करदो रौशन अंधेरो की ज़िद तोड़ दो,
इक लहर उम्मीद की सपनो में जोड़ दो।
है अधूरी अगर बात पूरी नहीं है,
मत करो पूरी मगर ये सफे मोड़ दो।
फिर पलटकर आयेंगे मौसम बहारें,
लोना वक़्त के फैसले वक़्त पर छोड़ दो।
कट गयीं गर पतंगें तो क्या हो गया है,
थाम लो हाथ में फिर से सिरे जोड़ दो।
सूखता दरिया है लेकिन समन्दर नहीं,
आज पानी की लहर इस तरफ मोड़ दो।
मन में कोई भी खलिस मत रखो दोस्तों,
जो जहाँ पर है उसे अब वहीँ छोड़ दो।
घर नहीं है तो क्या घर मेरे पास है,
भूले - भटके उन्हें मेरे घर छोड़ दो।