भीख पर कानून है फिर भी भिखारी हैं,
जो भीख से पैदा हुए वो सत्राधारी हैं।
हैं कुकुरमुत्ते कोई औकात मत पूछो,
काम कुछ आता नहीं घातक बीमारी हैं।
लो नागफनी ही ज़िंदा है अब मधुवन में,
सूख रहीं हैं पुष्प-लताएँ बेबस क्यारी है।
कल तक साहिल पर खड़े हुए तूफां से डरते थे,
वक़्त फिर गया तिनकों का लहरों पे सवारी है।
ये शोर मचाते रोज-रोज हंगामा करते हैं ,
किस राह चले अब मुश्किल में जनता बेचारी है।
होगा बवाल करना सबाल अब जाने दो,
मंहगा मोल चुकाया है तलवार दुधारी है।