जाग जा हो जाएगा जलवानुमां,
तेरे सजदे में झुकेगा आसमाँ।
जिस्म की हर शै ताराशी जाएगी,
ले चलो आगे तुम्हारा कारवाँ।
अब समझ में आ गई सारी कहानी,
और मत लो तुम हमारा इंम्तहां।
सब्र अब हद से गुजरने जा रहा,
कल शौक़ से सबको सुनाना दास्ताँ।
पथ्थरों में बुत बनो भगवान का,
दोहरा हो जायेगा सारा जहाँ।
उंगलिया मेरी तरफ यूँ मत उठा,
पहले तू खुद को दिखाना आईना।
अपनी उम्मींदों के जलने दे चिराग,
फिर अँधेरा आ रहा गहरा घना।
शायद परिंदों का वसेरा अब ना हो,
है पेड़ पर पत्तों की ना संभावना।