प्रिया पाठक , हम आपके सदा आभारी रहेंगे कि आप मेरी कविताओं को पढ़ने के लिए समय निकाल रहे हैं परंतु मेरा यह प्रयास है कि आपका समय जाया ना हो अतः हमने अपनी पुस्तक:-[ काव्य तरंग :-)में प्रेम, वीरता, वियोग जैसे अनेक विषयों को ध्यान में रखकर यह पुस्तक लिख
मन मयूर प्रफुल्लित हो जब नृत्य करने लगता है।सच पूछो तो तन मन प्यार पा गा उठता है। प्रेम जीवन में बहार लाता है और खुशियों की सौगात लाता है। जहां प्रेम नहीं है वहां जीवन नीरसता से भरा हुआ होता है। प्रेम बंजर जमीन में भी फसलें उगा सकता है।।
यह कहानी एक ऐसी लड़की के बारे में है जिसे अपने जीवन के बारे में कुछ भी पता नहीं होता है पर उसे ऐसा लगता है कि उसके साथ कुछ ना कुछ जरूर होगा जो सबसे अलग होगा पर क्या होगा यह उसे पता नहीं होता है उसके जीवन के साथ एक रहस्य जुड़ा होता है जो उसे आगे चलकर
दो दोस्त, जो ढूँढ़ने चले हैं कि कविता आख़िर कहाँ से आती है। एक छोटे शहर की सुपर मॉम, जो रोज़ टीवी पर आने का सपना देखती है। भोपाल की वो लड़की, जो अब भी अपने मुंबई के पेन फ़्रेंड को हाथ से लिखी चिट्ठियाँ भेजती है। एक मॉडल, जिसका एक गाना हिट होने के बाद
जयश्रीकृष्ण पाठकगण सुधिजन व मित्रगण। आज मै अपनी पुस्तक "संदीप की कलम से" लेकर आपके बीच उपस्थित हुआ हू। यह मेरी पहली किताब की शक्ल अख्तियार कर रही प्रस्तुति है जो मै अपनी परम आदरणीय माता जी "श्री श्रीमति सुषमा शर्मा जी" को सादर स्नेह के साथ अ
जिंदगी सुहाना है मगर मौत का फसाना है जब तक है जिंदगी हम दुनिया के बंदगी जीते हैं जब तक हम कुछ करके देखे हम यह जिंदगी हमें मां-बाप तो देते हैं उन कर्तव्यों को पूरा करने का मार्ग हमें गुरु देते हैं ना गुरु होते ना यह ज्ञान होता ना शीष देते न कर्तव्य पू
अमृता प्रीतम साहित्य जगत् में एक ऐसी ‘ शख्सियत रही हैं जिनकी लेखनी ने भाषाओं की सीमाओं को तोड़ा और यह प्रमाणित किया कि लेखक की ‘ शैली भाषा , बोली देश की सीमाओं में बाँधी नहीं रहती। स
जंगल में जब शेरों की आने की बात सुनाई देने लगी तो लक्षमीनारायण व उनके बच्चों ने अपने जानवरों की सुरक्षा के कुछ मजबूत उपाय किए
यह मेरी मौलिक कविताओं का संकलन है जिसयें जीवन के विविध भावों और और रंगों का समावेश विभिन्न काव्य विधाओं में करने.का एक लघु प्रयास है।
चित्रा और सुदीप सच और सपने के बीच की छोटी-सी खाली जगह में 10 अक्टूबर 2010 को मिले और अगले 10 साल हर 10 अक्टूबर को मिलते रहे। एक साल में एक बार, बस। अक्टूबर जंक्शन के ‘दस दिन’ 10/अक्टूबर/ 2010 से लेकर 10/अक्टूबर/2020 तक दस साल में फैले हुए हैं। एक त
अमृता प्रीतम (1919-2005) पंजाबी के सबसे लोकप्रिय लेखकों में से एक थीं। अमृता प्रीतम को पंजाबी भाषा की पहली कवयित्री माना जाता है। उन्होंने 100 से अधिक पुस्तकें लिखीं, जिनमें सबसे अधिक चर्चित उनकी आत्मकथा 'रसीदी टिकट' रही। पद्म विभूषण व साहित्य अकादमी
बोलली नाही तू, कि मी एकटा पडतो......... वरून खुश दिसतो, पण मनातून रडतो.....
ना अर्ज किया है ना फर्ज किया है किसी ने हमें रिजेक्ट किया बाद में उसी ने हमें गूगल पर सर्च किया है अजी हार नहीं मानी हमने एक वक्त पर लोहा भी पिघल जाता है अजीब हार नहीं मानी हमने इस वक्त पर नोहा भी बिगड़ जाता है और हम से मत उलझो शेर सो रहा हूं तब भी
तेरे दो नयना, देखे मुझे ऐसे जैसे इनको है कुछ कहना | कहने को कुछ है है नहीं तेरी आंखो की भाषा, जो थी वो पहले से पड़ ही ली दिल तेरा अब है ही नहीं साया मेरा ही रहा अब सोच मत इतना भी यहीं देकर तूने एहसान ये किया जो मेरा था ही नहीं जो मेरा था ही नहीं
यह एक ऐसी कहानी है जो आपको हँसाते हुए रुला देने के मोड़ पर ले जाएगी। संजय-रफ़ीक़ की गंगा जमनी दोस्ती है। दोस्तों की छेड़ है। रफ़ीक़-उज़्मा का प्रेम है। शहर बलिया की अपनी राजनीति है। षड्यंत्र है। हत्या है। आत्महत्या है। और इन सबसे ऊपर एक ऐतिहासिक ट्विस्
राजा रानी हर कदम पर है बनना है तो इक्का बनो राजा रानी हर कदम पर है बनना है तो इक्का बनो बनना है तो इतना बनो की चाल ही पलट दे सब एक नंबर का है पगली दो नंबर का नहीं कमाते हम अजीत सब एक नंबर का है पगली तो नंबर का नहीं कमाते हम और जाकर कई और लाइन मार्ग
उपन्यास की पृष्ठभूमि में आइआइटी बीएचयू (IIT BHU) और बनारस है, वहाँ की मस्ती है, बीएचयू के विद्यार्थी, अध्यापक और उनका औघड़पन है। समकालीन परिवेश में बुनी कथा एक इंजीनियर के इश्क़, शिक्षा-व्यवस्था से उसके मोहभंग और अपनी राह ख़ुद बनाने का ताना-बाना बुनत