30 नवम्बर 2015
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संपर्क -- + ९१९५५५५४८२४९ ,मैं अपने विद्यार्थी जीवन से ही साहित्य की विभिन्न गतिविधियों में संलग्न रहा|आगरा वि.वि.से लेखा शास्त्र एवं हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की ,फिल्म निर्देशन व पटकथा लेखन में व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त की |सर्वप्रथम मुंबई को अपना कार्यक्षेत्र बनाया |लेखक-निर्देशक श्री गुलजार के साथ सहायक फिल्म निर्देशक के रूप में कार्य किया|पटकथा लेखन में श्री कमलेश्वर के साथ टी.वी.के लिए कार्य कर दिल्ली वापस लौट आया|तत्पश्चात दिल्ली दूरदर्शन में दूरदर्शन निदेशक डॉ.जॉन चर्चिल,श्री प्रेमचंद्र आर्या के साथ कार्य किया|साथ ही साथ आकाशवाणी आगरा,दिल्ली,नजिवाबाद केन्द्रों से काव्यपाठ एवं नाटक,एकांकी के लिए कार्य किया |२००२ से अपना व्यवसाय करते हुए साहित्यक कार्यक्रमों में मेहमान वक्ता-प्रवक्ता एवं दिग्दर्शक के रूप में स्वतंत्र रूप से सेवारत हूँ । D
वर्तिका जी हार्दिक अभिनन्दन !
2 दिसम्बर 2015
गौरी कान्त जी धन्यवाद !
1 दिसम्बर 2015
रोपे हुए वो पौधे, दरख्त हो गए ,तो,प्यार के बर्ताव,बड़े सख्त हो गए । बहुत सुंदर रचना
1 दिसम्बर 2015
आदरणीय अर्चना जी आपका हार्दिक अभिनन्दन !
1 दिसम्बर 2015
उम्मीद के चिराग ,थरथरा के बुझ गए , चैनो-अमन के दोस्त ,सूर्य अस्त हो गए । इनके लिए तो और ही ,भाषा तराशीये , ये शोर-शराबे के ,अभ्यस्त हो गए ।.........bahut bahut umdda
1 दिसम्बर 2015