एकटा मी माझ्यात रमलेला, तन्हाई ची रात आहे.................. जोडीला घोटभर दारू, मी विरहाच्या
जिसके साथ खून का सम्बन्ध नहीं होता, फिर भी प्रिय लगे.. *वह है👬दोस्त* जिसके साथ दुनियां भर की बातें करके भी थकान ना लगे .... *वह है👬दोस्त* जिसके साथ छोटी सी बात पर भी खुल कर हंस लेते हैं... *वह है👬
ये किताब हम सब के देनिक जिवन, समाज,साथ और प्रेम से जुड़ी कविताओ का संग्रह हे
हरिनारायण मिश्रा एक पंडित थे। बनारस के रहने वाले थे । उनका छोटा बेटा पढाई करके अमेरिका चला जाता है । वह अपने पिता के कहे अनुसार कब क्या करना है और कब क्या नही करना है को मानते थे । उनके पिता अपने ज्योतिष ज्ञान के अनुसार ही अपने बेटे को निर्देश देते
शब्दों के खेल से बनती है एक कविता, कवि के अंतर्मन से निकल कर शब्दों के मोती को माला में पिरोती है एक कविता, ज़ेहन से कागज़ के पन्नों पर उभरती है एक कविता, कवि के ख्यालों की अधबुनी कहानी है एक कविता। ' काव्यधारा ' मेरी स्वरचित एवं मौलिक कविताओं का संग्
यह पुस्तक आपके हलचल एवं तनाव भरे जीवन में स्थायित्व तथा आनंद का संचार करने में पूर्णतया सक्षम है। यह एक संग्रह पुस्तक है। जिसे एक कठिन परिश्रम,अल्प संसाधन में आप तक पहुंचाने में प्रयत्न का प्रयास किया जा रहा है। इस पुस्तक की एक-एक पंक्ति आपके जीवन को
इस पुस्तक में समसामयिक मुद्दों पर मेरे विचार, जो आज के हालात हैं और जो कल थे। आप इसे पढ़े और अपने विचार व्यक्त करें।
यह किताब जीवन के विभिन्न रंगों का एक सुंदर गुलदस्ता है, जिसमें अलग-अलग रंग के फूल हैं......जैसे करुण रस, हास्य, प्रेम, इत्यादि।ये मेरी स्वरचित रचनाएं हैं, जो वैचारिक,आनंदित, भावुक.....अनुभूति देती हैं।
यह कहानी एक ऐसी लड़की के बारे में है जिसे अपने जीवन के बारे में कुछ भी पता नहीं होता है पर उसे ऐसा लगता है कि उसके साथ कुछ ना कुछ जरूर होगा जो सबसे अलग होगा पर क्या होगा यह उसे पता नहीं होता है उसके जीवन के साथ एक रहस्य जुड़ा होता है जो उसे आगे चलकर
दो दोस्त, जो ढूँढ़ने चले हैं कि कविता आख़िर कहाँ से आती है। एक छोटे शहर की सुपर मॉम, जो रोज़ टीवी पर आने का सपना देखती है। भोपाल की वो लड़की, जो अब भी अपने मुंबई के पेन फ़्रेंड को हाथ से लिखी चिट्ठियाँ भेजती है। एक मॉडल, जिसका एक गाना हिट होने के बाद
जयश्रीकृष्ण पाठकगण सुधिजन व मित्रगण। आज मै अपनी पुस्तक "संदीप की कलम से" लेकर आपके बीच उपस्थित हुआ हू। यह मेरी पहली किताब की शक्ल अख्तियार कर रही प्रस्तुति है जो मै अपनी परम आदरणीय माता जी "श्री श्रीमति सुषमा शर्मा जी" को सादर स्नेह के साथ अ
जिंदगी सुहाना है मगर मौत का फसाना है जब तक है जिंदगी हम दुनिया के बंदगी जीते हैं जब तक हम कुछ करके देखे हम यह जिंदगी हमें मां-बाप तो देते हैं उन कर्तव्यों को पूरा करने का मार्ग हमें गुरु देते हैं ना गुरु होते ना यह ज्ञान होता ना शीष देते न कर्तव्य पू
अमृता प्रीतम साहित्य जगत् में एक ऐसी ‘ शख्सियत रही हैं जिनकी लेखनी ने भाषाओं की सीमाओं को तोड़ा और यह प्रमाणित किया कि लेखक की ‘ शैली भाषा , बोली देश की सीमाओं में बाँधी नहीं रहती। स
यह मेरी मौलिक कविताओं का संकलन है जिसयें जीवन के विविध भावों और और रंगों का समावेश विभिन्न काव्य विधाओं में करने.का एक लघु प्रयास है।
चित्रा और सुदीप सच और सपने के बीच की छोटी-सी खाली जगह में 10 अक्टूबर 2010 को मिले और अगले 10 साल हर 10 अक्टूबर को मिलते रहे। एक साल में एक बार, बस। अक्टूबर जंक्शन के ‘दस दिन’ 10/अक्टूबर/ 2010 से लेकर 10/अक्टूबर/2020 तक दस साल में फैले हुए हैं। एक त
अमृता प्रीतम (1919-2005) पंजाबी के सबसे लोकप्रिय लेखकों में से एक थीं। अमृता प्रीतम को पंजाबी भाषा की पहली कवयित्री माना जाता है। उन्होंने 100 से अधिक पुस्तकें लिखीं, जिनमें सबसे अधिक चर्चित उनकी आत्मकथा 'रसीदी टिकट' रही। पद्म विभूषण व साहित्य अकादमी
बोलली नाही तू, कि मी एकटा पडतो......... वरून खुश दिसतो, पण मनातून रडतो.....
ना अर्ज किया है ना फर्ज किया है किसी ने हमें रिजेक्ट किया बाद में उसी ने हमें गूगल पर सर्च किया है अजी हार नहीं मानी हमने एक वक्त पर लोहा भी पिघल जाता है अजीब हार नहीं मानी हमने इस वक्त पर नोहा भी बिगड़ जाता है और हम से मत उलझो शेर सो रहा हूं तब भी