम रामांशों के सम्मुख प्रस्तुत है वागृषभ आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण परिस्थिति गम्भीर (जैसे कोरोना संकट) होने पर चिन्तक विचारक सबसे पहले भय का त्याग करते हैं| कोरोना संकट में अन्य देशों

10

सदाचार बेला (10-10-2021) का उद्बोधन

8 मार्च 2022
0
0
0

 प्रस्तुत है स्थिरात्मन् आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण भाव विचार और क्रिया का सामंजस्य संसार में सफलतापूर्वक सहजतापूर्वक और सरलतापूर्वक कार्य व्यवहार करने के लिए सहायता करता है l आचार्य ज

11

सदाचार बेला (11-10-2021) का उद्बोधन

8 मार्च 2022
0
0
0

 टूटे सुजन मनाइए, जो टूटे सौ बार। रहिमन फिरि फिरि पोहिए, टूटे मुक्ताहार॥ प्रस्तुत है कुलतन्तु लब्धश्रुत आचार्य श्री स्थान :उन्नाव प्रेम और आत्मीयता अपने युगभारती परिवार (मुक्ताहार) का एक सद्गुण है जि

12

सदाचार बेला (12-10-2021) का उद्बोधन

8 मार्च 2022
0
0
0

प्रस्तुत है पाठक आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण आचार्य जी ने तैत्तरीय उपनिषद् की चर्चा की जिसमें शिक्षा वल्ली में १२ अनुवाक और २५ मंत्र, ब्रह्मानंदवल्ली में ९ अनुवाक और १३ मंत्र तथा भृगुवल्

13

सदाचार बेला (13-10-2021) का उद्बोधन

8 मार्च 2022
0
0
0

 प्रस्तुत है वन्द्य आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण आचार्य जी ने बताया कि अपने गांव सरौंहां में कमल सरोवर के पास बने देवी मन्दिर में आज अष्टमी का हवन है l किसी भी प्रकार का भोग हो (जिसका संब

14

सदाचार बेला (14 -10-2021) का उद्बोधन

8 मार्च 2022
0
0
0

 प्रस्तुत है तपोधन आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण आचार्य जी ने अध्ययन की आवश्यकता पर बल दिया l संसार का निर्माण कैसे हुआ इसका निर्माता कौन है इस तरह के प्रश्न उठने पर उत्तर देने वाले शिक्ष

15

सदाचार बेला (15 -10-2021) का उद्बोधन

8 मार्च 2022
0
0
0

प्रस्तुत है सङ्ख्यावत् आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण सत्संग का अर्थ केवल गाना बजाना नहीं , अध्यात्म की चर्चा ही नहीं अपितु भिन्न भिन्न रुचियों वाले भिन्न भिन्न प्रकृति वाले सतोगुण की प्रधा

16

सदाचार बेला (16-10-2021) का उद्बोधन

8 मार्च 2022
0
0
0

 प्रस्तुत है सहोर आचार्य श्री ओम शंकर जी का सङ्गाद तैत्तरीय उपनिषद् मेंआचार्य जी ने आमायन्तु ब्रह्मचारिणः स्वाहा ।विमाऽऽयन्तु ब्रह्मचारिणः स्वाहा । प्रमाऽऽयन्तु ब्रह्मचारिणः स्वाहा । दमायन्तु ब्रह्मचा

17

सदाचार बेला (17-10-2021) का उद्बोधन

8 मार्च 2022
0
0
0

प्रस्तुत है विज्ञात आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण आज अपने गांव सरौंहां में स्वास्थ्य शिविर है और यह अत्यन्त आनन्द का अवसर है l इस सेवा के कार्य को करने के लिए बहुत लोगों में अत्यन्त उत्साह

18

सदाचार बेला (18-10-2021) का उद्बोधन

8 मार्च 2022
0
0
0

प्रस्तुत है सान्न्यासिक आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण कल सम्पन्न हुए स्वास्थ्य शिविर में कानपुर लखनऊ दिल्ली से युगभारती के 36 सदस्य थे और 325/350 मरीजों को देखा गया | तैत्तिरीय उपनिषद् में

19

सदाचार बेला (19-10-2021) का उद्बोधन

8 मार्च 2022
0
0
0

प्रस्तुत है पारिकाङ्क्षिन् आचार्य श्री ओम शंकर जी द्वारा प्रोक्त समिर-मार्ग से प्राप्त आज सदाचार संप्रेषण आचार्य जी ने सबसे पहले कृषकों के लिए अहितकर असमय पर्जन्य का उल्लेख किया l इसके पश्चात् आचार्य

20

सदाचार बेला (20-10-2021) का उद्बोधन

8 मार्च 2022
0
0
0

 प्रस्तुत है गुणसागर आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण समय पर जिसका वीरत्व जाग जाए वो वीर है l ज्ञान बांटते बांटते बीते पांचक वर्ष अब तो कर्म प्रवृत्त हों सब मिल सहित अमर्ष । सब मिल सहित अमर्ष

