तुम मत सहेजो दर्द को साझा करो,
छीन लो ना अपना हक़ माँगा करो।
आग में जल जाएंगे सारे सबूत,
बेगुनाही का ना अब दावा करो।
मेरे माथे की सलवटें पढ़ ज़रा,
फिर आज बीते वक़्त को ताज़ा करो।
है अंधेरों में भी आशा की किरन,
उम्मीद से दिन-रात को देखा करो।
तुम अकेले ही परेशां तो नहीं हो,
भूख भी है प्यास भी समझा करो।
टूट कर जुड़ना कोई आसां नहीं,
बातों को ज्यादा नहीं खींचा करो।
चीर कर बाधाओं को आगे बढ़ो,
जीतने का हौंसला पैदा करो ।
मैं अधूरा था अधूरी ज़िन्दगी है,
'अनुराग तुम अपना सफर पूरा करो