इश्क मासूम था हमनज़र कर लिया,
और तन्हाई को हमसफर कर लिया,
आज रिश्तों की सीरत नज़र आ गई,
दोस्ती को बहुत मुख्तसर कर लिया।
ठोकरों ने तराशा हमें ज़िन्दगी,
रास्तों को ही नूरे नज़र कर लिया।
वक़्त के साथ मैं भी बदलता रहा,
मुश्किलो को जरा बेअसर कर लिया।
नींद टूटी तो सपने बिखरने लगे,
टूटे ख्वाबों ने भी एक घर कर लिया।
गुमशुदा हो गए प्यार के माइने,
शब्द ने अर्थ को ही ज़हर कर लिया।
अक्स से आइना ही खफा हो गया,
धुंध ने रौशनी से महर कर लिया।
आज इंसानियत बदचलन हो गई,
क्या शराफत ने पूरा सफर कर लिया|
प्यास 'अनुराग'साहिल की बुझती नहीं,
कतरे-कतरे ने खुद को लहर कर लिया।