21

सदाचार बेला (21-10-2021) का उद्बोधन

8 मार्च 2022
0
0
0

 प्रस्तुत है यायजूक आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण जिसमें आचार्य जी ने हविष्यान्न, स्वाहा, स्वधा की परिभाषा बताते हुए यज्ञीय पद्धति की जानकारी दी l यदि यही यज्ञ के विधि विधान शिक्षा में सम्

22

सदाचार बेला (22-10-2021) का उद्बोधन

8 मार्च 2022
0
0
0

 प्रस्तुत है सूक्ष्मदृष्टि आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण हमारे यहां प्रत्येक मास का माहात्म्य है पद्म पुराण के अन्तिम खंड में इन महीनों का विस्तृत वर्णन है l तैत्तिरीय उपनिषद् की शिक्षाओं

23

सदाचार बेला (23-10-2021) का उद्बोधन

8 मार्च 2022
0
0
0

 प्रस्तुत है नाय आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज सदाचार संप्रेषण जैसे आचार्य जी पहले विद्यालय -रत्न के लिए आवश्यक दस गुण बताते थे उसी तरह प्रयासपूर्वक निम्नांकित दस सद्गुण यदि हम अपने अन्दर ले आयें तो स्

24

सदाचार बेला (24 -10-2021) का उद्बोधन

8 मार्च 2022
0
0
0

 प्रस्तुत है विद्वज्जन आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज का सदाचार संप्रेषण वर्तमान में सत्पुरुषों का संगठन अत्यन्त आवश्यक है प्रायः सत्पुरुष संगठित नहीं होते, होते हैं तो एक आदेश पर चलने के लिए तैयार नहीं

25

सदाचार बेला (25-10-2021) का उद्बोधन

8 मार्च 2022
0
0
0

 प्रस्तुत है धर्मचारिन् आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज सदाचार संप्रेषण हमारे यहां ज्यादतर साहित्य रूपकों में विशेष रूप से अलङ्कारिक भाषाओं में लिखे गये हैं वेद ज्ञान है लेकिन उसे पुरुष कह दिया गया | शिक

26

सदाचार बेला (26 -10-2021) का उद्बोधन

8 मार्च 2022
0
0
0

प्रस्तुत है क्रान्तदर्शिन् आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण उपनिषदों में व्यावहारिक ज्ञान बहुत व्यवस्थित रूप से कहा गया है यदि हम शिक्षा व्यवस्था को औपनिषदिक आधार पर ले चलें तो बहुत अच्छा होग

27

सदाचार बेला (27-10-2021) का उद्बोधन

8 मार्च 2022
0
0
0

 प्रस्तुत है कृष्टि आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज सदाचार संप्रेषण भाव कभी बूढ़ा नहीं होता भाव पर आरोहित होकर विचार चलते हैं और विचारों का संस्पर्श पाकर क्रियाएं सक्रिय होती हैं जिनके भाव विचार और क्रिया

28

सदाचार बेला (28-10-2021) का उद्बोधन

8 मार्च 2022
0
0
0

 प्रस्तुत है ब्रह्मवत् आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण आचार्य जी युगभारती लखनऊ के आमन्त्रण पर 14 नवम्बर को लखनऊ जाएंगे, दीपमिलन पर कानपुर आ सकते हैं,आचार्य जी से कल श्री योगेन्द्र भार्गव जी

29

सदाचार बेला (29 -10-2021) का उद्बोधन

8 मार्च 2022
0
0
0

 प्रस्तुत है ब्रह्मिष्ठ आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण मनुष्य ही एक ऐसा विशिष्ट प्राणी है जिसमें अनेक कल्पनाएं आती हैं और उन कल्पनाओं को फलीभूत करने के लिए उसके प्रयत्न चलते हैं और उन प्रयत

30

सदाचार बेला (30-10-2021) का उद्बोधन

8 मार्च 2022
0
0
0

 प्रस्तुत है यज्वन् आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज सदाचार संप्रेषण वर्तमान धरातल के साथ संपूर्ण परिवेश,पर्यावरण, प्रकृति,परिस्थितियां हैं और उनके प्रभाव हमें प्रभावित कर रहे हैं लेकिन ये परमात्मा के द्

31

सदाचार बेला (31-10-2021) का उद्बोधन

8 मार्च 2022
0
0
0

 प्रस्तुत है यमवत् आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज सदाचार संप्रेषण सदाचार संप्रेषण का उद्देश्य रहता है कि हम लोगों को उससे ऐसा फल प्राप्त हो जो हमारे मन को संतुष्टि दे फल स्थूल और सूक्ष्म दोनों होता है

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए