जब तक रहेंगे रंग मैं लिखता रहूँगा,
दिल में तुम्हारी याद में जिन्दा रहूँगा।
हालांकि गतिरोधक भी होंगे राहों में।
रुक नहीं सकता यूँ ही चलता रहूँगा।
किताबो में नहीं लेकिन लवो पर हूँ,
खुली हवा के पंखों पे छपता रहूँगा।
आंधी हो तूफां हो या फिर रात काली,
हूँ शब्दज्योति का दिया जलता रहूँगा।
मत बहो आंसू लहू की बूँद में ढलकर,
दिन मुस्कुरायेंगे तो मैं हँसता रहूँगा।
अनुभवों का शोर है मेरी ग़ज़ल तो,
सुख-दुःख मिलाकर काफ़िया बुनता रहूँगा।
नफरत,घुटन दहशत के इस माहौल में,
पुल,नदी बन जाऊंगा बहता रहूंगा,