''बर्फ ,पानी ही बनेगा''
भाप हो या बर्फ ,पानी ही बनेगा,
शब्द हैं कविता,कहानी भी बनेगा ।
आजमा लेना किसी भी मोड पर
रहा का पत्थर , निशानी ही बनेगा ।
मुश्किलों का दौर जब भी आएगा ,
जोश का लावा रवानी ही बनेगा ।
थाम लो हालात, घुटनों पर हमारे,
वक्त कल फिर से जवानी ही बनेगा ।
पीर को जब -जब तराशा जायेगा ,
आँख से टपका हूँ ,पानी ही बनेगा ।
ज़ख्म जब'अनुराग'को पिघलायेगा ,
कहकहो की राजधानी ही बनेगा ।