तुम मेरी ताक़त हो तुमको हाथ में रखना,
अच्छा लगता है समय को साथ में रखना।
कल्पनाये भी हकीक़त बनके आयेंगीं मगर,
अपने हुनर को तुम सही हालात में रखना।
अगर तुम टूट जाओगे तो क्या जुड़ जाएगे,
इस ज़िन्दगी को इक नई शुरुआत में रखना।
हर दिन कसौटी पर नहीं लेकिन रहेगा इम्तहाँ,
तुम बाजी-ए-शतरंज को शै-मात में रखना।
जश्न के लम्हें बिताएंगे तुम्हारे साथ मिलकर,
सूखे हुये दरिया,शज़र बरसात में रखना।
दूरियों को दो दिशाओं में न बटने दीजिए,
आते-जाते पांव को मुलाक़ात में रखना।
जब-जब तराशोगे क़द्रदां सैकड़ों मिल जाएंगे,
यूँ खासियत को ना कभी खैरात में रखना।
अवधेश प्रताप सिंह भदौरिया'अनुराग'Dt.26042016/CCRAI/OLP.Doct.(All Publishing Right Under Reserved)