ये हमारी कविताओं का संकलन है जिसमें मैंने जीवन के विभिन्न रूपों को इसको अपनी कलम से सजाया है।
yah pustak tulnatmak rajniti ke siddhanto ke sandharb me likhi gyi hai. es pustak ke antargat tulnatmak rajniti ke vividh pratimano ko bhut hi saral dhang se prastut kiya gya hai. yathasthan talikao aur rekhachitro ka sahara liya gya hai. pustak ki b
इस काव्य संग्रह में विभिन्न प्रकार की कविताओं का संग्रह किया गया है l मानव की विभिन्न प्रकार की अनुभूतियों, राष्ट्र प्रेम, जीवन संघर्ष, प्रेम भावना, इसी प्रकार की अन्यतम विचारों का प्रस्फुटन मनुष्य को जीवंत करने के लिए और उसकी भावनाओं को सकारात्मक ऊर
पुस्तक में पश्चिमी सभ्यता और भारतीय संस्कृति की विरोधाभासी समानता का मनोरंजक वर्णन है।
This book is useful for all government exams. This book has 95 questions and they have also been solved. Read more
इस पुस्तक में कविताओं का संग्रह किया गया है । कविताओं के द्वारा आपको जीवन से जुड़ी जानकारी प्राप्त होती है। तथा आप कविताओं के द्वारा अपना मनोरंजन भी कर सकते है। व विभिन्न प्रकार की कविताओं से अलग अलग ज्ञान प्राप्त कर सकते है ।
This book having collection of popular Hindi Stories . Criticism of the stories of Premchand, Jainendra, Guleri ji, Agyey, Renu , Harishankar parsai, Mannu Bhandari etc is collected in this book . This book is fruitful for students ,reseacher and al
मेरे जीवन के अनुभवों से निर्मित अहसास की दुनिया के कुछ शब्द ,जो गजल के रूप में ढलकर मेरे दिल से फूट पड़े !
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यह पुस्तक मेरी कविताओं का संग्रह है। सभी पढ़ें और आनंद लें।
तू वीर है या वीणा सह जाती है सब पीड़ा करुण तरंगों को सहना है क्या तेरे लिए क्रीडा ? नर देता बांध तुझ पर करुणा के डोर को तू शाह समझ लेती क्यों इस चोर को इस नर को क्यों सुनाती करुणा रूपी गान को जो जरा भी ना देता तरजीह तेरे आन को त
हिन्दी साहित्य में महावीर प्रसाद द्विवेदी का मूल्यांकन तत्कालीन परिस्थितियों के सन्दर्भ में ही किया जा सकता है। वह समय हिन्दी के कलात्मक विकास का नहीं, हिन्दी के अभावों की पूर्ति का था। इन्होंने ज्ञान के विविध क्षेत्रों- इतिहास, अर्थशास्त्र, विज्ञान,
इसमे स्त्री की विमर्शता एवं मन के भावो को अपनी क़लम के माध्यम से व्यक्त किया हैं.
यह दीपावली में सुरन की सब्जी क्यों बनती है उस पर आधारित हैं
पुराने जमाने में बड़ी बड़ी मूंछें रखते थे ,और उस मंच की अहमियत होती थी , कई लोग एक मंच के बाल के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाते थे ,
यह कहानी आज के शिक्षित युवाओं की मनो व्यथा को दर्शाता है। वैसे तो यह कहानी लंबी नहीं है, परन्तु.....इसमें समाज में फैले हुए वैमनस्यता एवं उसके कारणों को समाहित किया गया है। साथ ही यह भी दिखाने की कोशिश की गई है, कि आज का युवा चाहे, तो कुछ भी कर सकता
हरिनारायण मिश्रा एक पंडित थे। बनारस के रहने वाले थे । उनका छोटा बेटा पढाई करके अमेरिका चला जाता है । वह अपने पिता के कहे अनुसार कब क्या करना है और कब क्या नही करना है को मानते थे । उनके पिता अपने ज्योतिष ज्ञान के अनुसार ही अपने बेटे को निर्देश देते